/young-bharat-news/media/media_files/2025/07/12/bihar-mahagathbandhan-meeting-2-2025-07-12-09-33-45.jpg)
बिहार की राजनीति अब खुलकर चुनावी मोड में आ चुकी है। एक ओर जहां सत्तारूढ़ एनडीए सरकार योजनाओं के ज़रिए जनता को जोड़ने में व्यस्त है, वहीं दूसरी तरफ विपक्षी महागठबंधन जनता के बीच अपनी मज़बूत उपस्थिति दर्ज कराने के लिए रणनीति पर रणनीति बना रहा है। इसी क्रम में आज राजधानी पटना में पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के सरकारी आवास पर महागठबंधन की एक निर्णायक बैठक हो रही है, जिसमें साझा घोषणा पत्र को अंतिम रूप देने की कवायद चल रही है।
हालांकि ये बैठक महज़ घोषणा पत्र पर चर्चा तक सीमित नहीं है। सूत्रों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से उपजे राजनीतिक परिदृश्य पर भी गहन विचार किया जाएगा। महागठबंधन इस बात को लेकर चिंतित है कि एनडीए सरकार की हालिया नीतियां कई परंपरागत मुद्दों को जनता के सामने कमजोर बना चुकी हैं। ऐसे में एक ऐसा घोषणापत्र तैयार करना जरूरी हो गया है जो मतदाताओं की भावनाओं को सीधे छू सके।
तेजस्वी यादव की अध्यक्षता में हो रही इस बैठक का विशेष महत्व है, क्योंकि यह उनके नेतृत्व में हो रही पाँचवीं समन्वय बैठक है। पिछली बैठकों में संगठनात्मक ढांचे को दुरुस्त करने, पंचायत स्तर तक समन्वय समितियां बनाने और साझा आंदोलन की सहमति पर ज़ोर दिया गया था। इस बार की बैठक में रणनीतिक फैसले लेने की पूरी संभावना है, जिनमें रैलियों, जनसभाओं और मतदाता संवाद कार्यक्रमों की रूपरेखा प्रमुख होगी।
सूत्र बताते हैं कि इस घोषणापत्र में सामाजिक न्याय, महिला सशक्तिकरण और गरीब वर्ग को आर्थिक सहारा देने वाली योजनाओं को प्राथमिकता मिलेगी। "माई-बहिन मान योजना" के तहत महिलाओं को ₹2500 मासिक भत्ता, सामाजिक पेंशन को ₹1500 तक बढ़ाना, ₹500 में रसोई गैस सिलेंडर, 200 यूनिट मुफ्त बिजली जैसे वादे शामिल हो सकते हैं। साथ ही, निषाद समाज को अनुसूचित जाति में शामिल करने और भूमि सुधारों को प्रभावी ढंग से लागू करने जैसे वादों पर भी विचार हो रहा है।
महागठबंधन का यह भी मानना है कि यदि इन वादों को सही तरीके से प्रस्तुत किया जाए, तो यह सीधे तौर पर नीतीश कुमार सरकार की घोषणाओं की काट बन सकते हैं। बैठक में RJD और कांग्रेस के शीर्ष नेताओं के साथ साथ वाम दलों के प्रतिनिधि भी मौजूद हैं, जो समन्वय समिति और उप-समितियों के माध्यम से अपनी राय साझा कर रहे हैं।
एक और दिलचस्प पहलू यह है कि इस बैठक के बाद महागठबंधन आगामी दिनों में एक नया जनांदोलन शुरू कर सकता है, जिसकी रणनीति सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसलों और राज्य सरकार की नीतियों के विरोध पर आधारित होगी।