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बिहार एक बार फिर लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व—विधानसभा चुनाव (Bihar Election) की तैयारी में है। चुनाव आयोग सितंबर के पहले सप्ताह में चुनाव की घोषणा कर सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, आयोग ने सभी ज़रूरी तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। संभावना है कि 243 विधानसभा सीटों पर इस बार भी तीन चरणों में मतदान कराया जाएगा, जैसा कि 2020 में हुआ था।
पिछले दो चुनावों की बात करें तो समयबद्धता साफ दिखाई देती है। 2015 में चुनाव की घोषणा 9 सितंबर को की गई थी, वहीं 2020 में यह घोषणा कोविड महामारी के कारण थोड़ी देर से, यानी 25 सितंबर को हुई थी। मौजूदा हालात सामान्य हैं और वर्तमान विधानसभा का कार्यकाल 22 नवंबर 2025 को समाप्त हो रहा है। इसलिए आयोग पहले ही चुनाव की घोषणा कर सकता है।
2020 के चुनाव तीन चरणों में हुए थे, जिनमें 28 अक्टूबर को पहले चरण में 16 जिलों की 71 सीटों पर मतदान हुआ, 3 नवंबर को दूसरे चरण में 17 जिलों की 94 सीटों पर और 7 नवंबर को तीसरे चरण में 15 जिलों की 78 सीटों पर वोट डाले गए। परिणाम 10 नवंबर को घोषित हुए थे।
2015 का चुनाव पांच चरणों में संपन्न हुआ था
- पहला चरण 12 अक्टूबर
- दूसरा 16 अक्टूबर
- तीसरा 28 अक्टूबर
- चौथा 1 नवंबर
- अंतिम चरण 5 नवंबर को हुआ था।
इन चरणों में कुल 243 सीटों पर वोटिंग हुई और परिणाम 8 नवंबर को घोषित हुए थे।
इस बार आयोग की कोशिश है कि चुनाव प्रक्रिया शांतिपूर्वक, पारदर्शी और समय पर संपन्न हो। जैसे ही चुनावों की आधिकारिक घोषणा होगी, आदर्श आचार संहिता लागू हो जाएगी, जिससे सरकार के फैसलों, घोषणाओं और चुनाव प्रचार पर नियमन लागू हो जाएगा। इसके अलावा, सुरक्षा व्यवस्था, मतदान केंद्रों की तैयारी, ईवीएम की जांच और पोलिंग स्टाफ की ट्रेनिंग जैसे अहम पहलुओं पर भी तेजी से काम चल रहा है।
राजनीतिक दृष्टिकोण से देखें तो यह चुनाव सिर्फ सत्ता परिवर्तन का मौका नहीं, बल्कि जनता के लिए यह तय करने का समय होगा कि अगला नेतृत्व कैसा हो—स्थिरता देने वाला या बदलाव लाने वाला। सत्तारूढ़ गठबंधन और विपक्ष दोनों ही अपनी रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं।
2025 का चुनाव बिहार की सियासत के लिए निर्णायक साबित हो सकता है। अब सबकी निगाहें आयोग की अधिसूचना पर टिकी हैं, जो अगले कुछ हफ्तों में चुनावी बिगुल फूंक सकती है।