नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क ।
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अर्थव्यवस्था को गति देने और बैंकिंग सिस्टम में नकदी की उपलब्धता बढ़ाने के लिए एक और महत्वपूर्ण कदम उठाया है। RBI ने घोषणा की है कि वह 17 अप्रैल, 2025 को विभिन्न परिपक्वता अवधि वाली सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद करेगा, जिसकी कुल राशि 40,000 करोड़ रुपये होगी। यह कदम खुले बाजार परिचालन (Open Market Operation- OMO) के तहत उठाया जाएगा, जिसका उद्देश्य बैंकों के पास अधिक नकदी उपलब्ध कराना और कर्ज वितरण को प्रोत्साहित करना है।
RBI की तीसरी OMO खरीद इस वित्त वर्ष में
RBI April 2025 Updates | Banking Sector News : चालू वित्त वर्ष 2025-26 में यह RBI का तीसरा ओपन मार्केट ऑपरेशन होगा। इससे पहले, 3 अप्रैल को 20,000 करोड़ रुपये और 8 अप्रैल को भी 20,000 करोड़ रुपये की सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद की गई थी। इन कदमों के जरिए RBI ने बैंकिंग सिस्टम में नकदी का प्रवाह बढ़ाने की दिशा में ठोस प्रयास किए हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2025 से अब तक RBI ने बैंकिंग सिस्टम में लगभग 7 लाख करोड़ रुपये की नकदी डाली है।
इसके अलावा, RBI ने फरवरी और अप्रैल 2025 में रेपो रेट में दो बार कटौती भी की है। रेपो रेट में कमी से बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) द्वारा दिए जाने वाले लोन की ब्याज दरें कम हुई हैं, जिससे आम उपभोक्ताओं और व्यवसायों को सस्ता कर्ज मिलने में मदद मिली है।
क्या है ओपन मार्केट ऑपरेशन (OMO)?
ओपन मार्केट ऑपरेशन RBI का एक प्रमुख मौद्रिक नीति उपकरण है, जिसके माध्यम से यह अर्थव्यवस्था में नकदी की मात्रा को नियंत्रित करता है। इस प्रक्रिया में RBI सरकारी प्रतिभूतियों (बॉन्ड्स या सिक्योरिटीज) को खरीदता या बेचता है।
जब RBI प्रतिभूतियां खरीदता है: इससे बैंकों के पास अधिक नकदी आती है, जिससे वे अधिक कर्ज दे सकते हैं। यह प्रक्रिया अर्थव्यवस्था में निवेश और खपत को बढ़ावा देती है।
जब RBI प्रतिभूतियां बेचता है: इससे बैंकों के पास नकदी कम होती है, जिससे कर्ज देने की उनकी क्षमता घटती है। यह कदम तब उठाया जाता है जब अर्थव्यवस्था में अतिरिक्त नकदी को नियंत्रित करने की जरूरत होती है।
OMO के जरिए RBI न केवल नकदी की आपूर्ति को नियंत्रित करता है, बल्कि महंगाई, ब्याज दरों और आर्थिक स्थिरता को भी संतुलित करने का प्रयास करता है।
RBI के कारगर कदम
ओपन मार्केट ऑपरेशन (OMO) के अलावा, RBI नकदी प्रबंधन के लिए कई अन्य उपकरणों का भी उपयोग करता है। इनमें शामिल हैं...
डॉलर-रुपया स्वैप: विदेशी मुद्रा और रुपये के बीच स्वैप के जरिए नकदी का प्रबंधन।
वेरिएबल रेट रेपो (VRR): बैंकों को अल्पकालिक नकदी उपलब्ध कराने का तरीका।
रेपो रेट समायोजन: बैंकों के लिए उधार की लागत को कम या ज्यादा करना।
इन सभी उपायों का उद्देश्य अर्थव्यवस्था में नकदी का संतुलन बनाए रखना और आर्थिक विकास को गति देना है।
इस कदम का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव
RBI के इस ताजा कदम से बैंकों के पास अधिक नकदी उपलब्ध होगी, जिससे वे व्यवसायों और व्यक्तियों को सस्ते कर्ज दे सकेंगे। इससे छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs), रियल एस्टेट, और ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में निवेश को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। साथ ही, कम ब्याज दरों का फायदा आम उपभोक्ताओं को होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन के रूप में मिलेगा।
इसके अलावा, यह कदम अर्थव्यवस्था में मांग को बढ़ाने में भी मदद करेगा, जो वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं के बीच भारत की विकास गति को बनाए रखने के लिए जरूरी है।
क्यों है यह खबर महत्वपूर्ण?
RBI का यह कदम न केवल बैंकिंग सिस्टम के लिए, बल्कि समग्र अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है। नकदी की कमी को दूर करके और सस्ते कर्ज को बढ़ावा देकर RBI ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि भारत की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार बनी रहे। यह खबर उन लोगों के लिए खास तौर पर उपयोगी है जो बिजनेस, निवेश, या लोन लेने की योजना बना रहे हैं।
RBI ने संकेत दिए हैं कि वह भविष्य में भी जरूरत पड़ने पर नकदी प्रबंधन के लिए ऐसे कदम उठाता रहेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि वैश्विक और घरेलू आर्थिक परिस्थितियों को देखते हुए RBI की यह रणनीति अर्थव्यवस्था को स्थिरता प्रदान करने में कारगर होगी।
अगर आप इस कदम का फायदा उठाने की सोच रहे हैं, तो अपने बैंक से संपर्क करके सस्ते लोन और अन्य वित्तीय योजनाओं की जानकारी लेना न भूलें।