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सराहनीय: बदायूं के बीएसए ने सरकारी स्‍कूलों में कराया अपने बच्‍चों का दाखिला, पेश की मिसाल

एक ओर जहां सरकारी महकमे में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी अपने बच्‍चों को कांवेट स्‍कूलों में पढाते हैं, वहीं बदायूं के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने अपने बच्‍चों का सरकारी स्‍कूलोें में दाखिला कराया है। बीएसए की ओर से पेश की गई मिसाल की सभी सराहना कर रहे हैं

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Manoj Verma
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अपने परिवार के साथ बीएसए वीरेंद्र कुमार सिंह Photograph: (self)

बदायूं, वाईबीएन नेटवर्क। एक ओर जहां सरकारी महकमे में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी अपने बच्‍चों को कांवेट स्‍कूलों में पढाते हैं, वहीं बदायूं के जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने अपने बच्‍चों का सरकारी स्‍कूलोें में दाखिला कराया है। बीएसए की ओर से पेश की गई मिसाल की सभी सराहना कर रहे हैं। अब उनके इस प्रयास की चर्चा सरकारी दफ्तरों में हो रही है तो कई अन्‍य लोग भी इस सोच से प्रभावित हो रहे हैं। 

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बीएसए की पत्‍नी भी हैं सरकारी इंटर कॉलेज में प्रवक्‍ता  

बदायूं में तैनात बीएसए वीरेंद्र कुमार सिंह की पत्‍नी पारुल राजपूत भी सरकारी सेवा में हैं। वह अलीगढ के टीकाराम इंटर कॉलेज में प्रवक्‍ता हैं। उन्‍होंने अपनी बेटी आम्रा सिंह का दाखिला इसी स्‍कूल में कराया है। उनकी बेटी कक्षा छह की छात्रा है तो बेटा अर्जुन सिंह एसएनबी इंटर कॉलेज में कक्षा 12 में है। वह भी शुरुआत से ही सरकारी स्‍कूलों में ही पढा है। 

बिना कोचिंग के करा रहे बच्‍चों को शिक्षा गृहण   

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बीएसए वीरेंद्र कुमार सिंह बताते हैं क‍ि आज के दौर में कई अभिभावक ऐसे हैं जो समाज में अपने आपको ऊंचा दिखाने के लिए बच्‍चों को कांवेंट स्‍कूलो में भेजते हैं जहां की मोटी फीस के चलते उनपर आर्थिक संकट रहता है। ऐसे में उन्‍होंने यह संदेश दिया है क‍ि बच्‍चों को सरकारी स्‍कूलो में पढाएं जहां अब पहले से कहीं ज्‍यादा बेहतर शिक्षा मिल रही है। उन्‍होंने अपने बच्‍चों को शुरूआत से ही सरकारी स्‍कूलो में पढाया है और बच्‍चे हर कक्षा में अव्‍वल आए हैं। जबकि दोनों बच्‍चों की कोचिंग भी नहीं लगाई है। इसके बाद भी वह शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर मुकाम हासिल कर रहे हैं। शिक्षा पर कोई बाध्‍यता नहीं है, इसके बाद भी उनकी अपील है क‍ि अभिभावक अपने बच्‍चों को सरकारी स्‍कूलों में ज्‍यादा से पढाएं। 

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