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चुनावी मौसम में RJD को बड़ा झटका: तेजस्वी की एकजुटता मुहिम को भीतरघात से चुनौती, पूर्व अध्यक्ष की बहू BJP में शामिल

बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे सियासत का तापमान भी चढ़ता जा रहा है। मगर इस बार जो झटका तेजस्वी यादव को लगा है, वह न विपक्ष से आया है, न ही किसी बयान से — बल्कि सीधे उनके अपने घर की सियासी दीवार से आई है दरार।

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YBN Bihar Desk
Priti Raj from RJD Joins BJP
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जब तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) महागठबंधन की बड़ी बैठक में गठबंधन को एकजुट करने के लिए रणनीति बना रहे थे, ठीक उसी समय उनकी पार्टी राजद (RJD) के एक पुराने मजबूत स्तंभ से चौंकाने वाली खबर आई। राजद के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सांसद स्वर्गीय पीतांबर पासवान की पुत्रवधू प्रीति राज सोनी ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सदस्यता ग्रहण कर ली। यह घटनाक्रम सिर्फ व्यक्तिगत निर्णय नहीं, बल्कि RJD के भीतर मौजूद असंतोष और संभावित फूट की ओर भी संकेत करता है।

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तेजस्वी की ‘एकजुटता’ मुहिम को भीतरघात का झटका?

तेजस्वी यादव जिस वक्त गठबंधन दलों को साथ लेकर एक मंच पर खड़ा करने की कवायद कर रहे थे, उसी वक्त पार्टी के भीतर से इस तरह की ‘क्रॉसओवर’ की खबर ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी। यह सिर्फ एक सदस्य का पार्टी बदलना नहीं, बल्कि RJD की अंदरूनी स्थिति और नेतृत्व के प्रति बढ़ती बेचैनी का प्रतीक माना जा रहा है।

BJP ने प्रीति राज का किया गर्मजोशी से स्वागत

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प्रीति राज को भाजपा की सदस्यता दिलाने के दौरान पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि भाजपा एक विचार और संकल्प का परिवार है, जिसमें राष्ट्र के प्रति समर्पण और जनता के कल्याण की भावना सर्वोपरि है। ऐसे में जब लोग भाजपा से जुड़ते हैं, तो यह हमारे विचार की स्वीकार्यता का प्रमाण है। जायसवाल ने प्रीति राज का स्वागत करते हुए यह भी कहा कि वे भाजपा से जुड़कर बिहार के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

‘परिवार’ से ‘पार्टी’ तक की सियासत

राजनीति में परिवारवाद पर अकसर आरोप झेलने वाली RJD के लिए यह घटनाक्रम और भी ज्यादा नाजुक है। पूर्व अध्यक्ष की बहू का भाजपा में जाना न केवल पार्टी की परंपरागत ‘लालू परिवार’ की राजनीति पर सवाल खड़े करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि संगठन का पुराना भरोसेमंद कुनबा अब खुद असंतुष्ट है। इस घटनाक्रम ने RJD के लिए मुश्किलें और बढ़ा दी हैं, खासकर उस वक्त जब पार्टी एकजुटता और विपक्षी ताकतों को साथ लाने का दावा कर रही है। क्या यह सिर्फ एक व्यक्तिगत फैसला था या पार्टी के अंदर कोई बड़ी हलचल चल रही है — यह आने वाले दिनों में और साफ होगा।

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बहरहाल, इतना तय है कि चुनावी रण में उतरने से पहले तेजस्वी यादव को अब सिर्फ NDA से नहीं, बल्कि अपनी पार्टी के भीतर की खामोश आवाजों से भी लड़ना होगा। और यह लड़ाई नारेबाज़ी से नहीं, संगठन की सच्ची मजबूती से जीती जा सकती है।

तेजस्वी यादव Tejashwi Yadav rjd
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