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चीन-वियतनाम की चुनौती और भारत की रणनीति : चमड़ा उद्योग पर आज हो रहा है निर्णायक वार्तालाप!

संसद में आज चमड़ा उद्योग के भविष्य पर मंथन! CII, FICCI, FIEO समेत प्रमुख संगठन व कानपुर-चेन्नई के क्लस्टर प्रतिनिधि अपनी राय रखेंगे। निर्यात और रोजगार बढ़ाने की नई राहें खुलेंगी, चुनौतियां कम होंगी। भारतीय चमड़ा उद्योग के लिए निर्णायक दिन!

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Ajit Kumar Pandey
चीन-वियतनाम की चुनौती और भारत की रणनीति : चमड़ा उद्योग पर आज हो रहा है निर्णायक वार्तालाप! | यंग भारत न्यूज

चीन-वियतनाम की चुनौती और भारत की रणनीति : चमड़ा उद्योग पर आज हो रहा है निर्णायक वार्तालाप! | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई​ दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । भारतीय चमड़ा उद्योग एक ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां से इसका भविष्य तय होगा। आज गुरूवार 10 जुलाई 2025 को संसद भवन एनेक्सी में संसदीय स्थायी समिति की महत्वपूर्ण बैठक होने जा रही है। इस बैठक में CII, FICCI, FIEO, CLE जैसे प्रमुख औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधि और कानपुर व चेन्नई के चमड़ा क्लस्टरों के प्रतिनिधि 'भारतीय चमड़ा उद्योग: वर्तमान विश्लेषण और भविष्य की संभावनाएं' विषय पर अपने विचार रखेंगे। यह बैठक देश के लिए करोड़ों रुपये के निर्यात और लाखों रोजगार के अवसरों को प्रभावित करने वाले इस उद्योग के लिए एक गेम चेंजर साबित हो सकती है।

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भारत का चमड़ा उद्योग सिर्फ एक व्यवसाय नहीं, बल्कि एक विरासत है। यह सदियों से लाखों लोगों को रोजगार देता आ रहा है और देश के निर्यात में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लेकिन, बदलते वैश्विक परिदृश्य, बढ़ती प्रतिस्पर्धा और पर्यावरणीय चिंताओं के कारण यह उद्योग कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। आज की बैठक इन चुनौतियों पर खुलकर बात करने और समाधान खोजने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। 

कठोर वैश्विक प्रतिस्पर्धा: चीन, वियतनाम और इटली जैसे देशों से बढ़ती प्रतिस्पर्धा भारतीय चमड़ा उद्योग के लिए एक बड़ी चुनौती है। इन देशों के पास अक्सर बेहतर तकनीक और कम उत्पादन लागत होती है।

पर्यावरणीय नियम: चमड़ा उत्पादन एक जल-गहन प्रक्रिया है और इसमें कई रासायनिक पदार्थों का उपयोग होता है। सख्त होते पर्यावरणीय नियम उद्योग पर अतिरिक्त दबाव डाल रहे हैं।

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कुशल श्रम की कमी: आधुनिक तकनीकों और डिजाइनों के लिए कुशल श्रमिकों की कमी भी एक चिंता का विषय है।

डिजाइन और नवाचार: वैश्विक बाजारों में अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए भारतीय चमड़ा उत्पादों में लगातार नवाचार और आधुनिक डिजाइनों की आवश्यकता है।

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आज की बैठक का महत्व: क्या उम्मीदें हैं?

आज की बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें उद्योग के सभी प्रमुख हितधारक एक साथ आ रहे हैं। CII, FICCI, FIEO, CLE जैसे संगठन भारत के चमड़ा उद्योग की आवाज हैं। कानपुर और चेन्नई के चमड़ा क्लस्टर, जो देश में चमड़ा उत्पादन के प्रमुख केंद्र हैं, अपनी जमीनी हकीकत और समस्याओं को सामने रखेंगे। इस बैठक से उम्मीद है कि सरकार उद्योग की समस्याओं को समझेगी और नई नीतियां व समर्थन उपाय लागू करेगी। 

संभावित परिणाम और अपेक्षाएं

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निर्यात को बढ़ावा: बैठक में निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं पर चर्चा हो सकती है, जिससे भारतीय चमड़ा उत्पादों को वैश्विक बाजार में और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाया जा सके।

नई तकनीक और आधुनिकीकरण: आधुनिक मशीनरी और प्रक्रियाओं को अपनाने के लिए सरकारी सहायता पर विचार किया जा सकता है।

कौशल विकास: चमड़ा उद्योग में कुशल कार्यबल तैयार करने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों और संस्थानों को मजबूत करने पर जोर दिया जा सकता है।

पर्यावरण-अनुकूल उत्पादन: स्थायी उत्पादन विधियों और पर्यावरण-अनुकूल प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए प्रोत्साहन दिए जा सकते हैं।

घरेलू खपत में वृद्धि: घरेलू बाजार में चमड़ा उत्पादों की मांग बढ़ाने के उपायों पर भी चर्चा हो सकती है।

भारतीय चमड़ा उद्योग में अपार संभावनाएं हैं। यह सिर्फ जूते और बेल्ट तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें परिधान, सामान और औद्योगिक उपयोग के उत्पाद भी शामिल हैं। सरकार के समर्थन और उद्योग के प्रयासों से यह क्षेत्र न केवल लाखों लोगों को रोजगार दे सकता है, बल्कि 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' के सपने को भी साकार कर सकता है। आज की संसदीय समिति की बैठक इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। 

यह बैठक सिर्फ कागजी कार्यवाही नहीं, बल्कि भारत के चमड़ा उद्योग के भविष्य की नींव रखने जा रही है। सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि इस मंथन से क्या ठोस परिणाम निकलकर आते हैं। 

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