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सर्वेशा देवी Photograph: (self)
International Women's Day: चकाचौंध से दूर, मजलूमों का सहारा बन रहीं सर्वेशा, महिलाओं को दिला रहीं रोजगार
बदायूं, वाईबीएन नेटवर्क
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर अक्सर समाज में बेहतर कार्य करने वाली महिलाओें की कहानी सभी की जुबां पर आ जाती है। ऐसे ही शहर की रहने वालीं सर्वेशा देवी की समाजसेवा और महिलाओं को हुनरमंद बनाने के लिए उनका नाम भी अक्सर सुना जाता है। वह अब तक सामाजिक और साहित्यिक क्षेत्र में अपना अलग मुकाम बना चुकी हैं। गांव देहात से कई पीडित जो सरकारी चौखटों पर हाजिरी दे देकर थक जाते हैं वह उम्मीद की आस लिए उनके पास आते हैं और वह हर किसी की मदद के लिए सरकारी तंत्र तक से भिड जाती हैं।
सिलाई कढाई के साथ निश्शुल्क शिक्षा की भी लगा रहीं पाठशाला
मजलूमों को इंसाफ दिलाने के साथ ही सर्वेशा देवी अपनी संस्था के माध्यम से महिलाओं को हुनरमंद भी बना रही हैं। अब तक कई महिलाओं को सिलाई कढाई से लेकर कई व्यवसाय दिलाकर उनकी जिंदगी को निखार चुकी हैं। सिलाई कढाई के साथ साथ वह महिलाओं को शिक्षा के क्षेत्र में भी बढ चढकर हिस्सेदारी निभाने को प्रेरित करती रहती हैं। कई महिलाएं उनको अपना आदर्श मानती हैं।
एमजेपी यूनीवर्सिटी से कर रहीं पीएचडी
शिक्षा के क्षेत्र में भी सर्वेशा देवी कई मुकाम हासिल कर चुकी हैं, वह कई डिग्री हासिल करने के बाद अब गरीब तबके के लोगों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए खुद पीएचडी कर रही हैं, ताकि यह डिग्री हासिल होने के बाद वह और ज्यादा गरीब तबके के छात्रों और छात्राओं के लिए उच्च शिक्षा दिला सकें। वह सिलाई कढाई के साथ ही गरीब बच्चों के लिए बदायूं के नेकपुर स्थित अपने घर पर निश्शुल्क पाठशाला नियमित लगाती हैं।
राजनीति के पहले पायदान को भी कर चुकी हैं पास
मूलरूप से उसावां क्षेत्र के गांव सौंधामई की रहने वाली सर्वेशा देवी राजनीति के क्षेत्र मेंं भी पहचान बना चुकी हैं। उन्होेंने रिजौला क्षेत्र से जिला पंचायत सदस्य के रूप में अपना पहला चुनाव लडा था। वह इस चुनाव में भारी मतों से विजयी हुईं, इसके बाद वह समाजसेवा के साथ अध्यात्म के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाने लगीं।