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बदल जाएंगे 64 साल पुराने Income Tax Laws, होगी बड़ी घोषणा

संसद का बजट सत्र 31 जनवरी से 4 अप्रैल तक प्रस्तावित है। इसी बीच खबर है कि केंद्र सरकार आगामी बजट सत्र में ही 64 साल पुराने आयकर अधिनियम की जगह नया कानून पेश कर सकती है।

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Manish Tilokani
Budget 2025

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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क। 

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साल 2025 में बजट सत्र 31 जनवरी से 4 अप्रैल तक दो भागों में होगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी को आठवीं बार बजट पेश करेंगी। लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी प्रोविजनल कैलेंडर के अनुसार, सत्र की शुरुआत 31 जनवरी को संसद के दोनों सदनों की शुरुआत लोकसभा और राज्यसभा की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संबोधन से होगी। इसके बाद उसी दिन आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया जाएगा।

1 फरवरी को बजट होगा पेश

बजट सत्र के दौरान 1 फरवरी 2025 को संसद में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए बजट पेश किया जाएगा। यह निर्मला सीतारमण का वित्त मंत्री के तौर पर लगातार 8वां बजट होगा। सीतारमण अब तक 7 फुल बजट और 1 इंटरिम बजट पेश कर चुकी हैं। 

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केंद्र सरकार बदल सकती है 64 साल पुराना कानून

केंद्र सरकार आगामी बजट सत्र में 64 साल पुराने आयकर अधिनियम की जगह नया कानून पेश कर सकती हैं। नया कानून पहले से काफी छोटा और सरल होगा। खबर है कि नया कानून पहले से छोटा, स्पष्ट और सरल होगा जो आम आदमी के समझ में आए और इससे मुकदमेबाजी में कमी आए। सूत्रों की माने तो नए कानून में पिछले कानून के वो प्रावधान खत्म किए जाएंगे जो पहले ही संशोधनों के जरिए हटा दिए गए हैं। इससे नए कानून में काफी सरलता आएगी। माना जा रहा है कि नया कानून मौजूदा कानून का करीब आधा रह जाएगा।

निर्मला सीतारमण ने की है पहल

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जुलाई में बजट पेश करते समय आयकर अधिनियम, 1961 की व्यापक समीक्षा की घोषणा की थी और इसके लिए छह माह की समय सीमा भी बताई थी। बजट घोषणा की अनुपालना में केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की आंतरिक समिति और उपसमितियां बनाई थी। इसके अलावा मसौदा तैयार करने से पहले स्टेक होल्डर्स से सुझाव भी मांगे गए थे। हाबजट सत्र पहले चरण में 31 जनवरी से 13 फरवरी तथा दूसरा चरण 10 मार्च से 13 अप्रैल तक चलेगा। अगले साल का बजट एक फरवरी को पेश किया जाएगा।

क्यों लाया जा रहा है नया कानून

नए कानून को पेश करने के पीछे की वजह बताई जा रही है कि सरकार इसे सरल और स्पष्ट बनाना चाहती है। जिससे ये आम नागरिकों को समझने में आसान हो जाए। इसके अलावा पुराने कानून में मौजूद कुछ अनावश्यक प्रावधान भी खत्म किए जाएंगे। इन बदलावों का मकसद विवाद व मुकदमेबाजी में कमी लाना है। साथ ही इससे कानूनी प्रक्रिया का अनुपालन भी आसान होने की उम्मीद है।

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