नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । क्या कर्ज में डूबी टेलीकॉम कंपनियों को राहत मिलती दिख रही थी? क्या लाखों यूज़र्स को बेहतर सर्विस की उम्मीद थी? क्या सुप्रीम कोर्ट से माफी की आस लगाए बैठे थे दिग्गज कारोबारी? अब झटका लगा है – और यह छोटा नहीं है।
देश की शीर्ष अदालत ने आज बड़ा फैसला सुनाते हुए भारती एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज की AGR बकाया माफ करने की याचिकाएं "गलत" करार देते हुए खारिज कर दी हैं। इसका सीधा असर टेलीकॉम सेक्टर की सेहत, उपभोक्ता सेवाओं और शेयर बाजार पर पड़ सकता है।
क्या है पूरा मामला?
AGR यानी Adjusted Gross Revenue को लेकर दूरसंचार कंपनियों और केंद्र सरकार के बीच लंबे समय से विवाद चल रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही 2019 में आदेश दिया था कि टेलीकॉम कंपनियों को 1.47 लाख करोड़ रुपये सरकार को चुकाने होंगे। इसके बाद कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी कि बकाया राशि को माफ कर दिया जाए या कुछ राहत दी जाए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आज यह कहकर उनकी याचिका खारिज कर दी कि ये याचिकाएं "गलत" हैं और पहले ही इस पर फैसला हो चुका है।
टेलीकॉम कंपनियों को क्यों चाहिए थी राहत?
एयरटेल, वोडाफोन आइडिया और टाटा टेलीसर्विसेज का तर्क था कि वे पहले से ही आर्थिक संकट में हैं और अगर AGR बकाया देना पड़ा, तो उनके लिए सेवाएं देना मुश्किल हो जाएगा। वोडाफोन आइडिया खास तौर पर सबसे कमजोर स्थिति में है और उसके लिए यह फैसला जीवन-मृत्यु जैसा है। कंपनियां चाहती थीं कि कोर्ट उनके ऊपर बकाया बोझ को कुछ हद तक कम कर दे।
सुप्रीम कोर्ट का क्या कहना है?
कोर्ट ने कहा कि ये याचिकाएं पुनर्विचार के नाम पर दायर की गईं, जबकि पहले ही 2019 में स्पष्ट फैसला दिया जा चुका है। अदालत का मानना है कि यह मामला दोबारा खोलने लायक नहीं है और न्यायालय को इसकी कोई ज़रूरत नहीं दिखती। इसलिए इन याचिकाओं को निरस्त कर दिया गया।
इससे उपभोक्ताओं पर क्या असर पड़ेगा?
AGR बकाया मामले में सुप्रीम कोर्ट का यह सख्त रुख सीधे तौर पर कंपनियों की वित्तीय हालत पर असर डालेगा। अगर कंपनियां दिवालिया होती हैं या सेवाओं में कटौती करती हैं, तो इसका बोझ आम उपभोक्ताओं पर पड़ेगा – या तो सर्विस महंगी होगी या फिर क्वालिटी में गिरावट आएगी। वहीं शेयर बाजार में भी इन कंपनियों के स्टॉक्स पर दबाव आ सकता है।
क्या अब सरकार कुछ कर सकती है?
अब जब सुप्रीम कोर्ट ने AGR पर माफी की संभावना खत्म कर दी है, तो एकमात्र रास्ता केंद्र सरकार के पास है। अगर सरकार चाहे तो नीति के तहत कंपनियों को कुछ राहत दे सकती है, जैसे पेमेंट की शर्तें आसान करना या ब्याज में कटौती करना। लेकिन क्या सरकार ऐसा कदम उठाएगी, यह आने वाले हफ्तों में साफ होगा।
AGR मामले में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले ने दूरसंचार क्षेत्र की तीन प्रमुख कंपनियों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। यह फैसला न केवल कंपनियों के लिए, बल्कि करोड़ों मोबाइल यूज़र्स और देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए भी अहम मोड़ साबित हो सकता है।
क्या सुप्रीम कोर्ट का फैसला सही है या कंपनियों को राहत मिलनी चाहिए थी? नीचे कमेंट में अपनी राय जरूर दें।
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