नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः प्रधानमंत्री के भाषणों में अक्सर परिवारवाद का जिक्र होता है। वो इसके जरिये विपक्ष पर निशाना साधते देखे जाते हैं। बिहार में उनके निशाने पर खासतौर पर लालू प्रसाद यादव और उनका परिवार होता है। लालू के लिए पीएम का ये आरोप खासी परेशानी पैदा करने वाला भी रहा है। लेकिन लगता है कि इस बात से लालू के परिवारवाद को निशाना बनाना उतना आसान नहीं होगा। इसकी वजह ये है कि सीएम नीतीश कुमार ने हाल में जो नियुक्तियां आयोगों में की हैं उन पर सिरे से सवालिया निशान लगाए जा रहे हैं। नीतीश ने जो फैसले हाल में लिए उनमें सहयोगी दलों के नेताओं के दामादों को खास तरजीह दी गई। उन्होंने जीतन राम मांझी, राम विलास पासवान और अशोक चौधरी के दामादों को नियुक्ति दी।
जानिए कौन कौन से दामाद लूट ले गए रेवड़ी
-सबसे पहले बात करते हैं दिवंगत राम विलास पासवान के दामादों की। उनके एक जमाई अरुण भारती लोक जन शक्ति पार्टी से सांसद हैं। नीतीश कुमार ने हाल ही में उनके दूसरे दामाद मृणाल पासवान को अनुसूचित जाति आयोग का अध्यक्ष बना दिया है।
-हम पार्टी के सर्वेसर्वा जीतनराम मांझी भी इस फेहरिस्त में शामिल हैं। जीतन राम खुद केंद्रीय मंत्री हैं। उनकी बहू दीपा मांझी इमामगंज से विधायक हैं। अब उनके परिवार को तीसरी रेवड़ी भी मिल गई है। उनके दामाद देवेंद्र मांझी को अनुसूचित जाति आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया है।
-नीतीश कुमार ने अपने मंत्री और करीबी अशोक चौधरी पर भी नजरे इनायत की है। उनकी बेटी शांभवी चौधरी सांसद हैं। नीतीश ने उनके दामाद सायन चौधरी को बिहार धार्मिक न्यायाधीश परिषद का अध्यक्ष बना दिया है।
नीतीश ने अपने पीएस की पत्नी को बनाया महिला आयोग का मेंबर
खास बात है कि बिहार चुनाव से ऐन पहले की गई नियुक्तियों में नीतीश कुमार को जो भी योग्य शख्स दिखाई दिए वो उनके नजदीकी लोगों से जुड़े हैं या दूसरी पार्टियों के अहम नेताओं के खासमखास हैं। नीतीश ने अपने प्रिंसिपल सेक्रेट्री दीपक प्रसाद की पत्नी महिला आयोग का सदस्य बनाया है। उनको शिक्षाविद के तौर पर आयोग में जगह दी गई। खास बात है कि दीपक कुमार की पत्नी ने आवेदन पत्र में पति के नाम की जगह पिता का नाम दर्ज किया था।
तेजस्वी बोले- नीतीश को बना देना चाहिए जमाई आयोग
बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का कहना है कि नीतीश कुमार ने जो फैसले लिए हैं उनको देखने के बाद यही कहा जा सकता है कि बिहार में अब जमाई आयोग बना देना चाहिए। उनका कहना है कि परिवारवाद के नाम पर पीएम मोदी उनके परिवार को निशाना बनाते हैं। लेकिन क्या उनको ये सब नहीं दिखता जो बिहार में चल रहा है। उनका कहना था कि नीतीश की सरकार में 50 फीसदी से ज्यादा लोग परिवारवाद की देन हैं। उन्होंने सवाल पूछा कि नीतीश कुमार ये बताएं कि कितने अफसरों की पत्नियों को सरकार में एडजस्ट किया गया है। कितने अफसरों के बेटे-बेटी विदेश में पढ़ने गए हैं। कितने अफसरों के परिजनों को बिहार सरकार में चोरी छिपे (कंसलटेंसी) समायोजित किया गया है।
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