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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।बिहार में NDA की ऐतिहासिक जीत के बाद नीतीश सरकार के मंत्रिमंडल गठन का 'पावर फॉर्मूला' लगभग तय हो गया है। सूत्रों के अनुसार, BJP अपने खाते में 15-16 मंत्री पद रख सकती है, जबकि JDU से मुख्यमंत्री समेत 14-15 मंत्री शपथ ले सकते हैं। इस बार, सबसे बड़ी खबर चिराग पासवान के लिए है, जिनकी पार्टी LJP रामविलास को 3-4 मंत्री सीट मिल सकती है। हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा HAM यानि जीतन राम मांझी कोटे से एक अनुभवी चेहरा, राष्ट्रीय लोक मोर्चा RLM यानि उपेंद्र कुशवाहा कोटे से एक मजबूत प्रतिनिधि कुल मंत्री पद 34-35 मंत्री बनाए जा सकते हैं।
यह नया 'सहयोग और संतुलन' का फॉर्मूला न सिर्फ गठबंधन की एकजुटता दिखाएगा, बल्कि भविष्य की राजनीति की दिशा भी तय करेगा। 'मिशन बिहार 2025' BJP का मास्टरस्ट्रोक और JDU का नया 'रोल' बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में NDA ने न सिर्फ प्रचंड जीत हासिल की, बल्कि इस जीत ने बीजेपी को गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी के रूप में स्थापित कर दिया।
इस 'महा-विजय' के बाद, अब सबकी निगाहें मंत्रिमंडल के बंटवारे पर टिकी हैं— वह सूत्र, जो तय करेगा कि अगले पांच साल तक बिहार की सत्ता का केंद्र बिंदु क्या होगा। राजनीतिक गलियारों में फुसफुसाहट है कि बीजेपी ने इस बार बड़ा दिल दिखाते हुए, मगर अपनी बढ़ी हुई ताकत को दर्शाते हुए, मंत्री पदों का बंटवारा संतुलित तरीके से किया है। आखिर क्यों खास है यह मंत्रिमंडल? क्योंकि यह महज सीटों का बंटवारा नहीं, बल्कि बीजेपी की राष्ट्रीय महत्वाकांक्षा और नीतीश कुमार के अनुभवी नेतृत्व के बीच तालमेल का प्रतीक है।
मंत्री पद का अनुमानित 'गणित' 35 सीटों पर सहमति जो जानकारी सामने आ रही है, वह बेहद दिलचस्प है। गठबंधन के सभी दलों के बीच मंत्रिपदों के बंटवारे पर एक 'गोपनीय सहमति' बन चुकी है। यह फॉर्मूला सुनिश्चित करेगा कि हर सहयोगी दल को उचित प्रतिनिधित्व मिले और सरकार गठन के पहले दिन ही एकजुटता का मजबूत संदेश जनता तक पहुंचे।
सवाल यह है क्या यह बंटवारा सबको संतुष्ट कर पाएगा? या फिर 'डील' में कुछ और भी छिपा है? चिराग पासवान 'राजनीति का चिराग' अब बिहार की कैबिनेट में? इस बार के चुनावी नतीजों में अगर कोई 'डार्क हॉर्स' बनकर उभरा है, तो वह हैं चिराग पासवान। उनकी पार्टी लोजपा रामविलास ने भले ही कम सीटों पर चुनाव लड़ा हो, लेकिन उनकी जीत का प्रतिशत और गठबंधन के प्रति उनकी वफादारी निर्णायक साबित हुई है।
सूत्रों के मुताबिक, केंद्रीय नेतृत्व ने चिराग की मेहनत को 'रिकॉग्नाइज' करते हुए, उनकी पार्टी कोटे से 3 मंत्री पद देने पर सहमति दी है। यह न सिर्फ चिराग के राजनीतिक करियर में एक बड़ा उछाल है, बल्कि उनके उन समर्थकों के लिए भी 'गुड न्यूज' है, जो लंबे समय से उन्हें बिहार की मुख्यधारा की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका में देखना चाहते थे।
याद रखें चिराग की एंट्री से कैबिनेट में 'युवा जोश' और 'नए विजन' का तड़का लगना तय है।
बीजेपी का 'दिलीप-सम्राट' दांव: संगठन की शक्ति मंत्रिमंडल के गठन से पहले बीजेपी ने अपनी अंदरूनी तैयारियां तेज कर दी हैं।
पार्टी ने दो महत्वपूर्ण चेहरों को बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है दिलीप जायसवाल संगठनात्मक अनुभव का खजाना। सम्राट चौधरी युवा और मुखर नेतृत्व।
इन दोनों नेताओं ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मुलाकात कर विस्तृत चर्चा की है। यह स्पष्ट संकेत है कि बीजेपी मंत्रिमंडल चयन और विभागों के बंटवारे में अपनी बात प्रभावी ढंग से रखेगी। यह कदम सुनिश्चित करता है कि सरकार में संगठन की पकड़ मजबूत बनी रहे। कब होगा 'महा-शपथ ग्रहण'?
तारीख और स्थान का खुलासा बिहार की नई सरकार के शपथ ग्रहण समारोह की तैयारियां अब अंतिम चरण में हैं। पटना के गांधी मैदान को इस ऐतिहासिक पल के लिए तैयार किया जा रहा है।
संभावित तारीख: 19 या 20 नवंबर। स्थान: पटना का ऐतिहासिक गांधी मैदान।
पटना प्रशासन ने 17 से 20 नवंबर तक गांधी मैदान को आम लोगों के लिए बंद करने की एडवाइजरी जारी कर दी है। मैदान के चारों तरफ पुलिस बल तैनात किया गया है, जो इस बात की पुष्टि करता है कि बड़े पैमाने पर भव्य आयोजन की तैयारी हो रही है। यह शपथ ग्रहण समारोह, न सिर्फ मंत्रियों का अभिषेक होगा, बल्कि यह राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए की ताकत का प्रदर्शन भी होगा।
NDA की बड़ी जीत क्यों हारी RJD और महागठबंधन?
NDA की इस जीत को 'ऐतिहासिक' इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इसने सभी राजनीतिक पंडितों के अनुमानों को गलत साबित कर दिया।
NDA की सीटें: कुल 202 सीटें बीजेपी बनी सबसे बड़ी पार्टी।
महागठबंधन की हार: 35 सीटों का आंकड़ा भी पार नहीं कर सका।
महागठबंधन में RJD, कांग्रेस और तीन वाम दल शामिल थे, लेकिन उनका समीकरण काम नहीं कर पाया। वहीं, प्रशांत किशोर की जन सुराज ने 28 सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत पाई। AIMIM को 5 सीटों पर जीत मिली, जो दर्शाता है कि असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी ने कुछ हद तक 'वोट कटवा' की भूमिका निभाई।
सीधा संकेत: जनता ने 'स्थिरता', 'विकास' और 'डबल इंजन' सरकार के वादे पर भरोसा जताया है, न कि केवल भावनात्मक या जातिगत मुद्दों पर।
राज्यसभा और विस्तार की रणनीति: सूत्र बताते हैं कि एनडीए नेतृत्व भविष्य में भी अपने सहयोगी दलों को संतुष्ट रखने की रणनीति पर काम कर रहा है। मंत्रिमंडल के बाद, अगला कदम राज्यसभा सीटों का बंटवारा हो सकता है। क्या होगा राज्यसभा में? भविष्य में एनडीए में शामिल दलों को राज्यसभा में भी सीट दी जा सकती है, जिससे गठबंधन का 'टाई-अप' और मजबूत होगा।
लक्ष्य है केंद्र और राज्य दोनों जगह 'सहयोग और समन्वय' की एक मिसाल कायम करना है, ताकि 2029 के आम चुनाव की जमीन मजबूत की जा सके। यह मंत्रिमंडल विस्तार केवल वर्तमान सरकार के लिए नहीं, बल्कि आने वाले वर्षों के लिए बिहार की राजनीतिक दिशा तय करेगा।
हर मंत्री का चयन, हर विभाग का आवंटन एक गहरी राजनीतिक समझ और भविष्य की रणनीति का हिस्सा है।
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