नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
एफएमसीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स के एक संगठन ने भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) के समक्ष एक याचिका दायर की है, जिसमें Quick Commerce कंपनियों जैसे जोमैटो के स्वामित्व वाली ब्लिंकिट, स्विगी और जेप्टो के खिलाफ प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रैक्टिस को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया है। यह जानकारी शुक्रवार को एक रिपोर्ट में दी गई।
Federation ने लगाए ये आरोप
डिस्ट्रीब्यूटर्स लॉबी ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन ने आरोप लगाया है कि क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म भारी छूट आदि के जरिए शिकारी प्रथाओं में लिप्त हैं।
यह भी पढ़ें: International Womens Day: महिलाओं की लीडरशिप में 7000 स्टार्टअप, फंडिंग के मामले अमेरिका के बाद दूसरा नंबर
CCI ने नहीं स्वीकारी याचिका
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया कि सीसीआई की ओर से अभी तक याचिका को स्वीकार नहीं किया गया है। प्रतिस्पर्धा नियामक अगले चार सप्ताह में इस बात पर निर्णय ले सकता है कि याचिका के खिलाफ जांच का आदेश दिया जाए या मामले को बंद कर दिया जाए। यह पहली बार है जब डिस्ट्रीब्यूटर्स के एक संगठन ने क्विक कॉमर्स के खिलाफ सीसीआई में एक औपचारिक मामला दायर किया है। इससे पहले, उद्योग निकाय ने वाणिज्य मंत्रालय और वित्त मंत्रालय को पत्र लिखा था।
यह भी पढ़ें: Business: छोटे शहरों में 34 प्रतिशत बढ़ा महिलाओं का वेतन, रिपोर्ट के मुताबिक नौकरियां भी बढ़ीं
Covid-19 महामारी में उभरी कंपनियां
प्रमुख डेटा और एनालिटिक्स कंपनी ग्लोबल डाटा के अनुसार, भारत में क्विक कॉमर्स तेजी से आगे बढ़ रहा है साथ ही शहरी आबादी दैनिक आवश्यकताओं के लिए तेजी से डिलीवरी सेवाओं निर्भरता बढ़ा रही है। जैसे-जैसे उपभोक्ता इंस्टेंट एक्सेस और समय बचाने वाली सेवाओं पर भरोसा कर रहे हैं, क्विक कॉमर्स विकल्पों की संख्या में वृद्धि हुई है, जिससे देश में उनका तेजी से विस्तार हो रहा है। ग्लोबल डाटा की उपभोक्ता विश्लेषक श्रावणी माली ने कहा, "कोविड-19 महामारी ने क्विक कॉमर्स में बदलाव को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, क्योंकि उपभोक्ताओं ने सुरक्षित और अधिक सुविधाजनक खरीदारी के तरीकों को प्राथमिकता दी है। क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म तेजी से डिलीवरी सेवाएं प्रदान कर इस जरूरत को पूरा कर रहे हैं, जिससे उपभोक्ता किराने का सामान, घरेलू सामान और खाने के लिए तैयार भोजन आसानी से ऑर्डर कर सकते हैं।"