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भ्रष्‍टाचार: बदायूं में बनने के साथ ही ढह गई पीडब्‍ल्‍यूडी की रोड, आवागमन ठप

बदायूं में लोक निर्माण विभाग में व्‍याप्‍त भ्रष्‍टाचार अब खुलकर सामने आ रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है क‍ि बनने के साथ ही रोड पूरी तरह से धंस गई। इससे आवागन ठप हो गया। राहगीर अपनी मंजिल तक पहुंचने को परेशान हैं।

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Manoj Verma
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वजीरगंज-आंवला मार्ग पर टूटकर गडढे में तब्‍दील हुई रोड Photograph: (self)

बदायूं, वाईबीएन नेटवर्क 

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बदायूं में लोक निर्माण विभाग में व्‍याप्‍त भ्रष्‍टाचार अब खुलकर सामने आ रहा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है क‍ि बनने के साथ ही रोड पूरी तरह से धंस गई। इससे आवागन ठप हो गया। वजीरगंज से आंवला जाने वाले रोड को कुछ ही दिन पहले ही लोक निर्माण विभाग ने डलवाया था। रोड बनने के बाद आसपास के लोगों को राहत महसूस हो रही थी, लेकिन यह रोड चंद दिनों मेें ही ढहकर बडा गडढा बन गया। अब राहगीर अपनी मंजिल तक पहुंचने को परेशान हैं। 

लंबे समय से चल रही थी रोड निर्माण की मांग 

वजीरगंज से आंवला होते हुए बरेली को जोडने वाले इस रोड के निर्माण की लंबे समय से मांग चल रही थी, वजह थी कि यह रोड कई वर्षों से पूरी तरह से जर्जर हो चुका था। इसके बाद स्‍थानीय जनप्रतिनिधियों ने इसका कई बार प्रस्‍ताव भेजा, लेकिन वह मंजूर नहीं हो सका। इस बार उसको मंजूरी मिली तो क्‍लोजिंग से पहले ही मानक को ताक में रखकर घटिया निर्माण सामग्री से उसको बनवा दिया। अब यह लोगों की मुसीबत बन गया। 

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बजट खपाने और कमीशनखोरी के चलते सामने आ रहा भ्रष्‍टाचार 

 मार्च महीने में ही लोक निर्माण विभाग को शासन से मिली धनराशि खर्च करनी होती है। वजह है क‍ि इस महीने में क्‍लोजिंग के चलते जो बजट बचता है उसे वापस किया जाता है। ऐसे में बजट खपाने और मोटी कमीशन पाने के चक्‍कर में लोक निर्माण विभाग इस तरह के कारनामे करता है। जिले भर में इस साल डाली गई रोड में मानक के विपरीत सामग्री डाले जाने की शिकायतें विभागीय अधिकारियों से की गईं, लेकिन किसी मामले में कार्रवाई नहीं की गई। 

12 से बढाकर 15 परसेंट कर दी अधिकारियों ने कमीशन 

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लोक निर्माण विभाग में बिना कमीशन अब कोई कार्य नहीं हो सकता। भ्रष्‍टाचार में डूबे जिम्‍मेदार अफसरों ने अपनी कमीशन बढाकर इस बार 15 परसेंट कर दी है। ऐसे में ठेकेदार इतनी कमीशन जेई से लेकर बडे अफसरों तक देता है, इसके बाद सांसद और विधायकों को भी मोटी कमीशन दी जाती है। इसलिए ठेकेदार भी बेहतर सामग्री नहीं डलवा पा रहे हैं। 

 

 

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