बिहार में आगामी विधानसभा चुनाव (Bihar Election) से पहले महागठबंधन के भीतर सीट बंटवारे को लेकर दरारें उभरने लगी हैं। इस बार झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Hemant Soren) की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने बिहार में 12 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की मंशा जताई है। इस मांग ने तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) और RJD की रणनीति को झटका दिया है।
JMM ने पेश की 12 सीटों की सूची
मिली जानकारी के अनुसार, झामुमो ने जिन सीटों पर दावा ठोका है वे अधिकतर झारखंड से सटे बिहार के सीमावर्ती क्षेत्र हैं। जिन सीटों की सूची सामने आई है, उनमें शामिल हैं:
- तारापुर
- कटोरिया
- मनिहारी
- बांका
- पीरपैंती
- ठाकुरगंज
- रूपौली
- रामपुर
- बनमनखी
- जमालपुर
- झाझा
- चकाई
इनमें से अधिकांश सीटें ऐसी हैं जहां पर पिछली बार राजद ने अच्छा प्रदर्शन किया था या इस बार उसे मजबूत उम्मीदें हैं।
राजद की पुरानी रणनीति पर असर
राजद, जो खुद को बिहार महागठबंधन का सबसे बड़ा चेहरा मानता है, इन सीमावर्ती सीटों को खोना नहीं चाहता। इन क्षेत्रों में मुस्लिम-दलित-पिछड़ा समीकरण मजबूत है, जो कि राजद की कोर वोटबैंक का हिस्सा रहा है। JMM की मांग से तेजस्वी की सीट मैनेजमेंट और समीकरण में खलल पड़ता दिख रहा है।
झारखंड में राजद की भागीदारी का बदला?
JMM का यह तर्क है कि झारखंड में राजद को विधानसभा चुनावों में 7 सीटें दी गईं और वहां से उसे लाभ भी हुआ। इसलिए अब JMM बिहार में वैसी ही भागीदारी चाहता है। साथ ही, झारखंड सरकार में राजद के संजय यादव को मंत्री बनाकर JMM ने सहयोग निभाया है — अब वह बदले में बिहार में 'सम्मानजनक साझेदारी' चाहता है।
Bihar के महागठबंधन में पहले ही राजद के लिए आंतरिक असहमति का माहौल है क्योंकि बिहार के क्षेत्रीय दलों की महत्वाकांक्षा से राजद अभी जूझ रहा है। साथ ही कांग्रेस पहले ही सीटों की संख्या को लेकर दबाव बना रही है और अब JMM का यह दांव गठबंधन की एकता के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है।
अब देखना यह है कि तेजस्वी यादव JMM को मनाने में सफल होते हैं या कोई सीटों का फॉर्मूला निकाला जाता है। यदि बात नहीं बनी, तो JMM बिहार में अलग लड़ाई लड़ सकता है।