बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सियासी बिसात तेज होती जा रही है, और इस बार चर्चा के केंद्र में है मतदाता सूची का पुनरीक्षण, जिसे लेकर विपक्षी दल खासकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) और तेजस्वी यादव सरकार पर आरोपों की बौछार कर रहे हैं। वहीं, NDA के सहयोगी और केंद्र सरकार में मंत्री जीतनराम मांझी ने इस मुद्दे पर खुलकर बयान देते हुए तेजस्वी यादव पर तीखा हमला बोला है।
मांझी का तर्क साफ है कि वोटर वेरिफिकेशन से घबराने की जरूरत उन्हीं को है जिनके पास फर्जी वोटरों की फौज खड़ी है। उन्होंने दावा किया कि बिहार के कई विधानसभा क्षेत्रों में 25 से 30 हजार तक फेक वोटर मौजूद हैं, और चुनाव आयोग की इस कार्रवाई से जब उनके नाम हटाए जाएंगे, तो शोर मचाना स्वाभाविक है।
यह बयान न सिर्फ बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ लाता है बल्कि यह संकेत भी देता है कि NDA अब "फर्जी वोटर बनाम असली वोटर" के नैरेटिव को चुनावी मुद्दा बनाने की तैयारी में है। मांझी ने कहा कि यदि विपक्ष के सारे वोटर सही हैं, तो उन्हें वेरिफिकेशन प्रक्रिया से डर क्यों है?
इतना ही नहीं, मांझी ने इस मौके पर तेजस्वी यादव और लालू यादव पर भी निशाना साधा। उन्होंने लालू यादव के लाठी बांटने वाले अतीत को याद करते हुए कहा कि तेजस्वी अब कलम बांट रहे हैं, जबकि उन्हें लाठी ही बांटना चाहिए, ताकि लोगों को असलियत का एहसास हो सके। मांझी ने कहा कि "बिहार की 70% ज़मीन किनके पास है, अगर ये देख लिया जाए तो बहुत कुछ साफ हो जाएगा।"
अपने बयानों में मांझी ने यह भी चेतावनी दी कि यदि तेजस्वी को दोबारा सत्ता मिली तो बिहार में "गृहयुद्ध जैसी स्थिति" उत्पन्न हो सकती है। उनका यह बयान निश्चित तौर पर राजनीतिक हलकों में गर्मी बढ़ा देगा।
मीडिया से बात करते हुए मांझी ने कहा कि बढ़ते अपराध और बलात्कार जैसी घटनाओं के लिए RJD जिम्मेदार है क्योंकि उन्होंने जब सत्ता में थे, तब भी बिहार को जंगलराज की ओर धकेला था।