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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः बिहार विधानसभा चुनावों के लिए सीटों का बंटवारा NDA के लिए एक चुनौती हो सकती है। ताजातरीन हालातों को देखने से लगता है कि इसकी प्रमुख सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 2020 के चुनावों में अपने प्रदर्शन के आधार पर कई ऐसी सीटों पर दावा ठोकने की जुगत में है जिन पर चुनाव लड़ने की तैयारी नीतीश कुमार या उनके सहयोगी दल कर चुके हैं।
2020 असेंबली चुनावों से पहले NDA से बाहर आ गए थे चिराग
लोजपा ने 2020 का चुनाव अपने दम पर लड़ा था। नीतीश के साथ मतभेदों का हवाला देते हुए तब चिराग ने एनडीए छोड़ दिया था। उस दौरान भाजपा, जेडी(यू), वीआईपी और हम (एस) एनडीए का हिस्सा थे। भाजपा ने 243 सीटों में से 110 पर चुनाव लड़ा और उनमें से 74 पर जीत हासिल की।जेडी(यू) ने 115 सीटों पर चुनाव लड़ा और 43 पर जीत हासिल की।वीआईपी ने 13 सीटों पर चुनाव लड़ा और 4 पर जीत हासिल की। जबकिहम (एस) ने अपनी सात सीटों में से चार पर जीत हासिल की थी।
केवल 1 सीट जीतने वाली लोजपा ने नीतीश को हरा दी थीं कई सीटें
एनडीए से बाहर निकलने के बाद चिराग ने खुले तौर पर नीतीश को निशाना बनाया था। 2020 के चुनावों में एलजेपी ने जेडी(यू) को जोरदार तरीके से चुनौती दी थी। हालांकि तब एलजेपी ने खुद सिर्फ एक सीट जीती थी। लेकिन ऐसा कहा जाता है कि जेडी(यू) की कई सीटों पर हार में इसकी अहम भूमिका रही। 2024 के लोकसभा चुनावों से कुछ महीने पहले 2023 में एलजेपी (आरवी) एनडीए में वापस आ गई। चिराग के लिए साझेदारी फायदेमंद रही। उनकी पार्टी ने जिन पांच लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा, उन सभी पर जीत हासिल की। नतीजतन उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार 3.0 में मंत्री के तौर पर शामिल किया गया।
समझिए वोटों के नजरिये से 2020 की जीत हार का समीकरण
2020 के चुनाव पर गौर किया जाए तो आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य की कुल 243 सीटों में से कम से कम 38 सीटें ऐसी हैं, जहां एनडीए के सहयोगी दल प्रतिस्पर्धात्मक दावे कर सकते हैं। चिराग पासवान की अगुवाई वाली लोजपा के नेता कह रहे हैं कि पार्टी उन सीटों पर दावा करने को तैयार है, जहां 2020 में उसके उम्मीदवारों ने अच्छा प्रदर्शन करके जनता दल (यूनाइटेड) को नुकसान पहुंचाया था। आंकड़े बताते हैं कि 2020 के चुनावों में लोजपा को 38 में से 32 सीटों पर नीतीश की जेडी(यू) से अधिक वोट मिले थे। इन 32 सीटों में से कम से कम 26 सीटों पर लोजपा को उस अंतर से अधिक वोट मिले थे, जिससे जेडी(यू) सीटें हारी थी। पांच अन्य सीटों पर लोजपा दूसरे स्थान पर रही थी। बची हुई एक सीट मैथानी को लोजपा ने मामूली अंतर से जीता था।
जेडीयू भी मान रही कि चिराग पैदा कर सकते हैं मुश्किल
लोजपा (आरवी) के एक प्रमुख नेता ने कहा कि 2020 में जब जेडीयू भाजपा के साथ गठबंधन में थी तब एलजेपी (आरवी) ने स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ा था। फिर भी वो सीटें हार गए। अगर एलजेपी को वो सीटें मिल जाती हैं तो एनडीए विपक्ष को आसानी से हरा सकता है। सीटों के लिए बातचीत के दौरान अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए लोजपा (आरवी) 8 जून से बिहार के विभिन्न हिस्सों में बैठकें आयोजित करने जा रही है, जिन्हें वह संकल्प सभा कह रही है।जेडीयू भी एलजेपी (आरवी) के रुख को लेकर सतर्क है। जेडीयू के एक नेता ने कहा कि एलजेपी (आरवी) के एनडीए में होने के कारण आगामी विधानसभा चुनावों के लिए सीटों का बंटवारा मुश्किल होने जा रहा है।
लोजपा प्रवक्ता ने दिए सीटों पर दावा करने के संकेत
चिराग की किस्मत बदलने का काम 2024 चुनाव ने किया। जहां उनका स्ट्राइक रेट 100 का रहा। एलजेपी की किस्मत बदलने के बाद चिराग से अब सीट बंटवारे की बातचीत में आक्रामक रुख अपनाने की उम्मीद की जा रही है। 2020 में लोजपा (आरवी) ने जेडी (यू) को जिन सीटों पर हराया था, उन पर दावों के बारे में पूछे जाने पर लोजपा (आरवी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता धीरेंद्र कुमार सिन्हा ने कहा कि जीतने की क्षमता को ध्यान में रखा जाएगा। सिन्हा ने कहा कि सीटों के बंटवारे में सामाजिक समीकरण और पिछले चुनावों में प्रदर्शन प्रमुख मानदंड होंगे।
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