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बिहार की राजनीति में आज का दिन बेहद अहम साबित हो सकता है। महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे पर चल रही खींचतान को सुलझाने के लिए राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके पुत्र तेजस्वी यादव रविवार को दिल्ली रवाना हो गए। दोनों आज दिल्ली में कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से मुलाकात कर सीट शेयरिंग पर अंतिम फैसला करने की कोशिश करेंगे।
लालू और तेजस्वी की यह यात्रा दो कारणों से अहम मानी जा रही है। पहला, कांग्रेस और राजद के बीच सीटों की संख्या को लेकर पिछले कई दिनों से गतिरोध बना हुआ है। दूसरा, लालू यादव को 13 अक्टूबर को “लैंड फॉर जॉब” मामले में दिल्ली की अदालत में पेश होना है। इसलिए कयास लगाए जा रहे हैं कि अदालत में पेशी के बाद वह कांग्रेस के नेताओं से मुलाकात कर बिहार चुनाव को लेकर रणनीतिक समझौते पर मुहर लगा सकते हैं।
वैसे बिहार में महागठबंधन की सीटों का फार्मूला लगभग तय है लेकिन कुछ प्रमुख सीटों पर अभी भी असहमति बनी हुई है। कांग्रेस बिहार में अपनी पुरानी ताकत बहाल करने के लिए ज्यादा सीटों की मांग कर रही है, जबकि राजद का कहना है कि 2020 के चुनाव में जो प्रदर्शन हुआ था, उसी आधार पर सीटों का वितरण होना चाहिए।
इधर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह ने पटना में कहा कि गठबंधन में किसी तरह का विवाद नहीं है। उन्होंने बताया कि चर्चा लगभग पूरी हो चुकी है और आने वाले एक-दो दिनों में औपचारिक घोषणा कर दी जाएगी। अखिलेश सिंह के मुताबिक, ऐसी खींचतान हर गठबंधन में होती है, एनडीए में भी यही स्थिति है, इसलिए चिंता की कोई बात नहीं है।
महागठबंधन में सहयोगी दलों की अपनी-अपनी मांगें हैं। वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी ने उपमुख्यमंत्री पद की दावेदारी जताई है, जबकि पप्पू यादव ने सभी दलों को सीटों से ज्यादा जनता और विकास को प्राथमिकता देने की सलाह दी है। पप्पू यादव ने कहा कि बिहार का चुनाव नफरत और विनाश के खिलाफ राहुल गांधी के प्रेम, विकास और संघर्ष की ताकत का चुनाव होगा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि गठबंधन सर्वोपरि है, सीटें नहीं।
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