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Corruption: सीएमओ कार्यालय में भ्रष्‍टाचार, नर्सिंग होम रजिस्‍ट्रेशन की फीस पांच सौ रुपये, वसूले जा रहे पचास हजार

बदायूं के सीएमओ कार्यालय में इन दिनों भ्रष्‍टाचार चरम पर है। सबसे ज्‍यादा यहां निजी नर्सिंग होम के रजिस्‍ट्रेशन के नाम पर भ्रष्‍टाचार किया जा रहा हे। निजी नर्सिंग होम के रजिस्‍ट्रेशन की फीस महज पांच सौ रुपये है, जबकि पचास हजार रुपये तक वसूले जा रहे हैं।

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Manoj Verma
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सीमएओ कार्यालय का फाइल फोटो Photograph: (self)

बदायूं, वाईबीएन नेटवर्क

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बदायूं के सीएमओ कार्यालय में इन दिनों भ्रष्‍टाचार चरम पर है। सबसे ज्‍यादा यहां निजी नर्सिंग होम के रजिस्‍ट्रेशन के नाम पर भ्रष्‍टाचार किया जा रहा हे। निजी नर्सिंग होम के रजिस्‍ट्रेशन की फीस महज पांच सौ रुपये है, जबकि पचास हजार रुपये तक वसूले जा रहे हैं। यह खेल इस साल ज्‍यादा ही चर्चा में आया है। 

अफसरों के चहेते बाबू पर ही मलाईदार पटल 

स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के अधिकारियों के चहेते बाबू को ही नर्सिंग होम रजिस्‍ट्रेशन का पटल दे दिया गया है। जबकि इस बाबू का तबादला पिछले साल ही गैर जनपद हो गया है। गैर जनपद तबादला होने के बाद भी बाबू को यहां से रिलीव नहीं किया गया, उल्‍टा स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के जिम्‍मेदार अधिकारी उसका तबादला रुकवाने में जुट गए। स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के अधिकारी अपने कमाई वाले बाबू का तबादला रुकवाने के लिए नेताओं से लेकर शासन तक पैठ बना रहे हैं, ताकि वह कमाई करके अधिकारियों की जरूरतें पूरी करता रहे। 

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रजिस्‍ट्रेशन के नाम पर इस तरह से किया जा रहा खेल 

कोई भी अपने निजी नर्सिंग होम के रजिस्‍ट्रेशन के लिए आवेदन करता है तो बाबू के ही कुछ कारिंदे आवेदन करने वाले के पास पहुंच जाते हैं। इसके बाद वह सौदेबाजी शुरू कर देते हैं। सौदेबाजी न होने पर उसके सामने इतनी शर्तें रख दी जाती हैं कि वह कार्यालय के चक्‍कर काटता रहता है। चर्चित बाबू के सामने नतमस्‍तक होने के बाद वह रजिस्‍ट्रेशन के बदले मोटी रकम देने को तैयार हो जाता है। इसके बाद उसको न एनओसी देनी होती है और न ही अन्‍य शर्तें पूरी करनी होती हैं, बाबू पूरा खेल कर रजिस्‍ट्रेशन कर देता है। 

पैनल में डॉक्‍टर तक मुहैया कराता है भ्रष्‍ट सिस्‍टम 

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निजी नर्सिंग होम के रजिस्‍ट्रेशन के लिए अगर किसी के पास एमबीबीएस नहीं होते हैं तो उन डॉक्‍टरों को भी मुहैया कराने का जिम्‍मा सीएमओ कार्यालय का बाबू और अन्‍य जिम्‍मेदार अफसर ले लेते हैं। इसके बाद हर डॉक्‍टर के नाम पर बीस हजार रुपये वसूले जाते हैं। मसलन, पैनल में तीन डॉक्‍टर और अन्‍य स्‍टाफ जरूरी होता है जिनकी डिग्री ऑनलाइन सिस्‍टम पर दर्शाकर रजिस्‍ट्रेशन कर दिया जाता है। 

एक-एक एनओसी पर तीन-तीन रजिस्‍ट्रेशन 

सीएमओ कार्यालय में एनओसी के नाम पर भी खेल चल रहा है। वजह है क‍ि निजी नर्सिंग होम के रजिस्‍ट्रेशन के लिए सबसे पहले अग्निशमन विभाग की एनओसी जरूरी होती है। मगर, यहां साठगांठ होने के बाद किसी की भी एनओसी पर संसोधन कर रजिस्‍ट्रेशन कर दिया जाता है। 

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गैर जनपद में प्रैक्टिस कर रहे डॉक्‍टर, उनके नाम पर यहां हो रहे रजिस्‍ट्रेशन 

तमाम निजी नर्सिंग होमों के रजिस्‍ट्रेशन ऐसे भी कर दिए गए हैं जो डॉक्‍टर उनके यहां आते भी नहीं हैं। गैर जनपद में प्रैक्टिस करने वाले कुछ डॉक्‍टरों की डिग्रियां यहां मंंगवा ली गई हैं। उनके नाम पर तमाम नर्सिंग होमों के रजिस्‍ट्रेशन कर दिए गए हैं। जबकि शासनादेश है क‍ि जिस डॉक्‍टर के नाम पैनल में शामिल हों, उनके निर्धारित समय में नर्सिंग होम में बैठना होगा। मगर, यहां सबकुछ चर्चित बाबू के ही सहारे चल रहा है। 

 

 

 

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