बिहार की सियासत में चुनावी गर्मी के साथ वादों की झड़ी लग चुकी है। इस बार नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने एक ऐसा मुद्दा उठाया है, जो लंबे समय से वंचित समुदाय से जुड़े लोगों के लिए बड़ा विषय रहा है — ताड़ी व्यवसाय। तेजस्वी ने ऐलान किया कि अगर महागठबंधन की सरकार बनती है, तो ताड़ी को शराबबंदी कानून से बाहर किया जाएगा और उसे उद्योग का दर्जा दिया जाएगा।
ताड़ी महाजुटान में तेजस्वी का बड़ा एलान
रविवार को पटना के श्रीकृष्ण स्मारक भवन में आयोजित ताड़ी व्यवसायियों के सम्मेलन 'महाजुटान' में तेजस्वी यादव ने यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि लालू यादव और उन्होंने खुद कई बार ताड़ी को शराबबंदी से अलग करने की वकालत की थी, लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जिद के चलते यह संभव नहीं हो पाया।
आर्थिक बदलाव का वादा
तेजस्वी ने यह भी कहा कि ताड़ी को उद्योग का दर्जा देने से इससे जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति में बदलाव आएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि इस व्यवसाय से जुड़े लोगों पर चल रहे मुकदमों को भी वापस लिया जाएगा। साथ ही यह भी जोड़ा कि महागठबंधन की सरकार बनने पर इस पर नीतिगत स्तर पर काम किया जाएगा।
राजनीतिक संकेत और समर्थन
कार्यक्रम में राजद के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी ने यह साफ कर दिया कि पार्टी अब जातीय-आर्थिक आधार पर समर्थन मजबूत करने की कोशिश में है। उदय नारायण चौधरी ने तेजस्वी को मुख्यमंत्री बनाने की अपील भी की। इस मौके पर अब्दुल बारी सिद्दीकी, भूदेव चौधरी, प्रेमा चौधरी और अन्य नेता भी मंच पर मौजूद थे।
निचली जातियों से सीधा जुड़ाव
ताड़ी व्यवसाय मुख्यतः पासी, नाई, वंचित और पिछड़े वर्गों से जुड़ा है। लंबे समय से इन वर्गों की यह मांग रही है कि ताड़ी को शराब से अलग मान्यता दी जाए। तेजस्वी का यह एलान न सिर्फ एक चुनावी रणनीति है, बल्कि यह जातीय समीकरणों को साधने का भी प्रयास है।