बिहार की धड़कनें तेज हो रही हैं और इस बार उनकी गूंज बांका के सिंचाई भवन से उठी है। जन सुराज यात्रा के तहत प्रशांत किशोर ने यहां अपनी राजनीतिक चेतना का शंखनाद करते हुए न केवल भीड़ को संबोधित किया, बल्कि मीडिया के सामने बिहार की समस्याओं की एक बेबाक रिपोर्ट भी पेश की।
शराबबंदी: कानून या मज़ाक?
प्रशांत किशोर ने नीतीश सरकार की शराबबंदी नीति को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि यह कानून अब महज़ दिखावा बनकर रह गया है। शराब दुकानें भले बंद हैं, लेकिन होम डिलीवरी का नेटवर्क रात-दिन चल रहा है। उन्होंने ऐलान किया कि अगर उनकी सरकार बनी, तो एक घंटे में यह कानून खत्म कर दिया जाएगा। उनके अनुसार यह कानून भ्रष्टाचार का गढ़ बन गया है।
पलायन: बिहार की सबसे बड़ी हार
उन्होंने मजदूरों के पलायन को बिहार की सबसे गंभीर चुनौती बताया और कहा कि उनकी प्राथमिकता स्थानीय उद्योग, कृषि और सेवा क्षेत्र में रोजगार के अवसर पैदा कर युवाओं को अपने घर में ही काम दिलाना होगा। उन्होंने इस मुद्दे पर भावनात्मक अपील करते हुए कहा, "अपने गांव का जवान जब परदेसी बनता है, तब बिहार हारता है।"
प्रशांत किशोर ने पहलगाम आतंकी हमले पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता जरूरी है, यह किसी राज्य या पार्टी की नहीं, देश की अस्मिता का सवाल है।
पीएम मोदी पर निशाना
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे को "सरकारी खर्च पर चुनाव प्रचार" बताया और कहा कि रैलियों और भाषणों से जनता को लाभ नहीं मिलता, काम चाहिए, वादे नहीं।
बिहार की जनता से आह्वान
अपने संबोधन के अंत में उन्होंने जनता से जागरूक होकर मतदान करने की अपील की और कहा कि बिहार को अब ऐसी सरकार चाहिए जो जमीनी सच्चाई समझती हो, ना कि महलों में बैठकर सपने बेचती हो।