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बिहार चुनाव में सोशल मीडिया पर बढ़ी सख्ती: राजद, भाजपा और कांग्रेस के 25 हैंडल्स पर केस, भड़काऊ और फेक पोस्ट पर ईओयू की बड़ी कार्रवाई

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच सोशल मीडिया पर आचार संहिता उल्लंघन के मामलों में ईओयू की कार्रवाई तेज हो गई है। राजद, भाजपा और कांग्रेस सहित 25 सोशल मीडिया हैंडल्स पर भड़काऊ व भ्रामक पोस्ट के आरोप में एफआईआर दर्ज की गई है।

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YBN Bihar Desk
Bihar Police Action social media handle bihar election

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के बीच सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर राजनीतिक जंग अब पुलिस की जांच के घेरे में आ गई है। चुनावी माहौल में भड़काऊ, भ्रामक और आपत्तिजनक सामग्री फैलाने को लेकर बिहार पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई (EOU) ने राजद, भाजपा और कांग्रेस सहित 25 सोशल मीडिया हैंडल्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन पर जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है।

ईओयू के एडीजी नैयर हसनैन खान और डीआईजी मानवजीत सिंह ढिल्लन ने बताया कि विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद अब तक 67 आपत्तिजनक लिंक की पहचान की गई है। इनमें से कई पोस्ट ऐसे पाए गए जो न केवल आचार संहिता का उल्लंघन करते थे, बल्कि समुदायों में वैमनस्य फैलाने की कोशिश भी कर रहे थे। इन मामलों में 21 एफआईआर दर्ज कराई गई है और जांच तेज कर दी गई है।

डीआईजी ढिल्लन ने बताया कि सोशल मीडिया पेट्रोलिंग सेल 24 घंटे सक्रिय है और हर संदिग्ध पोस्ट पर त्वरित कार्रवाई की जा रही है। अब तक 184 आपत्तिजनक पोस्ट और लिंक को विभिन्न प्लेटफॉर्म्स जैसे एक्स (पूर्व ट्विटर), फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब से हटवाया या ब्लॉक कराया गया है। उन्होंने कहा कि चुनावी प्रक्रिया को प्रभावित करने वाली सामग्री पर सख्त नजर रखी जा रही है और केंद्र सरकार को भी कई लिंक ब्लॉक करने का प्रस्ताव भेजा गया है।

चार यूट्यूब चैनलों पर एफआईआर दर्ज की गई है जिन पर समुदायों के बीच भय और विद्वेष फैलाने वाले गीत और वीडियो पोस्ट किए गए थे। ईओयू का मानना है कि ऐसी सामग्री चुनावी माहौल को प्रभावित कर सकती है और मतदाताओं को भड़काने के उद्देश्य से बनाई गई थी।

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AI और डीपफेक कंटेंट की निगरानी के लिए बना विशेष डेस्क

इस चुनाव में पहली बार आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित फेक वीडियो और डीपफेक कंटेंट के खिलाफ निगरानी के लिए अलग सेल बनाया गया है। डीआईजी ढिल्लन ने बताया कि अब तक 117 ऐसे फर्जी वीडियो हटाए जा चुके हैं, जबकि छह मामलों में एफआईआर दर्ज हुई है। इन वीडियोज में नेताओं के बयान और चेहरों को एडिट कर जनता को गुमराह करने की कोशिश की गई थी।

इस डेस्क के जरिए सोशल मीडिया पर रियल-टाइम एनालिसिस किया जा रहा है ताकि चुनावी माहौल में किसी भी फर्जी सूचना या वीडियो को फैलने से रोका जा सके। जांच एजेंसियां तकनीकी सहायता से इन फेक कंटेंट के स्रोत का पता लगाने में जुटी हैं।

साइबर अपराध और सिम ब्लॉकिंग पर भी कार्रवाई

एडीजी नैयर हसनैन खान ने बताया कि अक्टूबर महीने में अब तक सात कुख्यात साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। इसके साथ ही 249 मोबाइल नंबर ब्लॉक किए गए हैं ताकि संदिग्ध गतिविधियों पर रोक लगाई जा सके। अगस्त में 199 म्यूल बैंक खातों को भी संदिग्ध पाया गया है और उनके जरिए किए गए वित्तीय लेनदेन की जांच चल रही है।

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ईओयू ने बताया कि वर्तमान में 145 सोशल मीडिया हैंडल्स और चैनल्स को “क्लोज मॉनिटरिंग” में रखा गया है। इनमें 40 एक्स अकाउंट्स, 28 यूट्यूब चैनल्स और 77 अन्य डिजिटल प्रोफाइल शामिल हैं जो लगातार चुनावी कंटेंट प्रसारित कर रहे हैं।

डिजिटल चुनावी माहौल में बढ़ी जवाबदेही

बिहार चुनाव 2025 को देश का पहला ऐसा विधानसभा चुनाव माना जा रहा है जिसमें डिजिटल प्लेटफॉर्म का प्रभाव सबसे व्यापक रूप में दिख रहा है। ईओयू की कार्रवाई यह संकेत देती है कि अब चुनाव प्रचार केवल मैदानों में नहीं, बल्कि मोबाइल और स्क्रीन पर भी लड़ा जा रहा है।

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