बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की आहट के साथ ही राज्य की राजनीति में हलचल तेज़ हो गई है। इस बार चुनावी रणनीति में महागठबंधन की तैयारी बेहद रणनीतिक और जन आकांक्षाओं के अनुरूप नजर आ रही है। खासतौर पर महागठबंधन की साझा घोषणापत्र समिति की बैठकों में जो एजेंडा सामने आ रहा है, उससे यह स्पष्ट हो रहा है कि गठबंधन युवाओं, महिलाओं और गरीब तबकों को साधने की पूरी तैयारी में है।
सदाकत आश्रम में सोमवार को हुई बंद कमरे की बैठक में राजद, कांग्रेस और वाम दलों के प्रतिनिधि शामिल हुए, जिनमें सांसद सुधाकर सिंह भी उपस्थित थे। इस बैठक में खासतौर पर रोजगार, महिला कल्याण और सामाजिक न्याय से जुड़े मुद्दों पर गंभीर विमर्श हुआ।
इस बार के महागठबंधन के मेनिफेस्टो का फोकस तीन प्रमुख वर्गों पर केंद्रित है—युवा, महिला और सामाजिक रूप से वंचित तबका। रोजगार के मुद्दे को लेकर चर्चा का केंद्र ‘युवा आयोग’ रहा, जो राज्य में युवाओं की समस्याओं और रोज़गार से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करेगा। साथ ही परीक्षा के दौरान यात्रा व्यय की भरपाई जैसी व्यावहारिक समस्याओं को भी समाधान योग्य माना गया है।
महिलाओं को लेकर "मईया सम्मान योजना" और "माई बहन योजना" जैसे प्रस्तावों पर चर्चा हुई, जिनके तहत हर महिला को ₹2500 प्रतिमाह देने की बात सामने आई है। यह योजना सीधे एनडीए के महिला वोट बैंक को टारगेट करने की रणनीति मानी जा रही है। ज्ञात हो कि बिहार में महिला वोटरों की संख्या बड़ी है और वे एनडीए का परंपरागत समर्थन करती रही हैं।
ऊर्जा के क्षेत्र में, महागठबंधन ने 200 यूनिट तक मुफ्त बिजली देने का वादा किया है, जो ग्रामीण और निम्न मध्यमवर्गीय मतदाताओं को सीधे प्रभावित कर सकता है। शिक्षा क्षेत्र को सुदृढ़ करने के लिए वर्ल्ड क्लास यूनिवर्सिटी की स्थापना का भी संकल्प लिया गया है, जिससे बिहार के छात्रों को बाहर पलायन करने की आवश्यकता न हो।
महागठबंधन जातीय जनगणना का राजनीतिक लाभ लेने की भी कोशिश कर रहा है। इसके ज़रिए पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण की समीक्षा और संभावित वृद्धि पर विचार हो रहा है। इसके अलावा, स्कूलों में बच्चों को मुफ्त दूध और अंडा देने की योजना भी विचाराधीन है, जो पोषण और शिक्षा को साथ-साथ संबोधित करती है।
डोमिसाइल नीति पर भले ही कांग्रेस ने कोई स्पष्ट रुख नहीं अपनाया है, लेकिन राजद इसे लागू करने के पक्ष में पूरी तरह मुखर है। यह मुद्दा उन युवाओं के लिए संवेदनशील है जो बिहार से बाहर प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं और स्थानीयता की नीति को अपने भविष्य से जोड़ते हैं।