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Madhabi Buch को Bombay High Court से बड़ी राहत, ACB अदालत के आदेश पर लगाई रोक

सेबी की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच समेत 6 अफसरों पर शेयर लिस्टिंग से जुड़े फ्रॉड के आरोप लगे हैं। बाम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि शिकायतकर्ता ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है।

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Ajit Kumar Pandey
MADHBI BUCH

MADHBI BUCH Photograph: (x)

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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क ।

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सेबी की पूर्व चेयरपर्सन माधबी बुच समेत 6 अफसरों पर एसीबी अदालत ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया था। इस पूरे मामले पर आज यानि मंगलवार को बाम्बे हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है। माधबी बुच ने बाम्बे हाईकोर्ट में एसीबी की स्पेशल अदालत के आदेश को चुनौती दी थी। 

बाम्बे हाईकोर्ट ने कहा है कि शिकायतकर्ता ने जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगा है। सभी पक्षों को सुनने के बाद, ऐसा प्रतीत होता है कि न्यायाधीश ने डिटेल्स में जाए बिना और आवेदकों को उनकी भूमिका बताए बिना आदेश पारित कर दिया है। इसलिए, आदेश पर रोक लगा दी गई है।

मुंबई के एक स्पेशल एंटी-करप्शन कोर्ट ने शनिवार (1 मार्च 2025) को शेयर फ्रॉड से जुड़े मामले में FIR का आदेश दिया था। यह आदेश स्पेशल जज एसई बांगर ने ठाणे बेस्ड जर्नलिस्ट सपन श्रीवास्तव की ओर से दायर याचिका पर दिया था। सपन ने स्टॉक एक्सचेंज पर कंपनी की लिस्टिंग में बड़े पैमाने पर फाइनेंशियल फ्रॉड और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया था।

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शिकायतकर्ता ने लगाया है यह आरोप

श्रीवास्तव ने दावा किया कि उन्होंने और उनके परिवार ने 13 दिसंबर 1994 को कैल्स रिफाइनरीज लिमिटेड के शेयरों में निवेश किया था, जिसमें उन्हें भारी नुकसान हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि सेबी और BSE ने कंपनी के अपराधों की अनदेखी की।

इसे कानून के खिलाफ लिस्ट किया और निवेशकों के हितों की रक्षा करने में विफल रहे। कैल्स रिफाइनरीज़ को 1994 में लिस्टिंग की अनुमति दी गई थी और अगस्त 2017 में ट्रेडिंग से सस्पेंड कर दिया गया था। ये शेयर आज तक सस्पेंडेड है।

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शिकायतकर्ता ने अदालत में दिए तीन तर्क...

  1. सेबी के अधिकारी अपने वैधानिक कर्तव्य में विफल रहे।
  2. बाजार में हेराफेरी करने दी गई, इससे निवेशकों को नुकसान हुआ।
  3. नियमों को पूरा नहीं करने वाली कंपनी की लिस्टिंग की अनुमति दी।

सेबी ने अदालत में दिए तीन तर्क...

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  1. बुच और तीनों होलटाइम मेंबर्स उस समय (1994) अपने संबंधित पदों पर नहीं थे।
  2. अदालत ने सेबी को तथ्यों को रिकॉर्ड पर रखने का मौका दिए बिना आदेश पारित किया।
  3. आवेदक आदतन वादी है। पिछले आवेदनों को अदालत ने खारिज कर दिया था।

माधवी बुच समेत इन छह लोगों पर FIR का आदेश

  1. SEBI की पूर्व चीफ माधबी पुरी बुच
  2. SEBI के होल टाइम मेंबर अश्वनी भाटिया
  3. SEBI के होल टाइम मेंबर अनंत नारायण
  4. SEBI के होल टाइम मेंबर कमलेश चंद्र वार्ष्णेय
  5. BSE के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल
  6. BSE के CEO सुंदररमन राममूर्ति

ACB को 30 दिनों के भीतर स्टेटस रिपोर्ट पेश करे

स्पेशल कोर्ट के जज बांगर ने मुंबई के एंटी-करप्शन ब्यूरो (ACB), भारतीय दंड संहिता, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत FIR दर्ज करने का आदेश दिया था। अदालत ने ACB को 30 दिनों के भीतर स्टेटस रिपोर्ट पेश करने को भी कहा था।

आइए जानते हैं कि कौन हैं माधबी बुच

बुच ने अपना करियर 1989 में ICICI बैंक से शुरू किया था। 2007 से 2009 तक ICICI बैंक में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर थीं। वे फरवरी 2009 से मई 2011 तक ICICI सिक्योरिटीज की मैनेजिंग डायरेक्टर और CEO थीं।

2011 में सिंगापुर चली गईं और वहां उन्होंने ग्रेटर पैसिफिक कैपिटल में काम किया। माधबी के पास फाइनेंशियल सेक्टर में 30 साल का लंबा अनुभव है। 2022 में उन्हें सेबी का चेयरपर्सन बनाया गया था।

सेबी चीफ पर लगे 2 बड़े आरोप...

अमेरिकी कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने दावा किया था कि माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की अडाणी ग्रुप से जुड़ी ऑफशोर कंपनी में हिस्सेदारी है। SEBI चीफ पर कांग्रेस पार्टी ने भी आरोप लगाए थे। कांग्रेस ने SEBI से जुड़े होने के दौरान ICICI बैंक समेत 3 जगहों से सैलरी लेने का आरोप लगाया था।

माधबी पुरी बुच 28 फरवरी को सेबी चीफ के पद से रिटायर हुई हैं। उनकी जगह केंद्र सरकार ने वित्त सचिव तुहिन कांत पांडे को अगला SEBI प्रमुख नियुक्त किया है। तुहिन अगले 3 साल के लिए इस पद पर रहेंगे।

तुहिन कांत पांडे ओडिशा कैडर के 1987 बैच के IAS अधिकारी हैं। वे मोदी 3.0 सरकार में भारत के सबसे व्यस्त सचिवों में से एक हैं। वे फिलहाल केंद्र सरकार में चार महत्वपूर्ण विभागों को संभाल रहे हैं। उन्हें 7 सितंबर 2024 को वित्त सचिव के पद पर नियुक्त किया गया था।

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