/young-bharat-news/media/media_files/2025/11/10/bihar-election-2025-nda-vs-mahagathbandhan-2025-11-10-13-40-23.jpg)
बिहार चुनाव 2025 : क्या है 122 सीटों का SWOT विश्लेषण, कौन मारेगा बाज़ी? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।बिहार विधानसभा चुनाव का दूसरा चरण NDA के 'नीतीश का काम-मोदी का नाम' और महागठबंधन के 'MY समीकरण' की सियासी ताक़त का महासंग्राम बन गया है। 122 सीटों पर 1302 उम्मीदवारों का भविष्य दांव पर है, जहां 7 करोड़ मतदाता फैसला करेंगे। यह महज़ चुनाव नहीं, बल्कि दो दशकों की सत्ताधारी पार्टी के एंटी-इंकम्बेंसी, बीजेपी की सवर्ण छवि और युवा तेजस्वी यादव की ज़ोरदार वापसी की कोशिशों का निर्णायक इम्तिहान है।
Young Bharat News के इस Explainer में जानते हैं कि SWOT (Strengths, Weaknesses, Opportunities, Threats) विश्लेषण क्या है? इस रण में सबसे कौन है सर्वाधिक मज़बूत, आइए समझते हैं।
बिहार की राजनीति हमेशा से जटिल समीकरणों, जातिगत गणित और ज़मीनी हकीकत पर टिकी रही है। दूसरे चरण का चुनाव, जिसके नतीजे 14 नवंबर को घोषित होंगे, राज्य की सियासी दिशा तय करने वाला है। एक तरफ़, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार JDU अपने 15 साल के 'सुशासन' और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी BJP के 'विकास एजेंडे' पर भरोसा जता रहे हैं, तो वहीं दूसरी ओर, राष्ट्रीय जनता दल RJD के युवा नेता तेजस्वी यादव, मुस्लिम-यादव MY समीकरण को मज़बूत करते हुए, दलित और अति-पिछड़ा वर्ग को साधने की कोशिश में हैं।
बिहार विधानसभा के दूसरे चरण में दोनों गठबंधनों की ताकत, कमज़ोरी, अवसर और खतरे SWOT का विश्लेषण, हमें बताएगा कि 2025 का सिंहासन किसके क़दम चूमेगा।
राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन NDA, जिसमें जनता दल यूनाइटेड और भारतीय जनता पार्टी BJP शामिल हैं, बिहार में अपनी सत्ता बचाने की हर मुमकिन कोशिश कर रहा है।
Strengths ताकत: सुशासन और संगठित आधार नीतीश कुमार का नेतृत्व और 'सुशासन'
JDU नेता नीतीश कुमार पिछले दो दशकों से बिहार की राजनीति के केंद्र में रहे हैं। उनकी पहचान 'सुशासन बाबू' की रही है। उनकी कल्याणकारी योजनाएं, जैसे बढ़ी हुई सामाजिक सुरक्षा पेंशन, महिलाओं को वित्तीय सहायता और बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाएं, उन्हें एक मज़बूत आधार देती हैं।
संगठित कार्यकर्ता आधार: बीजेपी और JDU का ज़मीनी स्तर पर मज़बूत और संगठित कार्यकर्ता नेटवर्क है। बीजेपी के साथ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ RSS और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ABVP जैसे अनुषांगिक संगठनों का समर्थन NDA के चुनावी तंत्र को महागठबंधन की तुलना में अधिक मजबूत बनाता है।
/filters:format(webp)/young-bharat-news/media/media_files/2025/11/10/nda-2025-11-10-13-46-02.jpg)
Weaknesses कमज़ोरी: सत्ता-विरोधी लहर और सवर्ण छवि
सत्ता-विरोधी Anti-Incumbency लहर का ख़तरा: नीतीश कुमार दो दशकों से सत्ता में हैं। इतने लम्बे समय तक सत्ता में रहने से स्वाभाविक तौर पर मतदाताओं के बीच एक सत्ता-विरोधी भावना Anti-Incumbency पैदा हो सकती है, जिसका सीधा फ़ायदा महागठबंधन को मिल सकता है।
बीजेपी की सवर्ण Upper Caste छवि: बिहार में जातिगत राजनीति हावी है, जहां 85 फ़ीसदी से ज़्यादा आबादी दलित और ओबीसी OBC समुदायों से है, जबकि सवर्ण जातियां 15 फ़ीसदी से कम हैं। बीजेपी को अब भी उच्च जातियों की पार्टी माना जाता है, जिससे अन्य समुदायों में उसकी लोकप्रियता सीमित हो जाती है। यह छवि दूसरे चरण में बीजेपी को नुकसान पहुंचा सकती है।
Opportunities अवसर: वोटबैंक का एकीकरण - विकास परियोजनाएं 'पीएम मोदी फैक्टर'
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा हाल ही में शुरू की गई विकास और बुनियादी ढांचा परियोजनाएं NDA के लिए एक बड़ा अवसर है। पीएम मोदी विधानसभा चुनाव से पहले ही इन परियोजनाओं को मंज़ूरी देकर सियासी समीकरण साध चुके हैं, जिससे मतदाताओं के बीच एक सकारात्मक संदेश गया है।
मतों का एकीकरण Consolidation: NDA अपने पारंपरिक समर्थकों, जिनमें उच्च जातियां और अति पिछड़े वर्ग शामिल हैं, के बीच वोटों का मज़बूत एकीकरण कर सकता है। नीतीश कुमार ने अति पिछड़े वर्ग के लिए काफ़ी काम किया है, जिससे यह वोटबैंक उनके पाले में मज़बूती से खड़ा है।
Threats खतरा: बाहरी और अंदरूनी चुनौती 'इंडिया ब्लॉक' का अभियान
RJD और कांग्रेस के नेतृत्व वाला 'महागठबंधन' बेरोजगारी, क़ानून-व्यवस्था और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर ज़ोरदार प्रचार कर रहा है, जो NDA के लिए चुनौती पैदा कर सकता है।
प्रशांत किशोर PK फैक्टर: प्रशांत किशोर के बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने के ऐलान ने NDA के पारंपरिक उच्च जाति वोट बैंक में सेंधमारी का खतरा बढ़ा दिया है, जिससे NDA का समर्थन कम हो सकता है।
महागठबंधन का SWOT विश्लेषण 'युवा' शक्ति और 'मंडल' विरासत
राष्ट्रीय जनता दल RJD के नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व वाला महागठबंधन, जिसमें कांग्रेस भी शामिल है, सत्ता में वापसी के लिए बेचैन है और ज़बरदस्त ज़ोर लगा रहा है।
/filters:format(webp)/young-bharat-news/media/media_files/2025/11/10/congress-mahagathbandhan-2025-11-10-13-46-31.jpg)
Strengths ताकत मज़बूत MY समीकरण और युवा तक पहुंच मज़बूत
MY समीकरण मुस्लिम-यादव MY समीकरण महागठबंधन की सबसे बड़ी ताक़त है। RJD और कांग्रेस का पूरा फोकस मुस्लिम और यादव मतदाताओं पर है, जिसे बिहार में सबसे मज़बूत समर्थन आधार माना जाता है। बिहार में MY समीकरण का वोट शेयर 32 फ़ीसदी माना जाता है, जो दूसरे चरण में निर्णायक साबित हो सकता है।
युवाओं तक पहुंच और करिश्माई नेतृत्व: तेजस्वी यादव ने ज़मीनी स्तर पर गतिविधियों में तेज़ी दिखाई है और खुद को गठबंधन के भीतर एक 'नैतिक आवाज़' के रूप में स्थापित किया है। युवाओं के बीच उनकी लोकप्रियता और महागठबंधन का CM चेहरा होना, उनके लिए एक बड़ा लाभ है। वह युवाओं के लिए रोजगार और पलायन का मुद्दा ज़ोरदार ढंग से उठा रहे हैं।
Weaknesses कमज़ोरी: सीट शेयरिंग का मनमुटाव और कांग्रेस का अभाव
महागठबंधन में रार: RJD की प्रभावशाली उपस्थिति और तेजस्वी यादव की बढ़ती लोकप्रियता बिहार में कांग्रेस के उभरने के प्रयासों पर भारी पड़ सकती है। सीट शेयरिंग के दौरान कांग्रेस और RJD के बीच सियासी मनमुटाव भी दिखा, जो ज़मीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं के मनोबल को प्रभावित कर सकता है।
कांग्रेस में लीडरशिप की कमी: कांग्रेस के पास बिहार में एक मज़बूत स्थानीय लीडरशिप का अभाव है, जो स्थानीय स्तर पर लोगों का समर्थन हासिल कर सके। इसके कारण, बिहार में कांग्रेस की छवि RJD की 'पिछलग्गू' बनकर रह गई है।
संगठनात्मक अनुशासन में कमी: उम्मीदवार चयन और अभियान समन्वय को लेकर गठबंधन में टकराव की ख़बरें हैं, जो संदेशों की सुसंगतता और संगठनात्मक अनुशासन को कमज़ोर कर सकती है।
Opportunities अवसर: मंडल का लाभ और जाति सर्वेक्षण का दांव
युवा जुड़ाव और मुद्दा-आधारित राजनीति रोजगार सृजन, परीक्षा सुधार और लोकतांत्रिक जवाबदेही जैसे मुद्दे कांग्रेस का ज़ोर बिहार की जेनरेशन ज़ेड आबादी के साथ खाता है। तेजस्वी इन मुद्दों को ज़ोरदार ढंग से उठा रहे हैं, जो उन्हें युवा वर्ग में लोकप्रिय बना रहा है।
जाति सर्वेक्षण का लाभ: RJD पिछड़े और वंचित समुदायों को संगठित करने के लिए सामाजिक न्याय के मुद्दे को धार दे रही है। राहुल गांधी भी बिहार में दलित-ओबीसी पर ही फोकस कर रहे हैं। इस तरह महागठबंधन को 'मंडल की विरासत' का लाभ मिल सकता है, जो दलित-अतिपिछड़े वर्ग को MY समीकरण से जोड़ने में मदद करेगा।
Threats खतरा: NDA का तंत्र और AIMIM का प्रभाव NDA का मज़बूत चुनावी तंत्र
NDA के लक्षित कल्याणकारी कार्यक्रम और मज़बूत संगठनात्मक ढांचा महागठबंधन के लिए एक बड़ी चुनौती है। NDA के कार्यकर्ता बूथ स्तर तक ज़्यादा मज़बूती से पैठे हुए हैं।
AIMIM का प्रभाव: असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM की उपस्थिति मुस्लिम वोटों को विभाजित कर सकती है, जिससे महागठबंधन की संभावनाओं पर असर पड़ सकता है। खासकर सीमांचल क्षेत्र में, जहां दूसरे चरण में वोटिंग है, यह एक गंभीर खतरा है।
122 सीटों का रण, फैसला 14 नवंबर को
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का यह दूसरा चरण NDA और महागठबंधन दोनों के लिए 'करो या मरो' की स्थिति वाला है। NDA अपनी 'डबल इंजन' सरकार की उपलब्धियों और सुशासन पर टिकी है, जबकि महागठबंधन अपने युवा नेता और जातिगत समीकरणों के सहारे वापसी की उम्मीद कर रहा है।
क्या नीतीश कुमार अपनी 'सुशासन' की विरासत बचा पाएंगे, या तेजस्वी यादव का 'युवा-न्याय' और 'मंडल' का दांव सफल होगा? जवाब 14 नवंबर को नतीजों के साथ मिलेगा।
Bihar Elections Phase2 | Sushasan Vs MY Samyikaran | Bihar elections 2025 | NDA vs Mahagathbandhan
/young-bharat-news/media/agency_attachments/2024/12/20/2024-12-20t064021612z-ybn-logo-young-bharat.jpeg)
Follow Us