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बिहार की राजनीति अब धीरे-धीरे चुनावी मोड में आ रही है और महागठबंधन इस बार कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता। पटना में हुई महागठबंधन की दूसरी बैठक महज एक औपचारिकता नहीं, बल्कि आगामी विधानसभा चुनाव की गहरी रणनीतिक तैयारी का संकेत बनी।
चार समितियों का गठन
तेजस्वी यादव के नेतृत्व में गठबंधन ने चार अहम समितियों का गठन कर न केवल जिम्मेदारियों का बंटवारा किया, बल्कि यह संदेश भी दिया कि 2025 के चुनाव को लेकर महागठबंधन पूरी तरह संगठित होकर मैदान में उतर रहा है। इन समितियों में — अभियान, घोषणापत्र, मीडिया और सोशल मीडिया कमिटी शामिल हैं। यह पहली बार है जब बिहार में महागठबंधन ने डिजिटल और ग्राउंड लेवल दोनों स्तरों पर अभियान की स्पष्ट रूपरेखा तय की है।
गठबंधन में शामिल आरजेडी, कांग्रेस, भाकपा माले, सीपीआई, सीपीएम और वीआईपी जैसे दलों से इन समितियों के लिए नाम मांगे गए हैं, जिससे स्पष्ट है कि अब हर दल को ज़मीनी हिस्सेदारी के साथ सक्रिय भागीदारी भी देनी होगी।
4 मई को प्रस्तावित महाबैठक में सभी जिलाध्यक्ष, विधायक, सांसद और कार्यकर्ता शामिल होंगे। यह बैठक आगामी चुनावी रणनीति के लिए निर्णायक मानी जा रही है।
इसी बैठक के दौरान पहलगाम आतंकी हमले को लेकर निंदा प्रस्ताव भी पारित किया गया और तय हुआ कि शुक्रवार शाम को राज्यव्यापी कैंडल मार्च निकाला जाएगा। पटना में इनकम टैक्स गोलंबर से डाकबंगला तक मार्च होगा, जो संवेदनशीलता के साथ-साथ जनता के बीच राजनीतिक उपस्थिति दर्ज कराने की कोशिश भी मानी जा रही है।
गौरतलब है कि महागठबंधन की पहली बैठक 17 अप्रैल को आरजेडी कार्यालय में हुई थी, जहां एक समन्वय समिति का गठन कर तेजस्वी यादव को उसका अध्यक्ष नियुक्त किया गया।