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अमेरिका ने चीन पर लगाया 245% टैरिफ, जानें टैरिफ युद्ध की कहानी का सच

ट्रम्प प्रशासन का मानना है कि विदेशी खनिजों पर निर्भरता अमेरिका की सुरक्षा और विकास को कमजोर कर सकती है, इसलिए उन्होंने उच्च टैरिफ का निर्णय लिया।

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Ajit Kumar Pandey
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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क । अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तनाव एक बार फिर सुर्खियों में है। अमेरिका ने चीन से आयात होने वाले उत्पादों पर 245% तक टैरिफ लगाने की घोषणा की है। यह कदम चीन द्वारा अमेरिकी उत्पादों पर 125% टैरिफ लगाए जाने के जवाब में उठाया गया है। आइए, इस टैरिफ युद्ध की पूरी कहानी और इसके पीछे के कारणों को विस्तार से समझते हैं।

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अमेरिका का बड़ा फैसला

 tarrif | china news | america : व्हाइट हाउस ने हाल ही में एक आधिकारिक बयान जारी कर कहा कि चीन की जवाबी कार्रवाइयों के कारण अमेरिका ने यह कठोर कदम उठाया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने आयातित खनिजों और उनसे बने उत्पादों पर निर्भरता को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया। इसके लिए उन्होंने एक कार्यकारी आदेश जारी किया, जिसमें महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति और उनके प्रभावों की जांच का निर्देश दिया गया।

ट्रम्प प्रशासन का मानना है कि विदेशी खनिजों पर अत्यधिक निर्भरता अमेरिका की रक्षा क्षमता, बुनियादी ढांचे और तकनीकी विकास को कमजोर कर सकती है। इस आदेश के तहत अमेरिका ने सभी देशों के आयात पर 10% टैरिफ लागू किया है। हालांकि, उन देशों पर विशेष रूप से उच्च टैरिफ लगाए गए हैं, जिनके साथ अमेरिका का व्यापार घाटा सबसे ज्यादा है।

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चीन पर क्यों 245% टैरिफ?

व्हाइट हाउस के अनुसार, चीन ने हाल के महीनों में अमेरिका के खिलाफ कई जवाबी कदम उठाए हैं। इनमें गैलियम, जर्मेनियम, एंटीमनी और अन्य उच्च-तकनीकी सामग्रियों के निर्यात पर प्रतिबंध शामिल हैं, जिनका उपयोग सैन्य और तकनीकी क्षेत्रों में होता है। इसके अलावा, चीन ने छह दुर्लभ रेयर अर्थ मेटल और रेयर अर्थ चुंबकों के निर्यात को भी निलंबित कर दिया।

अमेरिका का दावा है कि चीन की ये कार्रवाइयां वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला को बाधित करने की कोशिश हैं। ये सामग्रियां ऑटोमोबाइल, एयरोस्पेस, सेमीकंडक्टर और सैन्य उपकरण निर्माताओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। इन प्रतिबंधों ने अमेरिकी उद्योगों को नुकसान पहुंचाया है, जिसके जवाब में अमेरिका ने 245% टैरिफ का फैसला किया।

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अन्य देशों के साथ क्या है स्थिति?

व्हाइट हाउस ने बताया कि 75 से अधिक देशों ने नए व्यापार समझौतों के लिए अमेरिका से संपर्क किया है। इस वजह से चीन को छोड़कर अन्य देशों पर जवाबी टैरिफ को फिलहाल टाल दिया गया है। यह कदम अमेरिका की रणनीति को दर्शाता है, जिसमें वह वैश्विक व्यापारिक साझेदारियों को मजबूत करते हुए चीन पर दबाव बनाना चाहता है।

टैरिफ युद्ध का वैश्विक प्रभाव

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यह टैरिफ युद्ध न केवल अमेरिका और चीन, बल्कि वैश्विक अर्थव्यवस्था को भी प्रभावित कर सकता है। उच्च टैरिफ से दोनों देशों के बीच व्यापार लागत बढ़ेगी, जिसका असर उपभोक्ताओं पर पड़ सकता है। इसके अलावा, रेयर अर्थ मेटल और अन्य महत्वपूर्ण सामग्रियों की आपूर्ति में कमी से तकनीकी और सैन्य क्षेत्रों में नई चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं।

क्या है रेयर अर्थ मेटल और इनका महत्व?

रेयर अर्थ मेटल ऐसे खनिज हैं, जो इलेक्ट्रॉनिक्स, नवीकरणीय ऊर्जा और सैन्य उपकरणों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये चुंबक, बैटरी और अन्य उच्च-तकनीकी उत्पादों के लिए आवश्यक हैं। चीन इन सामग्रियों का दुनिया का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है, जिसके कारण उसका वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला पर बड़ा नियंत्रण है।

आगे क्या होगा?

अमेरिका और चीन के बीच यह टैरिफ युद्ध दोनों देशों के व्यापारिक रिश्तों को और तनावपूर्ण बना सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर दोनों देशों ने बातचीत के रास्ते नहीं अपनाए, तो वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था पर इसका लंबा असर पड़ सकता है। दूसरी ओर, अमेरिका की कोशिश है कि वह अपनी निर्भरता को कम कर घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दे।

अमेरिका का चीन पर 245% टैरिफ लगाने का फैसला वैश्विक व्यापार में एक नया मोड़ ला सकता है। यह कदम न केवल दोनों देशों के बीच तनाव को बढ़ाएगा, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला और उद्योगों पर भी गहरा प्रभाव डालेगा। इस टैरिफ युद्ध का अगला और इसके प्रभावों को समझने के लिए हमें भविष्य की घटनाओं पर नजर रखनी होगी।

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