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Indian stock market 6 महीने के बाद भारतीय शेयर मार्केट में पिछले सप्ताह अच्छी तेजी आई

लगभग 6 महीने के बाद भारतीय शेयर मार्केट में पिछले सप्ताह अच्छी तेजी आई। निफ्टी एक सप्ताह में 4.26 प्रतिशत चढ़ा जो पिछले चार वर्षों  में सर्वाधिक सप्ताहिक बढ़त है। अब अगली बाधा 200 दिनों का मूविंग एवरेज 24000 है।

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Shashank Bhardwaj
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नई दिल्ली, वाईवीएन नेटवर्क

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लगभग 6 महीने के बाद भारतीय शेयर मार्केट में पिछले सप्ताह अच्छी तेजी आई। निफ्टी एक सप्ताह में 4.26 प्रतिशत चढ़ा जो पिछले चार वर्षों  में सर्वाधिक सप्ताहिक बढ़त है।
अब अगली बाधा 200 दिनों का मूविंग एवरेज 24000 है।यह अभी 650 अंक दूर है तथा निफ्टी अपने हाल के निचले स्तर 21800 से 1550 अंक चढ़ चुका है,अतः 24000 थोड़ा कठिन लगता है परंतु शेयर मार्केट में तेजी या मंदी की तीव्र चाल बनती है तो फिर अवास्तविक लगने वाले स्तर भी आते दिखते हैं। मार्केट में थोड़ा आत्मविश्वास लौटता दिखा है। निफ्टी के 24000 हजार के ऊपर बंद होने पर यह आत्मविश्वास अधिक सुदृढ़ हो जाएगा।तब शेयर विशेष में बड़ी अच्छी तेजी दिख सकती है।पिछले सप्ताह उचित पीई के शेयरों में बहुत अच्छी तेजी दिखी।

अनुभवी निवेशकों ने किया बेहतर मूल्यांकन

अनुभवी तथा बुद्धिमान निवेशक आकर्षक मूल्यांकन पर उपलब्ध शेयरों को इकट्ठा करते दिखे हैं। इन प्रकार का क्रय तेजी का आधार तैयार करते हैं।
अब यदि अभी सरकार द्वारा कोई शेयर मार्केट के लिए कोई प्रोत्साहन के उपायों की घोषणा की जाती है तो इससे सामान्य भारतीय निवेशकों का आत्मविश्वास पुनः प्रबल होगा तथा मार्केट इन स्तरों से बड़ी ऊंची छलांग लगा सकता है।

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कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए

पिछले सप्ताह कुछ महत्वपूर्ण परिवर्तन भी हुए हैं।विदेशी संस्थागत निवेशक पुनः क्रेता बने हैं।सप्ताह के अंतिम दो व्यापारिक सत्रों में उन्होंने नकद संभाग में 10700 करोड़ रुपए के शेयर क्रय किए। रुपया भी डॉलर की तुलना में 85 पैसे शक्तिशाली हुआ।निफ्टी सप्ताह के पांचों दिन बढ़ कर बंद हुआ।इनमें तीन दिन 200 से अधिक अंकों की तेजी देखी गई,साथ ही किसी एक दिन की तेजी के बाद अगले दिन भी तेजी दिखी।अच्छा संकेत।
जिस दिन अमेरिकी शेयर मार्केट में गिरावट रही,उससे प्रभावित हुए बिना भारतीय मार्केट उस दिन भी बढ़े।

पिछले सप्ताह डाउ में भी 497 अंकों की बढ़त रही

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भारत में मुद्रास्फीति कम हो रही जिससे ब्याज दरों में आक्रामक कटौती आ सकती है।अमेरिका सहित अन्य प्रमुख राष्ट्रों में भी नीची ब्याज दरों का युग पुनः लौटने को है।इससे इक्विटी में निवेश का प्रवाह बढ़ेगा।वैश्विक कोष प्रबंधकों के पास बड़ी नकद धनराशि है,वॉरेन बफेट के पास भी।गिरावट के पश्चात शेयरों के मूल्य भी आकर्षक हुए हैं। शेयर मार्केट मे तेजी के लिए आत्मविश्वास का शक्तिशाली होना बहुत आवश्यक होता है।अभी की मंदी में यह हिल सा गया था।
शेयर मार्केट बहुत संवेदनशील होता है तथा अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण भी होता है।लाखों करोड़ रुपए की राशि निवेशित,सृजित रहती है।सरकार द्वारा इसको अत्यंत

अतिरिक्त सावधानी के साथ हैंडल  किया जाना चाहिए।

संकट में दिखे तो उसके अनुरूप पग भी उठाए जाने चाहिए।अनेक सरकारें ऐसा करती भी हैं। भारत में भी सरकार इस अवधारणा के साथ ऐसा करना चाहिए,करते रहना चाहिए। शेयर मार्केट की अवहेलना तो बिल्कुल नहीं होनी चाहिए।भारत जैसे राष्ट्र को तो अच्छे शेयर मार्केट की परम आवश्यकता है ,अतः सरकार तो पर्याप्त संवेदनशील होनी ही चाहिए। भारतीय शेयर मार्केट के लिए अगला सप्ताह महत्वपूर्ण हो गया है क्योंकि एक बड़ी मंदी के पश्चात जो तेजी आई है,उसका टिकना,विस्तार बहुत आवश्यक हो गया है।
मंदी भी लाभ देती है पर मुट्ठी भर शेयर ट्रेडर्स को,तेजी अधिकांश निवेशकों को लाभ देती है। मंदी में संपत्ति का क्षय होता है,तेजी में अभिवृद्धि होती है।
क्रूड के मूल्यों में पिछले सप्ताह 2.24 प्रतिशत की तेजी अवश्य आई है परंतु धारणा मंदी की है। यदि ऐसा होता है तो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा होगा।
अभी निवेशकों का आत्मविश्वास ही महत्वपूर्ण है क्योंकि यह 19 करोड़ डीमैट खाता धारकों का आत्मविश्वास होगा।सरकार पूंजीगत लाभ में कमी की कृपा कर दे तो शेयर मार्केट के भी पुराने अच्छे दिन पुनः वापस लौट आ जाएंगे।
हर मंदी बहुत कुछ सिखाती है।इस मंदी ने भी सिखाया कि अत्यधिक मूल्यांकन के  शेयरों से दूर रहिए,फंडामेंटली अच्छे शेयरों में ही निवेश करें,
कई गुणा लाभ हो रहा तो कुछ लाभ ले लें,शेयर विभिन्न भावों में खरीदें,मार्केट में संकट हो तो उस समय बहुत सस्ते मूल्यों पर मिल रहे शेयरों को खरीदने के लिए धन तथा साहस रखें आदि आदि।
उदाहरण हैं,शेयर मार्केट में बुद्धिमता पूर्ण निवेश बहुत अच्छा,सबसे अच्छा प्रतिफल देता है।
हर भारतीय को शेयर मार्केट में निवेश सीखना चाहिए,करना चाहिए।
भारत की अर्थव्यवस्था 2015 में 2.1 ट्रिलियन डॉलर थी जो 2025 में 4.3 ट्रिलियन डॉलर होने की संभावना है।2025 में भारत की अर्थव्यवस्था जापान को तथा 2027 में जर्मनी की पीछे छोड़ देगी।ये इस आधार पर शेयर मार्केट के पूंजीकरण में तो अवश्य ही वृद्धि करेगी।अतः  अगले दो तीन वर्षों में तो शेयर मार्केट का विस्तार,बढ़त निश्चित है।
कॉरपोरेट लाभ में तीव्र वृद्धि वापस लौटी तो मार्केट में प्रभावी उछाल शीघ्र दिख सकता है

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