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Bihar Election 2025: महिलाओं के वोट पर सियासी जंग तेज, ‘तेजस्वी प्रण’ बनाम NDA का ‘संकल्प पत्र’ - कौन सा वादा ज्यादा असरदार?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महिलाओं के वोट को लेकर महागठबंधन और एनडीए दोनों ने बड़ा दांव खेला है। ‘तेजस्वी प्रण’ और ‘संकल्प पत्र’ में महिलाओं के लिए कौन-सी योजनाएं हैं और किसका वादा ज्यादा मजबूत है, पढ़िए पूरा विश्लेषण।

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YBN Bihar Desk
Mahagathbandhan Manifesto Vs NDA

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का मैदान सज चुका है और इस बार सियासी लड़ाई का सबसे बड़ा केंद्र बन चुकी हैं महिलाएं। राज्य में करीब 3.5 करोड़ महिला मतदाता हैं, जो कुल वोटरों का लगभग आधा हिस्सा हैं। ऐसे में महागठबंधन और एनडीए, दोनों ही गठबंधन अपने-अपने घोषणापत्रों में महिलाओं को केंद्र में रखकर चुनावी समीकरण साधने में जुट गए हैं। सवाल यह है कि ‘तेजस्वी प्रण’ और ‘संकल्प पत्र 2025’ में महिलाओं के लिए कौन से वादे वास्तव में असरदार हैं और किस गठबंधन की नीतियां जमीन पर मजबूत दिखाई देती हैं।

महागठबंधन ने अपना घोषणापत्र ‘बिहार का तेजस्वी प्रण’ के नाम से जारी किया है। इसमें महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त करने और सामाजिक सम्मान दिलाने का बड़ा वादा किया गया है। घोषणापत्र की सबसे चर्चित योजना “माई-बहिन मान योजना” है, जिसके तहत हर महिला को ₹2,500 मासिक आर्थिक सहायता देने का वादा किया गया है। तेजस्वी यादव के अनुसार, यह योजना महिलाओं को घर की “वित्त मंत्री” बनाएगी और उन्हें आर्थिक स्वतंत्रता प्रदान करेगी।

महागठबंधन ने बिहार की जीविका दीदियों को भी सम्मान देने की बात कही है। घोषणापत्र के अनुसार, इन कम्युनिटी मोबिलाइजर दीदियों को सरकारी कर्मचारी का दर्जा और ₹30,000 मासिक वेतन दिया जाएगा। तेजस्वी यादव का कहना है कि यह कदम ग्रामीण महिलाओं को स्थायी रोजगार और सामाजिक सुरक्षा दोनों प्रदान करेगा। इसके अलावा, ‘महिला रोजगार मिशन’ के ज़रिए स्थानीय स्तर पर महिलाओं को उद्योग, हस्तकला और कृषि आधारित कामों से जोड़ने की योजना है।

सुरक्षा के मोर्चे पर महागठबंधन ने हर जिले में महिला हेल्पडेस्क और महिला थानों को सशक्त बनाने का वादा किया है। साथ ही, शहरी और ग्रामीण इलाकों में महिला पुलिस गश्ती को बढ़ाने की बात भी कही गई है।

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दूसरी ओर, एनडीए का ‘संकल्प पत्र 2025’ महिलाओं के आर्थिक स्वावलंबन पर केंद्रित है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस घोषणा पत्र को “महिलाओं के आत्मनिर्भर बिहार की दिशा में ठोस कदम” बताया है। घोषणापत्र की सबसे प्रमुख योजना “लखपति दीदी” और “मिशन करोड़पति” है। इसके तहत सरकार ने अगले पांच वर्षों में 1 करोड़ महिलाओं को लखपति और हजारों को करोड़पति बनाने का लक्ष्य रखा है।

मुख्यमंत्री महिला स्वरोजगार योजना के अंतर्गत महिलाओं को ₹2 लाख तक की सहायता राशि दी जाएगी, जिससे वे अपना छोटा व्यवसाय, दुकान या उद्योग शुरू कर सकेंगी। सरकार का कहना है कि इससे महिलाओं को न सिर्फ आर्थिक स्थिरता मिलेगी, बल्कि वे स्थानीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ बनेंगी।

एनडीए ने यह भी वादा किया है कि महिला उद्यमियों के लिए आसान बैंक ऋण, डिजिटली ट्रेनिंग और ऑनलाइन मार्केटिंग प्लेटफॉर्म की व्यवस्था की जाएगी। इससे बिहार की महिलाएं आत्मनिर्भरता की दिशा में कदम बढ़ा सकेंगी और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन को बढ़ावा मिलेगा।

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अगर दोनों घोषणापत्रों की तुलना की जाए तो महागठबंधन का फोकस सीधा “नकद सहायता” और सामाजिक सम्मान पर है, जबकि एनडीए का फोकस “आर्थिक सशक्तिकरण और उद्यमिता” पर अधिक दिखाई देता है। 

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