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Bihar Voting Phase 1 : विजय सिन्हा के बाद एक और विधायक पर पर हमला! क्या है पूरा मामला? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के मतदान के दौरान राज्य में राजनीतिक हमले तेज हो रहे हैं। डिप्टी सीएम विजय सिन्हा के काफिले पर हमले की सनसनी अभी थमी भी नहीं थी कि सारण छपरा जिले की मांझी विधानसभा सीट से CPI ML प्रत्याशी डॉ. सत्येंद्र यादव की स्कॉर्पियो गाड़ी पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया। बूथ पर झड़प और फिर गाड़ी के शीशे तोड़े जाने की इस घटना ने चुनावी सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या है इस पूरे मामले की इनसाइड स्टोरी और क्यों बढ़ रही है चुनावी हिंसा?
चुनावी रण में डिप्टी सीएम के बाद विधायक भी निशाने पर बिहार चुनाव 2025 महज़ एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि इस बार यह अराजकता और चुनावी हिंसा का मैदान बनता दिख रहा है। जिस तरह से मतदान के दिन प्रशासनिक व्यवस्था के सामने ही एक के बाद एक हाई-प्रोफाइल घटनाएं हो रही हैं, उसने मतदाताओं को डरा दिया है।
पहले लखीसराय में डिप्टी सीएम विजय सिन्हा के काफिले को निशाना बनाया गया। यह घटना बताती है कि सियासी रंजिश किस हद तक जा चुकी है। यह मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि सारण जिले की मांझी विधानसभा में एक और तनावपूर्ण घटना सामने आई। इस बार निशाना बने महागठबंधन के सीपीआई एमएल प्रत्याशी डॉ. सत्येंद्र यादव, जो वर्तमान में मांझी से विधायक भी हैं। सवाल यह है कि अगर डिप्टी सीएम और मौजूदा विधायक ही सुरक्षित नहीं हैं, तो आम मतदाता सुरक्षा के बीच कैसे वोट डालेगा?
जैतपुर बूथ पर तनाव, विधायक की गाड़ी हुई चकनाचूर
यह घटना तब हुई जब मांझी के विधायक डॉ. सत्येंद्र यादव, जैतपुर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय स्थित मतदान केंद्र का जायजा लेने पहुंचे थे। यह एक संवेदनशील इलाका माना जाता है। मतदान केंद्र पर उनकी कुछ स्थानीय लोगों से बहस हो गई। कहासुनी इतनी तेज़ी से बढ़ी कि कुछ ही पलों में यह धक्का-मुक्की और फिर बवाल में बदल गई। मौके का फायदा उठाकर, कुछ लोगों ने विधायक की स्कॉर्पियो गाड़ी को निशाना बनाया। देखते ही देखते उनकी गाड़ी के शीशे चकनाचूर कर दिए गए।
घटनास्थल: जैतपुर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मतदान केंद्र, मांझी, सारण।
निशाना: सीपीआई एमएल प्रत्याशी डॉ. सत्येंद्र यादव की स्कॉर्पियो।
नुकसान: गाड़ी के शीशे बुरी तरह टूटे, क्षेत्र में अफरा-तफरी का माहौल।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, स्थिति इतनी तेज़ी से बिगड़ी कि सुरक्षाकर्मियों को भी हालात संभालने में कुछ देर लगी। यह साफ़ तौर पर दिखाता है कि चुनावी माहौल में छोटी सी चिंगारी भी कितनी बड़ी आग लगा सकती है।
प्रशासन हुआ सक्रिय, लेकिन क्यों चूक रही इंटेलिजेंस?
घटना की सूचना मिलते ही पूरा प्रशासनिक अमला सकते में आ गया। एडीपीओ ADPO डीसीएलआर DCLR एसडीओ SDO ये सभी वरिष्ठ अधिकारी तुरंत घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने न सिर्फ स्थिति को नियंत्रण में लिया, बल्कि तुरंत क्षेत्र की सुरक्षा व्यवस्था को "हाइपर-एलर्ट" मोड पर डाल दिया। प्रशासन ने तुरंत अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती का आश्वासन दिया है ताकि मतदान प्रक्रिया प्रभावित न हो। लेकिन यहां सबसे बड़ा सवाल इंटेलिजेंस की विफलता का है। जब राज्य के दो बड़े नेताओं पर मतदान के दिन, हाई-प्रोफाइल हमले होते हैं, तो यह सीधे तौर पर सुरक्षा एजेंसियों की नाकामी को दर्शाता है।
स्थानीय सूत्रों की मानें तो इस हमले के पीछे 'राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता' की गहरी आशंका है। मांझी विधानसभा सीट पर हमेशा से ही कड़ा मुकाबला रहा है।
वोटिंग के दिन हमला: मतदान के दिन ही इस तरह की घटनाएं मतदाताओं के मन में डर पैदा करती हैं। इसका सीधा उद्देश्य विरोधियों को मतदान केंद्र से दूर रखना या उन्हें मनोवैज्ञानिक रूप से कमजोर करना हो सकता है।
हाई-प्रोफाइल टारगेट: डिप्टी सीएम और मौजूदा विधायक को निशाना बनाना बताता है कि हमलावर केवल माहौल खराब नहीं करना चाहते, बल्कि वे एक 'सत्ता विरोधी' या 'हिंसा की राजनीति' का संदेश देना चाहते हैं।
सार्वजनिक स्थल पर हिंसा: यह हमला बूथ के पास हुआ, यानी जहां लोगों की भीड़ थी। यह एक सुनियोजित धमकी हो सकती है ताकि क्षेत्र के लोगों पर दबाव बनाया जा सके।
हालांकि, प्रशासन अब इस घटना की गहन जांच में जुट गया है। अधिकारियों का कहना है कि सीसीटीवी फुटेज और स्थानीय लोगों से पूछताछ के आधार पर दोषियों की पहचान की जा रही है और उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
बिहार चुनाव की पारदर्शिता बनाए रखने के लिए यह सुनिश्चित करना होगा कि किसी भी कीमत पर चुनावी हिंसा करने वालों को बख्शा न जाए। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के शुरुआती चरण की ये हिंसक घटनाएं चुनाव आयोग के लिए एक बड़ी चुनौती हैं। अब प्रशासन को न सिर्फ सुरक्षा व्यवस्था को अभूतपूर्व रूप से बढ़ाना होगा, बल्कि एक ऐसा माहौल बनाना होगा जहां मतदाता बिना किसी डर के मतदान कर सकें।
राजनीतिक दलों को भी अपने कार्यकर्ताओं को संयमित रखने की अपील करनी होगी ताकि लोकतंत्र का महापर्व हिंसा के साए में न आ जाए।
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