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डेली यूज का सामान बनाने वाली कंपनियों को GST की नई गाइडलाइन का इंतजार, एमआरपी वाले स्टॉक को लेकर भ्रम

रोजमर्रा के उपयोग का सामान बनाने वाली कंपनियां मौजूदा जीएसटी व्यवस्था के तहत छपे हुए एमआरपी वाले स्टॉक को लेकर असमंजस में हैं। उन्हेंगोदामों और खुदरा दुकानों में पड़े अपने भंडार से निपटने के लिए जीएसटी कार्यान्वयन के दिशानिर्देशों का इंतजार है। 

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Mukesh Pandit
GST Reforms

Photograph: (Google)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। गुड्स एवं सर्विस टैक्स परिषद ने जीएसटी के दो स्लैब लागू करने की घोषणा तो कर दी है, लेकिन अब भी थोक और खुदरा कारोबार से जुड़े व्यापारियों को सरकार की ओर से पुरानी एमआरपी के स्टाक को लेकर नई गाइडलाइन का इतंजार है। इतना ही नही रोजमर्रा के उपयोग का सामान बनाने वाली कंपनियां भी मौजूदा जीएसटी व्यवस्था के तहत छपे हुए एमआरपी वाले स्टॉक को लेकर असमंजस में हैं। उन्हें देशभर में अपने गोदामों और खुदरा दुकानों में पड़े अपने भंडार से निपटने के लिए सरकार से जीएसटी कार्यान्वयन दिशानिर्देशों का इंतजार है। उद्योग जगत का मानना है कि दैनिक उपयोग के सामान (एफएमसीजी) पर कम शुल्क वाली नई जीएसटी व्यवस्था लागू होने से खपत बढ़ेगी। 

पुरानी एमआरपी वाले मौजूदा स्टॉक को लेकर भ्रम

मौजूदा कर व्यवस्था के तहत उपलब्ध स्टॉक के कारण इससे ‘अल्पकालिक व्यवधान’ पैदा होगा। उद्योग को उम्मीद है कि सरकार उन्हें 22 सितंबर से जीएसटी सुधारों के लागू होने के बाद भी पुराने एमआरपी वाले मौजूदा स्टॉक को छूट के साथ बेचने की अनुमति देगी। इमामी के उपाध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हर्षवर्धन अग्रवाल ने समाचार एजेंसी को बताया कि फिलहाल, हर कोई इस बात का मूल्यांकन कर रहा है कि क्या किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, इसके अलावा, हम इस मामले में सरकार से सत्यापन प्राप्त करने का भी प्रयास कर रहे हैं। निश्चित रूप से, हम यह भी देखेंगे कि एमआरपी में बदलावों से हम कितनी जल्दी निपट सकते हैं। 

उत्पाद-दर-उत्पाद और स्टॉक स्तर पर निर्भर करेगा

कुछ एफएमसीजी कंपनियों द्वारा कीमतों में गिरावट से निपटने के लिए सरकार से और समय मांगने के बारे में पूछे जाने पर, उद्योग मंडल फिक्की के अध्यक्ष की भूमिका निभा रहे अग्रवाल ने कहा कि यह उत्पाद-दर-उत्पाद और स्टॉक स्तर पर निर्भर करेगा। उन्होंने कहा, चुनौतियां अलग-अलग कंपनियों के लिए अलग-अलग हो सकती हैं। इस समय, हम मौजूदा परिदृश्य और चुनौतियों का मूल्यांकन कर रहे हैं ताकि एक इससे निपटने की योजना तैयार की जा सके।

अक्टूबर से ही लागू हो सकेंगी नई कीमतें

गोदरेज कंज्यूमर के प्रबंध निदेशक और सीईओ सुधीर सीतापति ने  समाचार एजेंसी से कहा कि उपभोक्ताओं को अगले महीने की शुरुआत या मध्य तक ही कम कीमतों पर एफएमसीजी उत्पाद मिलेंगे, क्योंकि नए एमआरपी के साथ सामान बाजार में पहुंचने में समय लगता है। सीतापति ने कहा कि दैनिक उपभोग वाले उत्पादों (एफएमसीजी) पर जीएसटी की दर घटाकर पांच प्रतिशत करने से उद्योग में ‘कुछ अल्पकालिक व्यवधान’ पैदा हो गए हैं। इसकी वजह यह है कि एफएमसीजी क्षेत्र एमआरपी व्यवस्था पर चलता है और वितरकों एवं कंपनियों के पास अधिक एमआरपी वाले स्टॉक मौजूद हैं। 

व्यापारियों पर पुराना स्टाक पहले की एमआरपी का है

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उन्होंने कहा, ‘‘वितरकों और एफएमसीजी कंपनियों के पास जो स्टॉक है, वह अधिक एमआरपी वाला है। सीधे व्यवसायों को पैसे देने से उपभोक्ताओं तक लाभ तुरंत नहीं पहुंच पाता है। नए एमआरपी वाले उत्पादों के बाजार तक पहुंचने में थोड़ा समय लगेगा।’’ माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की नई दरें 22 सितंबर से लागू होंगी। हालांकि, सीतापति ने संकेत दिया कि इसे लागू होने में अधिक समय लग सकता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि अगले महीने की शुरुआत या मध्य तक उपभोक्ताओं को एफएमसीजी उत्पादों की कीमतों में गिरावट दिखने लगेगी। पारले प्रोडक्ट्स के उपाध्यक्ष मयंक शाह ने कहा कि एफएमसीजी उद्योग कार्यान्वयन दिशानिर्देशों का इंतजार कर रहा है। 

 कंपनियों के सामने अलग-अलग चुनौतियां 

उन्होंने कहा, उद्योग निकाय पहले से ही सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं। जो दिशानिर्देश दिए जाते हैं, उसके आधार पर हमें या तो तुरंत कदम उठाना होगा या कुछ समय दिया जा सकता है। हालांकि, मौजूदा स्टॉक के बारे में, शाह ने कहा कि अलग-अलग कंपनियों के सामने अलग-अलग चुनौतियां हैं। जैसे व्यक्तिगत देखाभाल वाले उत्पादों के मुकाबले खाद्य उत्पाद की मियाद कम होती है। लेकिन उनकी बिक्री की गति ज्यादा होती है। हर कंपनी के लिए चुनौतियां अलग-अलग होती हैं। बहुत कुछ आने वाले दिशानिर्देशों पर निर्भर करेगा। 

वी-मार्ट नहीं करेगी पुराने लेबल पर बदलाव

वी-मार्ट ने कहा है कि वह मौजूदा स्टॉक के उत्पाद लेबल पर एमआरपी में कोई बदलाव नहीं करेगी। हालांकि, वह उपभोक्ताओं को अंतिम बिल पर छूट जरूर देगी। वी-मार्ट रिटेल के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ललित अग्रवाल ने कहा, ‘‘सरकार द्वारा जीएसटी में की गई कटौती का लाभ उपभोक्ताओं को दिए जाने वाले अंतिम बिल पर छूट के रूप में मिलेगा।’’ जीएसटी परिषद ने माल एवं सेवा कर के चार स्लैब की जगह दो स्लैब करने का फैसला किया। अब कर की दरें पांच और 18 प्रतिशत होंगी जबकि विलासिता एवं सिगरेट जैसी अहितकर वस्तुओं पर 40 प्रतिशत की विशेष दर लागू होगी। सिगरेट, तंबाकू और अन्य संबंधित वस्तुओं को छोड़कर नई कर दरें 22 सितंबर से प्रभावी हो जाएंगी। दरों को युक्तिसंगत बनाये जाने के तहत टेलीविजन एवं एयर कंडीशनर जैसे उपभोक्ता वस्तुओं के अलावा खानपान और रोजमर्रा के कई सामान समेत करीब 400 वस्तुओं पर दरें कम की गई हैं। Diwali GST Gift | GST 2.0 news | GST 2.0 changes | GST 2.0 explained | GST 2.0 Tax Reform 

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