Advertisment

Explainer: आपकी EMI - नौकरी और महंगाई कौन तय करता है? क्या है RBI का 'सीक्रेट' कोड?

RBI की MPC 6 सदस्यों की वो समिति जो हर दो महीने में तय करती है आपकी EMI, महंगाई और देश की विकास दर। रेपो रेट पर बहुमत से फैसले के लिए जिम्मेदार यह स्वतंत्र संस्था CPI को 4% ±2% पर संतुलित कर आर्थिक स्थिरता बनाती है। जानें, क्या है यह 'सीक्रेट कोड'।

author-image
Ajit Kumar Pandey
Explainer: आपकी EMI - नौकरी और महंगाई कौन तय करता है? क्या है RBI का 'सीक्रेट' कोड? | यंग भारत न्यूज

Explainer: आपकी EMI - नौकरी और महंगाई कौन तय करता है? क्या है RBI का 'सीक्रेट' कोड? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।महीने दो महीने में टीवी स्क्रीन पर और समाचार पत्रों में एक खबर आती है– 'आरबीआई ने ब्याज दरों में किया बदलाव'। यह खबर जितनी छोटी होती है, इसका असर उतना ही बड़ा होता है। एक आम आदमी की महीने की किस्त EMI बढ़ या घट जाती है, शेयर बाजार हिल जाता है और कंपनियों को पूंजी जुटाना महंगा या सस्ता हो जाता है। लेकिन, क्या आपने कभी सोचा है कि पर्दे के पीछे यह फैसला लेता कौन है? और इसका आधार क्या होता है? 

यह फैसला कोई एक व्यक्ति नहीं, बल्कि एक खास 'किचन कैबिनेट' लेती है, जिसका नाम है – मौद्रिक नीति समिति Monetary Policy Committee - MPC। यह RBI का वो सबसे पावरफुल कमरा है, जहां देश की आर्थिक सेहत का मेन्यू तैयार होता है। 

Young Bharat News के इस Explainer में जानिए, MPC का 'सीक्रेट कोड' कैसे आपकी जिंदगी को दिशा देता है। 

मौद्रिक नीति समिति 6 सदस्य और लोगों की जिम्मेदारी 

MPC को भारत की मौद्रिक नीति तय करने की स्वतंत्र और सबसे महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली हुई है। इसकी भूमिका केवल दरें तय करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि देश की अर्थव्यवस्था सही पटरी पर दौड़े। इसका प्राथमिक लक्ष्य है महंगाई Inflation को काबू में रखना, जो 4 परसेंट के स्तर पर रहे ±2% के दायरे में। 

Advertisment

दूसरा, आर्थिक वृद्धि दर Economic Growth को बढ़ावा देना। ये दोनों लक्ष्य अक्सर एक-दूसरे के विरोधी होते हैं- महंगाई घटाने के लिए दरें बढ़ाओ तो ग्रोथ धीमी हो जाती है ग्रोथ बढ़ाने के लिए दरें घटाओ तो महंगाई बढ़ जाती है। MPC इसी रस्सी पर संतुलन बनाती है। 

वो 6 चेहरे, जिनके हाथ में है देश की चाबी 

मौद्रिक नीति समिति में कुल छह सदस्य होते हैं। यह संख्या जानबूझकर सम Even रखी गई है, ताकि किसी भी बड़े फैसले में गवर्नर का वोट निर्णायक Decisive बन सके और सर्वसम्मति के बजाय स्पष्ट बहुमत से निर्णय हो। ये 6 सदस्य कौन होते हैं? 

RBI के तीन सदस्य, गवर्नर समिति के प्रमुख और एक डिप्टी गवर्नर जिन्हें केंद्रीय बोर्ड द्वारा नामित किया जाता है। एक कार्यकारी निदेशक जिन्हें केंद्रीय बोर्ड द्वारा नामित किया जाता है। सरकार द्वारा नामित तीन बाहरी सदस्य ये प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री या विशेषज्ञ होते हैं, जो सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। इनका कार्यकाल चार साल का होता है और इन्हें दोबारा नियुक्त नहीं किया जा सकता। यह नियम उनकी स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है। 

Advertisment

यह संरचना क्यों जरूरी है? 

बाहरी सदस्यों को शामिल करने का मुख्य उद्देश्य यह है कि मौद्रिक नीति केवल आरबीआई की आंतरिक सोच पर आधारित न हो, बल्कि इसमें देश के सर्वश्रेष्ठ अर्थशास्त्रियों के विविध दृष्टिकोण और स्वतंत्र राय भी शामिल हों। 

क्या आप जानते हैं? 

जब MPC में 6 सदस्य हों और किसी निर्णय पर वोट 3-3 से बराबर हो जाए, तो RBI गवर्नर को एक और यानी निर्णायक वोट Casting Vote डालने का अधिकार होता है। यही गवर्नर की शक्ति का सबसे बड़ा प्रतीक है। 

MPC की बैठक 48 घंटों का मंथन और बड़ा फैसला MPC की बैठकें आमतौर पर हर दो महीने में होती हैं, जिसे द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा Bi-monthly Monetary Review कहा जाता है। 

Advertisment

हालांकि, महंगाई के लक्ष्य को तोड़ने या वैश्विक आर्थिक संकट जैसी विशेष परिस्थितियों में इमरजेंसी बैठकें भी बुलाई जा सकती हैं। 

बैठक में विश्लेषण के मुख्य बिंदु 

MPC के सदस्य कोई भी फैसला लेने से पहले तमाम राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक डेटा का गहराई से विश्लेषण करते हैं। उनके एजेंडे में ये चीजें सबसे ऊपर होती हैं महंगाई दर CPI।

क्या यह आरबीआई के 4% ±2% के लक्ष्य के भीतर है? 

विकास दर GDP Growth देश की आर्थिक गतिविधियों की गति कैसी है? क्या विकास को प्रोत्साहन देने की ज़रूरत है? अंतरराष्ट्रीय कारक कच्चे तेल की कीमतें, ग्लोबल इकॉनमिक ट्रेंड्स, अमेरिका के फेडरल रिजर्व की दरें। 

सरकारी वित्त वित्तीय घाटा: Fiscal Deficit और सरकार के खर्चों का देश की लिक्विडिटी पर असर। 

विनिमय दर: Rupee Exchange Rate रुपये की डॉलर के मुकाबले स्थिति और विदेशी निवेश का प्रवाह। 

MPC की पूरी कोशिश होती है कि वो अगले 18 से 24 महीनों के लिए महंगाई और विकास दर का सटीक पूर्वानुमान लगा सके। यह फोरकास्ट ही दरें तय करने का मूल आधार बनता है। वो 'जादुई' नंबर रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट MPC का सबसे बड़ा हथियार है रेपो रेट Repo Rate। यही वो 'जादुई नंबर' है जो आपकी ईएमआई को सीधे प्रभावित करता है। 

रेपो रेट क्या है? 

रेपो रेट वह ब्याज दर है जिस पर आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को पैसा उधार देता है। जब रेपो रेट बढ़ती है बैंकों के लिए आरबीआई से पैसा लेना महंगा हो जाता है। नतीजतन, बैंक भी ग्राहकों जैसे आपको को होम लोन, कार लोन या पर्सनल लोन महंगा देते हैं। इससे बाजार में पैसे की सप्लाई लिक्विडिटी कम होती है और महंगाई पर काबू पाया जाता है। 

जब रेपो रेट घटती है बैंकों के लिए पैसा सस्ता होता है, वे ग्राहकों को सस्ता कर्ज देते हैं। इससे खपत बढ़ती है, लोग खर्च करते हैं और अर्थव्यवस्था को गति मिलती है। 

इसके अलावा, MPC अन्य महत्वपूर्ण दरों जैसे रिवर्स रेपो रेट आरबीआई बैंकों से पैसा लेता है और सीमांत स्थायी सुविधा MSF दर पर भी फैसला लेती है। 

क्या आप जानते हैं कि MPC का फैसला कोई गुप्त नहीं होता? 

बैठक के सिर्फ दो हफ्ते बाद ही, सार्वजनिक रूप से यह बता दिया जाता है कि किस सदस्य ने दर बढ़ाने, घटाने या स्थिर रखने के पक्ष में वोट दिया था। यह पारदर्शिता क्यों जरूरी है, आगे जानिए। पारदर्शिता की ताकत क्यों जारी होती है स्टेटमेंट और मिनट्स? 

MPC न केवल फैसला लेती है, बल्कि हर दो महीने में एक विस्तृत 'मौद्रिक नीति स्टेटमेंट' भी जारी करती है। इस स्टेटमेंट में क्या होता है? 

ब्याज दरों में बदलाव/यथास्थिति: रेपो रेट और अन्य दरों पर अंतिम फैसला। 

दृष्टिकोण: महंगाई और विकास दर पर समिति का अगला नजरिया क्या है। 

अर्थव्यवस्था का विश्लेषण: देश की मौजूदा आर्थिक स्थिति का गहन मूल्यांकन। 

इसके अलावा, MPC की बैठक खत्म होने के 14वें दिन Working Day उस बैठक के 'मिनट्स' Minutes of the Meeting सार्वजनिक किए जाते हैं। मिनट्स में यह बताया जाता है कि MPC के किस सदस्य ने दरें बढ़ाने या घटाने के पक्ष में वोट दिया और क्यों दिया। यह पारदर्शिता, समिति की जवाबदेही तय करती है और यह दिखाती है कि हर सदस्य ने अपने फैसले के लिए कितना गहन शोध किया है। 

यह कदम MPC को एक विश्वसनीय और स्वतंत्र संस्था बनाता है। आम आदमी पर सीधा असर आपकी EMI और नौकरी MPC का फैसला सिर्फ अर्थशास्त्रियों के लिए नहीं होता, यह सीधे आपकी जेब को प्रभावित करता है। 

लोन और EMI: रेपो रेट बढ़ने पर होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन महंगे हो जाते हैं, जिससे आपकी मासिक किस्तें बढ़ जाती हैं। 

फिक्स्ड डिपॉजिट: FD रेपो रेट बढ़ने पर बैंक जमा पर ब्याज दरें भी बढ़ा देते हैं, जिससे वरिष्ठ नागरिकों और बचत करने वालों को फायदा होता है। 

नौकरी और निवेश: अगर MPC विकास को बढ़ावा देने के लिए दरें घटाती है तो कंपनियों के लिए निवेश करना सस्ता हो जाता है, जिससे नई फैक्ट्री लगती है, उत्पादन बढ़ता है और रोजगार के अवसर पैदा होते हैं। 

MPC मुद्रास्फीति और आर्थिक विकास के बीच संतुलन साधकर देश की समग्र आर्थिक स्थिरता बनाए रखने का काम करती है। एक मजबूत अर्थव्यवस्था ही अंततः सभी के लिए अधिक रोजगार और स्थिर कीमतों की गारंटी देती है। 

भविष्य की चुनौतियां: MPC का आगे का रास्ता 

आज की तारीख में, RBI की MPC को कई बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें शामिल हैं भू-राजनीतिक तनाव रूस-यूक्रेन युद्ध जैसे वैश्विक संघर्ष जो तेल और खाद्य कीमतों को अनिश्चित बनाते हैं। 

अस्थिर खाद्य महंगाई: मौसम की मार या सप्लाई चेन की बाधाओं के कारण टमाटर, प्याज जैसी चीजों के दाम में भारी उतार-चढ़ाव। 

अमेरिकी फेडरल रिजर्व के फैसले: यूएस फेड जब दरें बढ़ाता है, तो विदेशी निवेशक भारत से पैसा निकाल सकते हैं, जिससे रुपये पर दबाव आता है। 

इन चुनौतियों के बीच, MPC का काम और भी जटिल हो जाता है। उन्हें एक तरफ अपनी 'घर की' घरेलू महंगाई को देखना होता है, वहीं दूसरी तरफ 'पड़ोसियों' वैश्विक अर्थव्यवस्था में क्या चल रहा है, उस पर भी नजर रखनी होती है। 

MPC भारत की अर्थव्यवस्था का सबसे अहम वॉचडॉग है। यह संस्था न केवल देश की आर्थिक दिशा तय करती है, बल्कि यह भी तय करती है कि आपकी बचत पर आपको कितना रिटर्न मिलेगा और आपका लोन कितना महंगा होगा। 

इसलिए अगली बार जब आप ब्याज दरों में बदलाव की खबर सुनें, तो याद रखें, यह सिर्फ एक संख्या नहीं, बल्कि छह दूरदर्शी सदस्यों के गहन मंथन का परिणाम है जो 4 अरब लोगों की आर्थिक नियति को प्रभावित करता है। 

Repo Rate Explained | Inflation Control 

Inflation Control Repo Rate Explained Repo Rate monetary policy rbi
Advertisment
Advertisment