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बिहार चुनाव 2025: लोकसभा में हारे अब विधानसभा में दांव- 18 उम्मीदवार दोबारा आजमा रहे किस्मत

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में 18 लोकसभा हारने वाले उम्मीदवार फिर से मैदान में हैं। सबसे ज्यादा दांव RJD ने लगाया है, जबकि जदयू, भाजपा, कांग्रेस और वाम दलों ने भी अपने हारे हुए चेहरों को मौका दिया है।

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YBN Bihar Desk
Bihar Assembly Election

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का राजनीतिक परिदृश्य दिलचस्प मोड़ पर है। इस बार कई ऐसे चेहरे मैदान में हैं जो हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव 2024 में जीत से बस एक कदम दूर रह गए थे। अब वही दावेदार दोबारा सियासी किस्मत आजमाने उतर चुके हैं। आंकड़े बताते हैं कि ऐसे 23 नेता या उनके परिजन विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार हैं, जिनमें से 18 खुद मैदान में हैं और पांच ने अपने परिजनों को टिकट दिलवाया है। सबसे ज्यादा उम्मीदवार राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने उतारे हैं, जिसने इन ‘रनर-अप’ चेहरों पर सबसे बड़ा दांव लगाया है।

राजनीति में कहा जाता है कि हार कभी अंतिम नहीं होती। इस बार राजद, जदयू और भाजपा- तीनों ने इसे साबित करने की कोशिश की है। लोकसभा चुनाव में हार झेलने वाले उम्मीदवारों में 12 राजद, चार जदयू, दो भाजपा, एक कांग्रेस, एक भाकपा माले, एक भाकपा, एक माकपा और एक वीआईपी के हैं। इनमें से कई उम्मीदवार अपने क्षेत्रों में प्रभावशाली माने जाते हैं, जबकि कुछ अपने सामाजिक समीकरण और परिवारिक विरासत के दम पर मैदान में हैं।

वाल्मीकिनगर लोकसभा में 98,675 वोट से हारे दीपक यादव अब नरकटियागंज से राजद के टिकट पर मैदान में हैं। सुपौल से 1.70 लाख वोट से हारे चंद्रहास चौपाल सिंहेश्वर (सुरक्षित) सीट से लड़ रहे हैं। उजियारपुर से हार चुके आलोक मेहता फिर उसी नाम के विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार हैं, जबकि मुंगेर की हार के बाद राजद की कुमारी अनिता को वारिसलीगंज से टिकट मिला है।

अररिया के शाहनवाज आलम जोकीहाट से, बांका के जयप्रकाश नारायण यादव झाझा से, दरभंगा के ललित कुमार यादव दरभंगा ग्रामीण से और गया के कुमार सर्वजीत बोधगया से मैदान में हैं। वहीं, मधुबनी के अली अशरफ फातमी के बेटे फराज फातमी केवटी से, वैशाली के मुन्ना शुक्ला की बेटी शिवानी शुक्ला लालगंज से और सीवान की हेना शहाब के बेटे ओसामा शहाब रघुनाथपुर से राजद प्रत्याशी हैं।

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जदयू और भाजपा ने भी लोकसभा में हारे अपने उम्मीदवारों पर भरोसा जताया है। जदयू ने जहानाबाद में हारे चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी को टिकट दिया है, जबकि कटिहार से हारे दुलालचंद गोस्वामी अब कदवा से चुनाव लड़ रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि जदयू के दो लोकसभा प्रत्याशी अब राजद के टिकट पर हैं - किशनगंज के मुजाहिद आलम कोचाधामन से और पूर्णिया के संतोष कुशवाहा धमदाहा से। भाजपा की ओर से पाटलिपुत्र से हारे रामकृपाल यादव अब दानापुर से, जबकि बक्सर से हारे मिथिलेश तिवारी बैकुंठपुर से उम्मीदवार हैं।

कांग्रेस और वाम दलों ने भी हार को नया अवसर बनाया है। भागलपुर से हारे अजीत शर्मा फिर भागलपुर से, भाकपा माले के संदीप सौरव पालीगंज से और सीपीआई के अवधेश राय बछवाड़ा से मैदान में हैं। माकपा ने खगड़िया के संजय कुमार के भाई अजय कुमार को विभूतिपुर से उम्मीदवार बनाया है।

इस चुनाव में दिलचस्प पहलू यह भी है कि दो मौजूदा सांसदों के बेटे और बेटियां भी मैदान में हैं। जदयू सांसद लवली आनंद के बेटे चेतन आनंद नवीनगर से भाजपा टिकट पर जबकि लोजपा (रा) सांसद वीणा देवी की बेटी कोमल सिंह गायघाट से जदयू प्रत्याशी हैं।

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