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पप्पू यादव की सियासी पैंतरेबाजी से तेजस्वी यादव का हाल बेहाल! क्या है 'साइबर पक्षी' वाला जुमला?

पप्पू यादव ने तेजस्वी के करीबी 'बाहरी' मंत्री को 'साइबर पक्षी' कहकर बिहार चुनाव 2025 में नया बवाल खड़ा किया है। उन्होंने 20 साल के शासन को बदलकर परिवर्तन का संकल्प लेने को कहा। जानिए तेजस्वी यादव को पप्पू यादव ने कैसे घेरा और क्या चुनावी ड्रामेबाजी का सच?

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Ajit Kumar Pandey
पप्पू यादव की सियासी पैंतरेबाजी से तेजस्वी यादव का हाल बेहाल! क्या है 'साइबर पक्षी' वाला जुमला? | यंग भारत न्यूज

पप्पू यादव की सियासी पैंतरेबाजी से तेजस्वी यादव का हाल बेहाल! क्या है 'साइबर पक्षी' वाला जुमला? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बजते ही सियासी पारा हाई है। पूर्णिया सांसद पप्पू यादव ने तेजस्वी यादव के एक करीबी, जो झारखंड सरकार में मंत्री हैं, को 'साइबर पक्षी' कहकर तंज कसा है। कहलगांव की नामांकन सभा में पप्पू यादव ने जनता से 'बाहरी' नेताओं से सावधान रहने की अपील की, जो चुनाव आते ही जनता को ठगने आते हैं। उन्होंने स्थानीय उम्मीदवार और महागठबंधन प्रत्याशी प्रवीण सिंह कुशवाहा को जिताने के लिए भावनात्मक अपील की। 

कहलगांव, भागलपुर बिहार की राजनीति में एक बार फिर भावनात्मक और स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा गरमा गया है। इस बार निशाने पर हैं राष्ट्रीय जनता दल RJD नेता तेजस्वी यादव के एक करीबी और झारखंड सरकार के मंत्री। पूर्णिया के दमदार सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने खुले मंच से उन्हें 'साइबर पक्षी' कहकर नया राजनीतिक मुहावरा दे दिया है। 

सोमवार को कहलगांव के एसएसवी कॉलेज मैदान में कांग्रेस द्वारा आयोजित नामांकन सभा में पप्पू यादव का यह हमला न सिर्फ तीखा था, बल्कि सीधे तौर पर क्षेत्रवाद की भावना को हवा देने वाला था। 'साइबर पक्षी' कौन है, जो चुनाव आते ही उड़कर आया है? 

पप्पू यादव ने बिना नाम लिए, लेकिन सीधा संकेत देते हुए कहा कि ये लोग दिन-रात झारखंड में रहते हैं। उनका कहलगांव या बिहार की जनता से कोई सीधा, ज़मीनी जुड़ाव नहीं है। "विधानसभा चुनाव का बिगुल बजते ही ये साइबर पक्षी की तरह उड़कर जनता को ठगने आए हैं। मतदाताओं को ऐसे तत्वों से सावधान रहने की जरूरत है।" 

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इस बयान के पीछे की राजनीति साफ़ है- विपक्षी खेमे को 'बाहरी' साबित करके स्थानीय उम्मीदवार प्रवीण सिंह कुशवाहा के लिए ज़मीन तैयार करना। यह सीधे तौर पर मतदाताओं की उस भावना को छूता है, जहां वे अपने 'बेटे' को ही अपना नेता चुनना चाहते हैं। 

'प्रवीण मूलधन हैं, तो मैं सूद हूं' भावनात्मक दांव 

पप्पू यादव ने केवल बाहरी पर वार नहीं किया, बल्कि स्थानीय उम्मीदवार प्रवीण सिंह कुशवाहा के लिए एक ऐसा भावनात्मक सहारा बनाया, जो सीधे जनता के दिल को छू जाए। उन्होंने कहा, "प्रवीण मूलधन है, तो मैं सूद हूं। यदि प्रवीण काम नहीं करेगा तो हम करेंगे।" 

यह बयान न केवल प्रवीण के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है, बल्कि कहलगांव की जनता को यह भरोसा भी दिलाता है कि उम्मीदवार कोई भी हो, उनका समर्थन सांसद पप्पू यादव का रहेगा। यह एक मजबूत विश्वास का संदेश है, खासकर तब जब मतदाता एक मजबूत नेता का चेहरा ढूंढ़ रहे हों। 

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कांग्रेस की विरासत और 'परिवर्तन का संकल्प' 

पप्पू यादव ने अपने भाषण में सिर्फ चुनावी समीकरणों की बात नहीं की, बल्कि कांग्रेस की ऐतिहासिक विरासत को भी भुनाया। उन्होंने याद दिलाया कि इंदिरा आवास, मनरेगा, सामाजिक सुरक्षा पेंशन जैसी योजनाएं कांग्रेस की देन हैं। उन्होंने राजीव गांधी को याद करते हुए कहा कि देश को आईटी हब बनाने का काम कांग्रेस ने किया। यह एक तरह से वर्तमान में 'साइबर पक्षी' पर तंज कसते हुए, देश में डिजिटल क्रांति लाने का श्रेय लेने जैसा था। भाषण का केंद्र बिंदु रहा 'परिवर्तन का संकल्प'। 

पप्पू यादव ने सीधे जनता से अपील की 20 वर्षों का शासन आपने देखा है। इस बार सरकार बदल दीजिए। यह चुनाव बदलाव का संकल्प है। यह सीधा हमला पिछले कई वर्षों से सत्ता में काबिज राजनीतिक दलों पर था, और मतदाताओं को एक नए विकल्प के लिए प्रेरित करने की कोशिश थी। 

सेवा बनाम भ्रष्ट व्यवस्था: उम्मीदवार का नारा 

महागठबंधन प्रत्याशी प्रवीण सिंह कुशवाहा ने भी अपने भाषण को भावनात्मक और ज़मीनी रखा। उनका नारा ही बताता है कि वह किस तरह की राजनीति करना चाहते हैं "कहलगांव मेरा घर, मेरा परिवार है।" उनका मुख्य मकसद सेवा है। उन्होंने इस चुनाव को 'जनता बनाम भ्रष्ट व्यवस्था' की लड़ाई बताया। उनका संकल्प है कि वह जनता की आवाज़ को विधानसभा तक पहुंचाएंगे। 

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प्रवीण कुशवाहा का यह दृष्टिकोण पप्पू यादव के 'साइबर पक्षी' वाले बयान के साथ मिलकर एक मजबूत स्थानीय नैरेटिव तैयार करता है स्थानीय बेटा बनाम बाहरी पक्षी, सेवा बनाम भ्रष्ट व्यवस्था। क्यों वायरल हो रहा है 'साइबर पक्षी' जुमला? 

राजनीतिक ड्रामा: तेजस्वी के करीबी पर पप्पू यादव का सीधा वार: यह जुमला न केवल बिहार चुनाव की गर्मी बढ़ाएगा, बल्कि यह भी तय करेगा कि आने वाले दिनों में और कितने नेता 'बाहरी' का ठप्पा झेलने वाले हैं। 

कहलगांव की पहचान और भविष्य का एजेंडा: पप्पू यादव ने यह भी याद दिलाया कि कहलगांव की पहचान में सुपर थर्मल पावर का कितना बड़ा योगदान है। यह दिखाता है कि नेता सिर्फ भावनात्मक अपील नहीं कर रहे, बल्कि विकास और पहचान के मुद्दों को भी छू रहे हैं। 

पप्पू यादव ने बाढ़, कटाव, आपदा और कोरोना के दौरान लोगों की मदद करने के अपने व्यक्तिगत प्रयासों का भी ज़िक्र किया। 

बिहार चुनाव में नया नैरेटिव सेट: पप्पू यादव ने कहलगांव की सभा से एक तीर से कई निशाने साधे हैं। उन्होंने न केवल अपने उम्मीदवार के लिए ज़मीन तैयार की, बल्कि तेजस्वी यादव के खेमे पर एक नया, डिजिटल और वायरल जुमला उछालकर विपक्ष को बैकफुट पर धकेलने की कोशिश की है। 

'साइबर पक्षी' अब बिहार की चुनावी शब्दावली का हिस्सा बन चुका है, और यह देखना दिलचस्प होगा कि RJD और तेजस्वी यादव इस 'बाहरी बनाम स्थानीय' के भावनात्मक जाल से कैसे निकलते हैं। 

विधानसभा चुनाव 2025 का यह पहला बड़ा और वायरल जुमला है, जिसने पूरे राज्य का ध्यान खींचा है। 

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