बदायूं, बाईवीएन नेटवर्क,
जिला महिला अस्पताल में तैनात आशा कार्यकर्ता निजी अस्पतालों को सेवाएं दे रही हैं। महिला अस्पताल में सभी सर्जन और बेहतर सुविधाएं होने के बाद भी यह आशा कार्यकर्ता वहां आने वाली गर्भवतियों के तीमारदारों को गुमराह कर निजी अस्पतालों को ले जाती हैं।
बदायूं के जिला महिला अस्पताल में तैनात आशा कार्यकर्ता अपना मूल कार्य छोडकर निजी अस्पतालों की एजेंट बन चुकी हैं। निजी अस्पतालों से मोटी कमीशन मिलने की वजह से वह महिला अस्पताल में प्रसव के लिए आने वाली गर्भवतियों के तीमारदारों को गुमराह कर प्राइवेट अस्पतालों में भेज दी जाती हैं, जिससे प्रसूताओं को सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ नहीं मिल पाता है और उनके तीमारदारों को मोटा खर्च कर आर्थिक भार उठाना पडता है।
महिला अस्पताल में कदम-कदम पर दलाल हावी
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की शह के चलते जिला महिला अस्पताल दलालों का ठिकाना बन चुका है। यहां कदम-कदम पर दलाल हावी हैं। मेेन गेट से लेकर ओटी और लेबर रूम तक इनकी सेटिंग रहती है, जहां पर तैनात स्टाफ से सौदेबाजी होने के बाद वह निजी वाहनों से मरीजों को अपने-अपने अस्पतालों तक ले जाते हैं।
तत्कालीन डीएम ने पकडा था आशाओं का खेल
पांच साल पहले यहां तैनात रहे डीएम कुमार प्रशांत ने आशाओं का खेल पकडा था। उन्होंने उस वक्त खेडा नवादा पर संचालित आयशा नर्सिंग होम में तोहफा लेते वक्त आशाओं को गिरफतार कराया था। चालीस से ज्यादा आशा कार्यकर्ताओं पर मुकदमा दर्ज हुआ था और अस्पताल संचालक को जेेल भेजा गया था। इस संबंध में सीएमओ रामेश्वर मिश्रा का कहना है कि शिकायत मिली है वह टीम बनाकर कार्रवाई कराएंगे।