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Explainer : भारतीय रुपया जल्द बनेगा ग्लोबल करेंसी! क्या है RBI का मास्टरप्लॉन प्लान?

RBI का मास्टरप्लान अब रुपया जल्द बनेगा इंटरनेशनल करेंसी: नेपाल, भूटान, श्रीलंका को रुपये में लोन मिलेगा। SRVAs में बॉन्ड खरीदने से वैश्विक मांग बढ़ेगी। डॉलर पर निर्भरता कम होगी। एक्सप्लेनर में पढ़ें, क्या यह फैसला भारत को विश्व मंच पर स्थापित करेगा।

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Ajit Kumar Pandey
Explainer : भारतीय रुपया जल्द बनेगा ग्लोबल करेंसी! क्या है RBI का मास्टरप्लॉन प्लान? | यंग भारत न्यूज

Explainer : भारतीय रुपया जल्द बनेगा ग्लोबल करेंसी! क्या है RBI का मास्टरप्लॉन प्लान? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।भारतीय रिजर्व बैंक RBI ने एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है जो भारतीय रुपये को इंटरनेशनल करेंसी बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। अब भारत के बैंक नेपाल, भूटान और श्रीलंका को व्यापारिक कर्ज रुपये में देंगे। यह फैसला न केवल इन देशों के साथ भारत के आर्थिक रिश्तों को मजबूत करेगा बल्कि रुपये के अंतरराष्ट्रीय इस्तेमाल को भी अभूतपूर्व तरीके से बढ़ाएगा। 

आइए Young Bharat News के इस एक्सप्लेनर में समझते हैं कि कैसे RBI का यह 'गेम-चेंजर' प्लान रुपये को डॉलर के प्रभुत्व वाली दुनिया में एक नई पहचान देगा। 

'ऑपरेशन रुपी किंग' RBI का वो गुप्त प्लान जो डॉलर को देगा चुनौती 

दुनिया भर की अर्थव्यवस्थाएं लंबे समय से एक सवाल से जूझ रही हैं क्या अमेरिकी डॉलर का एकाधिकार कभी खत्म होगा? इस बीच, भारत के केंद्रीय बैंक भारतीय रिजर्व बैंक RBI ने एक ऐसी रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है जो चुपचाप, लेकिन मजबूती से इस वैश्विक वित्तीय समीकरण को बदलने का माद्दा रखती हैं। 

यह रणनीति है भारतीय रुपये को उसके पड़ोस में 'किंग' बनाना ताकि वह धीरे-धीरे वैश्विक मुद्रा के रूप में अपनी जगह बना सके। पिछले कुछ समय से RBI जिस 'ऑपरेशन रुपी किंग' पर काम कर रहा था, अब उसके अहम हिस्से सामने आ गए हैं। ये कदम केवल वित्तीय नियम नहीं हैं बल्कि भारत की आर्थिक महाशक्ति बनने की दिशा में एक स्पष्ट घोषणापत्र हैं। 

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तीन पिलर, एक लक्ष्य रुपये को ग्लोबल बनाना 

RBI के गवर्नर संजय मल्होत्रा द्वारा घोषित इस नई योजना के तीन मुख्य पिलर हैं जो एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और जिनका अंतिम लक्ष्य रुपये को पड़ोसी देशों के व्यापार की धुरी बनाना है। नेपाल, भूटान और श्रीलंका को रुपये में कर्ज प्रमुख मुद्राओं के लिए स्पष्ट रेफरेंस रेट। वोस्ट्रो खातों के जमा पैसों से कॉर्पोरेट बॉन्ड्स खरीदने की छूट। 

तो चलिए इन फैसलों की गहराई और उनके दूरगामी असर को समझते हैं। पहला पिलर पड़ोसी देशों को 'रुपी-लोन' का फायदा भारत के बैंक अब नेपाल, भूटान और श्रीलंका के व्यापारिक संस्थानों को रुपये में कर्ज दे सकेंगे। यह सुनने में एक साधारण नियम लग सकता है, लेकिन इसके परिणाम असाधारण होंगे। ऐसा क्यों जरूरी है? 

फिलहाल, इन देशों के बीच व्यापार में लेन-देन के लिए अक्सर अमेरिकी डॉलर जैसी तीसरी मुद्रा का सहारा लेना पड़ता है। इससे विनिमय दर का जोखिम Exchange Rate Risk और ट्रांजैक्शन कॉस्ट Transaction Cost दोनों बढ़ जाते हैं। जब भारत का कोई व्यापारी नेपाल को सामान बेचता है तो उसे पहले नेपाली मुद्रा को डॉलर में और फिर डॉलर को रुपये में बदलना पड़ता है। इस जटिल प्रक्रिया में समय और पैसा दोनों लगता है। 

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RBI के इस नए नियम के बाद नेपाल का कोई आयातक सीधे रुपये में कर्ज ले सकता है और भारतीय निर्यातक को रुपये में भुगतान कर सकता है। 

क्या आप जानते हैं? भारत का दक्षिण एशियाई देशों को होने वाला लगभग 90 परसेंट निर्यात इन्हीं तीन देशों नेपाल, भूटान, श्रीलंका को जाता है जो सालाना लगभग 25 अरब डॉलर का विशाल कारोबार है। रुपये में कर्ज मिलने से इस 25 अरब डॉलर के कारोबार का एक बड़ा हिस्सा सीधे रुपये में होने लगेगा। 

यह कदम न सिर्फ व्यापार को आसान बनाएगा बल्कि श्रीलंका जैसे आर्थिक संकट से जूझ रहे देशों को डॉलर की कमी के वक्त बड़ी राहत भी देगा। उनके लिए रुपये में कर्ज लेना डॉलर में कर्ज लेने से कहीं ज्यादा आसान और सस्ता होगा। यह उन्हें भारत पर आर्थिक रूप से अधिक निर्भर बनाएगा जो रणनीतिक और आर्थिक दोनों दृष्टि से भारत के लिए फायदेमंद है। 

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Explainer : भारतीय रुपया जल्द बनेगा ग्लोबल करेंसी! क्या है RBI का मास्टरप्लॉन प्लान? | यंग भारत न्यूज
Explainer : भारतीय रुपया जल्द बनेगा ग्लोबल करेंसी! क्या है RBI का मास्टरप्लॉन प्लान? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

दूसरा पिलर मुद्रा दरों में आएगी 'पारदर्शिता की रोशनी' 

RBI ने दूसरा अहम फैसला लिया है कि वह भारत के बड़े व्यापारिक साझेदार देशों की मुद्राओं के लिए स्पष्ट और भरोसेमंद रेफरेंस रेट Reference Rate बनाएगा। व्यापारियों को इसका क्या लाभ होगा? जब तक मुद्रा के विनिमय मूल्य Exchange Value को लेकर स्पष्टता नहीं होती, तब तक व्यापारी रुपये में बिलिंग करने से डरते हैं। वे हमेशा यह जानना चाहते हैं कि किसी भी समय उनके देश की मुद्रा की तुलना में रुपये की वास्तविक कीमत क्या है। 

RBI का यह कदम इसी अनिश्चितता को खत्म करेगा। एक स्पष्ट रेफरेंस रेट होने से बिलिंग आसान होगी विदेशी व्यापारी बिना किसी डर के रुपये में बिलिंग कर सकेंगे। जोखिम कम होगा रुपये की कीमत में अचानक उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान का अनुमान लगाना आसान होगा। भरोसा बढ़ेगा अंतरराष्ट्रीय बाजारों में रुपये की विश्वसनीयता बढ़ेगी, जिससे ज्यादा से ज्यादा देश इसे इस्तेमाल करने पर विचार करेंगे। 

यह एक ऐसा मास्टरस्ट्रोक है जो दिखाता है कि RBI केवल नियम नहीं बना रहा बल्कि रुपये के ग्लोबल इस्तेमाल के लिए एक मजबूत पारदर्शिता का इकोसिस्टम तैयार कर रहा है। 

तीसरा पिलर SRVA के पैसों से अब खरीदो 

'कॉर्पोरेट बॉन्ड्स' तीसरा फैसला विदेशी निवेशकों के लिए निवेश के दरवाजे और खोलता है। स्पेशल रुपया वोस्ट्रो खाते Special Rupee Vostro Accounts - SRVAs में जमा पैसों को अब तक मुख्य रूप से सिर्फ कारोबार में इस्तेमाल करने की अनुमति थी। अब RBI ने इस नियम में ढील दी है। निवेशकों के लिए इसका क्या मतलब है? अब विदेशी निवेशक अपने SRVAs के जमा पैसों से भारत में जारी किए गए कॉर्पोरेट बॉन्ड्स Corporate Bonds और कमर्शियल पेपर्स Commercial Papers भी खरीद सकेंगे। 

पहले, उन्हें केवल सरकारी सिक्योरिटीज खरीदने की अनुमति थी। इस दायरे को बढ़ाने से निवेश बढ़ेगा विदेशी निवेशकों को भारत के मजबूत कॉर्पोरेट सेक्टर में निवेश करने का एक आकर्षक और सुरक्षित जरिया मिलेगा। रुपये की मांग बढ़ेगी उन्हें इन बॉन्ड्स को खरीदने के लिए रुपये की आवश्यकता होगी जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में भारतीय रुपये की मांग Demand for Indian Rupee में सीधे बढ़ोतरी होगी। 

Explainer : भारतीय रुपया जल्द बनेगा ग्लोबल करेंसी! क्या है RBI का मास्टरप्लॉन प्लान? | यंग भारत न्यूज
Explainer : भारतीय रुपया जल्द बनेगा ग्लोबल करेंसी! क्या है RBI का मास्टरप्लॉन प्लान? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

पूंजी बाजार मजबूत होगा 

भारतीय कंपनियों को विदेशी निवेशकों से पूंजी जुटाने का नया और आसान रास्ता मिलेगा, जिससे भारत का पूंजी बाजार और मजबूत होगा। यह फैसला रुपये को 'व्यापार की मुद्रा' से ऊपर उठाकर 'निवेश की मुद्रा' बनाने की दिशा में एक साहसिक कदम है। 

आखिर RBI को यह सब क्यों करना पड़ रहा है? 

ग्लोबल रेस की कहानी सवाल यह है कि RBI इतनी तेजी से रुपये के इंटरनेशनलीकरण Internationalisation पर जोर क्यों दे रहा है? इसके पीछे कई बड़े कारण हैं। 

डॉलर पर निर्भरता कम करना: रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिकी प्रतिबंधों ने दुनिया को दिखा दिया है कि किसी एक मुद्रा पर अत्यधिक निर्भरता कितनी खतरनाक हो सकती है। डॉलर पर निर्भरता कम करने से भारत को वैश्विक भू-राजनीतिक उथल-पुथल से सुरक्षा मिलेगी। 

'एक्सॉर्बिटेंट प्रिविलेज' का लाभ: अमेरिकी डॉलर को वैश्विक मुद्रा होने के कारण एक विशेष अधिकार मिला हुआ है, जिसे 'एक्सॉर्बिटेंट प्रिविलेज' कहते हैं। इसका मतलब है कि अमेरिका बिना किसी डर के बड़ी मात्रा में मुद्रा छाप सकता है, क्योंकि दुनिया भर के देश उसे स्वीकार करने को तैयार हैं। अगर रुपया भी ग्लोबल बनता है तो भारत को भी इसका बड़ा आर्थिक और राजनीतिक लाभ मिलेगा। 

'मेक इन इंडिया' को सपोर्ट: जब व्यापार रुपये में होता है तो भारतीय निर्यातकों को विनिमय दर के जोखिम से मुक्ति मिलती है। वे अपने उत्पादों की कीमत रुपये में तय कर सकते हैं, जिससे निर्यात और 'मेक इन इंडिया' को बल मिलता है। 

आगे की राह क्या 2030 तक रुपया सच में ग्लोबल हो पाएगा? 

RBI की यह पहल एक लंबी यात्रा की शुरुआत है। रुपये को सच में एक वैश्विक मुद्रा बनने के लिए अभी लंबा रास्ता तय करना है। 

अर्थशास्त्र के जानकार प्रोफेसर डॉ. राजकुमार पाण्डेय कहते हैं कि इसके लिए तीन चीजें जरूरी हैं पूंजी खाता परिवर्तनशीलता Capital Account Convertibility पूंजी को देश के अंदर और बाहर लाने-ले जाने के नियमों को और उदार बनाना। रुपये की स्थिरता Rupee Stability घरेलू और वैश्विक अर्थव्यवस्था में रुपये की कीमत का स्थिर रहना। वित्तीय बाजारों की गहराई Depth of Financial Markets भारत के वित्तीय बाजारों का और अधिक व्यापक और तरल होना। 

आर्थिक मामलों के जानकार प्रो. प्रेमशंकर सिंह और डॉ सुजीत कुमार कहते हैं कि RBI की यह योजना खासकर पड़ोसी देशों में रुपये को एक 'पसंदीदा मुद्रा' Favorite Currency बना देगी। इससे न सिर्फ व्यापार में आसानी होगी बल्कि रुपये की मांग बढ़ने से उसकी वैल्यू भी मजबूत होगी।

आर्थिक तौर पर यह कदम भारत की छवि को एक मजबूत और भरोसेमंद वैश्विक खिलाड़ी के रूप में स्थापित करेगा। भारत आज दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। जैसे-जैसे इसकी आर्थिक ताकत बढ़ेगी, वैसे-वैसे रुपये का अंतरराष्ट्रीय कद भी बढ़ना तय है। RBI ने अब केवल इस प्रक्रिया को तेज करने का काम किया है।

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