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कैसे बेटी पढ़ाओ : एडमिशन लेने गई छात्रा की पहले जाति पूछी, दलित बताने पर नहीं दिया दाखिला

बदायूं के उझानी ब्‍लॉक क्षेत्र के गांव ज्‍यौरा पारवाला के सरकारी स्‍कूल में एडमिशन लेने गई छात्रा से अध्‍यापकों ने जाति पूछी। जाति पूछने के बाद दलित छात्रा को एडमिशन देने से मना कर दिया गया। दलित छात्रा अपनी मां के साथ अधिकारियों के चक्‍कर काट रही है

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Manoj Verma
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School Going

बदायूं, वाईबीएन नेटवर्क

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बदायूं के उझानी ब्‍लॉक क्षेत्र के गांव ज्‍यौरा पारवाला के सरकारी स्‍कूल में एडमिशन लेने गई छात्रा से अध्‍यापकोें ने जाति पूछी। जाति पूछने के बाद दलित छात्रा को एडमिशन देने से मना कर दिया गया। दलित छात्रा अपनी मां के साथ अधिकारियों के चक्‍कर काट रही है। हैरत की बात तो यह है क‍ि शिक्षा विभाग के अधिकारी भी इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।

यह है मामला 

सहसवान तहसील क्षेत्र के गांव चतुरी नगला निवासी जयकिशन वाल्‍मीकि पिछले साल मेहनत-मजदूरी करने शहर चले गए थे। इस वजह से जयकिशन ने अपनी बेटी संजना वाल्‍मीकि का एडमिशन पांचवीं कक्षा में अपने गांव के ही पास एक स्‍कूल में करवा दिया था। इस साल संजना अपना एडमिशन कराने क्षेत्र के ही गांव ज्‍योरा पारवाला में पहुंची तो वहां संविलियन स्‍कूल में दाखिले की अर्जी देने के बाद वहां पर तैनात अध्‍यापकों ने उससे उसकी जाति पूछी।

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संजना ने अपनी जाति बताई तो उन्‍होंने एडमिशन देने से इन्‍कार कर दिया। संजना ने यह बात अपनी मां सीमा वाल्‍मीकि को बताई तो सीमा भी स्‍कूल पहुंची, उसने अपनी बेटी के भविष्‍य का हवाला देते हुए एडमिशन की मांग की, लेकिन एडमिशन नहीं दिया गया। इसके बाद जयकिशन भी स्‍कूल गए, लेकिन उनको भी बैरंग वापस कर दिया गया। दलित बेटी का एडमिशन न होने से उसका भविष्‍य खतरे में पड गया है। 

बेटियों को बेहतर शिक्षा देने के बजाए जाति पूछ रहे अध्‍यापक 

एक ओर सरकार बेटियों को शिक्षित बनाने की दिशा में कदम उठा रही है तो यहां कुछ स्‍कूलों में जातिवादी मानसिकता के अध्‍यापक शिक्षा देने के बजाए बेटियों की जाति पूछ रहे हैं। इस वजह से सरकार की ओर से बेटियों की शिक्षा के क्षेत्र में चलाई जा रहीं योजनाओं पर भी पलीता लग रहा है। 

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