Sunday Special: बदायूं के हरपालपुर गांव में है नाथ समुदाय का सुप्रीम कोर्ट, देश भर के मामलों की होती है यहां पंचायत
सूफी संतों की नगरी के नाम से मशहूर बदायूं में एक गांव हरपालपुर है जहां पर नाथ समुदाय का सुप्रीम कोर्ट है। इस समुदाय के आपसी मामलों की सजा और माफी यहीं पर दी जाती है। देश भर में बसे नाथ समुदाय के लोग अपने वाद विवाद लेकर यहां आते हैं और अर्जी पेश करते हैं
हरपाल गांव में बरगद के इसी वृक्ष के नीचे सुनाए जाते हैं फैसले Photograph: (self)
बदायूं, वाईबीएन नेटवर्क
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सूफी संतों की नगरी के नाम से मशहूर बदायूं में एक गांव हरपालपुर है जहां पर नाथ समुदाय का सुप्रीम कोर्ट है। इस समुदाय के आपसी मामलों की सजा और माफी यहीं पर दी जाती है। देश भर में बसे नाथ समुदाय के लोग अपने वाद विवाद लेकर यहां आते हैं और अर्जी पेश करते हैं। दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद ही यहां के पंच जिन्हें इस समाज ने अपने जज का दर्जा दिया है वह फैसला सुनाते हैं।
बदायूं जिला मुख्यालय से करीब 45 किलोमीटर दूर गंगा की कटरी में बसा गांव हरपालपुर नाथ समुदाय के सुप्रीम कोर्ट की वजह से यहां चर्चा में आया है। इस गांव की वसीयत के कुछ समय बाद ही यहां पर नाथ समुदाय ने अपना सुप्रीम कोर्ट घोषित किया। इसके बाद इस समाज के अंदर होने वाली आपराधिक वारदातों के अलावा घरेलू मामले जो इस समुदाय के स्थानीय पंच नहीं सुलझा पाते हैं उनकी अर्जी यहां पेश की जाती है।
50 साल से रविंद्र नाथ हैं यहां के सुप्रीम पंच
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सुप्रीम पंच रविंद्र नाथ Photograph: (self)
हरपाल में जिस स्थान को नाथ समुदाय ने अपना सुप्रीम कोर्ट बनाया है वह बरगद का वृक्ष है। करीब दो सौ साल पुराने इस बरगद के नीचे ही देश भर के फैसले सुनाए जाते हैं। पहले यहां अर्जी पर गौर किया जाता है, इसके बाद दोनों पक्षों को निर्धारित तिथि पर बुलाया जाता है। दोनों पक्षों की दलीलों को बाकायदा सुप्रीम पंच रविंद्र नाथ की अध्यक्षता में सुना जाता है। इसके बाद अपराध की श्रेणी तय कर उनको उसी हिसाब से सजा दी जाती है।
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फैसला न मानने वालों को किया जाता है समाज से बेदखल
नाथ समुदाय के इस सुप्रीम कोर्ट में दी जाने वाली सजा और माफी को अगर कोई पक्ष नहीं मानता है तो उसको समाज से बेदखल करने की सजा दी जाती है। हालांकि इस तरह के बहुत कम मामले आए हैं जिन्हें समाज से बेदखल किया हो। कुछ मामलों में इस तरह का फैसला सुनाए जाने की तैयारी की गई थी लेकिन उनकी ओर से माफीनामा पेश होने पर और पहले का फैसला मानने की गुजारिश पर माफ कर दिया गया।
बदायूं में नाथ समुदाय के हैं चार गांव
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नाथ समुदाय की बदायूं जिले में काफी कम संख्या है वह सदर तहसील में ही हैं। गांव दहेमू, हरपालपुर, नगर पंचायत कछला और ज्योरा पारवाला में ही उनकी आबादी है।
सांप पकडकर करते थे गुजारा
नाथ समुदाय का मुख्य कार्य सांपों को पकडना और उनका खेल दिखाना था। इसी से वह अपनी रोजी-रोटी चलाते थे, लेकिन मौजूदा समय में सरकार की ओर से सख्ती किए जाने के बाद सांपों का खेल दिखाना अपराध की श्रेणी में आ गया। इस वजह से अब वह सांपों को पाल रहे हैं, लेकिन बीन की धुन पर उनका करतब नहीं दिखा पा रहे है। इससे उनके सामने आर्थिक संकट भी आता जा रहा है।
अनुसूचित जाति में आते हैं नाथ, मगर नहीं मिल रही सरकारी इमदाद
हरपाल गांव के रहने वाले नाथ समुदाय के लोगों की पहचान उनकी बिरादरी में देश भर में है। वजह है कि यहां नाथ समुदाय का सुप्रीम कोर्ट है। यह वर्ग अनुसूचित जाति में आता है मगर, सरकारी सहयोग के नाम पर इन्हें किसी योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है। कटरी में रहने वाले यह लोग करीब 50 साल पुरानी जिंदगी झोपडीनुमा घरों में गुजार रहे हैं।
इन राज्यों में हैं नाथ समुदाय के लोग
हरपालपुर गांव के रहने वाले दिनेश नाथ बताते हैं कि उनकी जाति के लोग यूपी, उत्तराखंड, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल, झारखंड, बिहार में ज्यादा रहते हैं। उन सबके आपसी मसले यहीं निपटाए जाते हैं।
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