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'सोने की चिड़िया' बनी झींगा मछली! जानिए — कैसे खुला 50000 करोड़ का बाजार? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।भारत और यूके के ऐतिहासिक मुक्त व्यापार समझौते (FTA) ने एक नए आर्थिक युग का सूत्रपात किया है, विशेषकर भारत के समुद्री उत्पाद उद्योग के लिए। आज गुरूवार 24 जुलाई 2025 को यह समझौता हुआ जिसमें आयात शुल्क शून्य हो गया है, 50,000 करोड़ रुपये के यूके समुद्री बाजार में भारतीय झींगा मछली की पहुंच को मजबूत करेगा। आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे प्रमुख झींगा उत्पादक राज्य इस ऐतिहासिक समझौते से सबसे ज्यादा लाभान्वित होंगे, जिससे उनकी अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व उछाल देखने को मिल सकता है।
आज 24 जुलाई 2025 का दिन भारत और यूनाइटेड किंगडम के संबंधों में मील का पत्थर बन गया। दोनों देशों ने बहुप्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर कर इसे तुरंत प्रभाव से लागू भी कर दिया है। यह सिर्फ दो देशों के बीच का समझौता नहीं, बल्कि भारत की आर्थिक महाशक्ति बनने की राह में एक महत्वपूर्ण कदम है। सबसे खास बात यह है कि इस समझौते के बाद अब किसी भी तरह के व्यापार पर कोई आयात शुल्क नहीं लगेगा। यह शून्य टैरिफ व्यवस्था भारतीय उत्पादों को यूके के बाजारों में अभूतपूर्व प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त देगी, जिससे निर्यात में भारी वृद्धि की उम्मीद है।
झींगा मछली: भारत की नई 'सोने की चिड़िया'
जब भी बड़े व्यापार समझौतों की बात होती है, हम अक्सर बड़े उद्योगों जैसे ऑटोमोबाइल या टेक्नोलॉजी पर ध्यान केंद्रित करते हैं। लेकिन भारत-यूके FTA का सबसे बड़ा लाभार्थी शायद एक ऐसा उत्पाद है जिसके बारे में कम ही लोग सोचते हैं: झींगा मछली। यूके के 50,000 करोड़ रुपये के विशाल समुद्री उत्पाद बाजार में भारतीय झींगा की मांग अब आसमान छूने वाली है। कल्पना कीजिए, यूके के सुपरमार्केट में रखी हर दूसरी झींगा भारतीय हो सकती है! यह न केवल समुद्री उत्पाद निर्यातकों के लिए एक बड़ा अवसर है, बल्कि हजारों मछुआरों और संबंधित उद्योगों के लिए भी एक जीवन बदलने वाला क्षण है।
आंध्र प्रदेश और ओडिशा: झींगा क्रांति के अग्रदूत
भारत में झींगा मछली का उत्पादन कई तटीय राज्यों में होता है, लेकिन आंध्र प्रदेश और ओडिशा इस क्षेत्र के बेताज बादशाह हैं। आंध्र प्रदेश देश के कुल झींगा उत्पादन का 50 से 60 प्रतिशत हिस्सा पैदा करता है, जबकि ओडिशा 20 प्रतिशत से अधिक का योगदान देता है। यूके में झींगा मछली की बढ़ती मांग का सीधा और सबसे बड़ा लाभ इन्हीं दो राज्यों को मिलेगा। उनकी अर्थव्यवस्था को एक नई गति मिलेगी, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और किसानों व मछुआरों की आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। यह समझौता उनके लिए सिर्फ व्यापार का अवसर नहीं, बल्कि एक सामाजिक-आर्थिक क्रांति का बीज है।
FTA का जादू: शून्य टैरिफ की शक्ति
भारत और यूके के बीच हुए इस मुक्त व्यापार समझौते से 99 प्रतिशत उत्पादों पर टैरिफ पूरी तरह से शून्य हो गया है। इसमें समुद्री उत्पाद भी शामिल हैं, और सबसे महत्वपूर्ण रूप से, झींगा मछली। वर्तमान में, यूके भारतीय समुद्री उत्पादों पर 8 प्रतिशत से अधिक का टैरिफ लगाता है, जिसमें झींगा मछली पर लगभग 8.5 प्रतिशत का टैरिफ शामिल है। इस टैरिफ के हटने से भारतीय झींगा उत्पाद सीधे तौर पर यूके के बाजारों में और अधिक प्रतिस्पर्धी हो जाएंगे। सोचिए, पहले जो उत्पाद महंगा था, अब वह बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के सीधे ग्राहकों तक पहुंचेगा। यह उपभोक्ताओं के लिए भी एक जीत है, जिन्हें गुणवत्तापूर्ण भारतीय झींगा अधिक किफायती दामों पर मिल सकेगी।
झींगा निर्यात का बढ़ता कद: एक वैश्विक पहचान
भारत विश्व के सबसे बड़े समुद्री उत्पाद निर्यातकों में से एक है। 2023-24 में, भारत ने यूके को 50,000 से 70,000 टन झींगा मछली का निर्यात किया था। पूरे समुद्री उत्पाद निर्यात की बात करें, तो यह 1,781,602 टन था, जिसमें से 7.16 लाख टन सिर्फ झींगा मछली थी। यह कुल समुद्री उत्पाद निर्यात का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा है, जबकि मूल्य के लिहाज से यह 66 प्रतिशत है। भारत हर साल 40,000 करोड़ रुपये से अधिक के समुद्री उत्पादों का निर्यात करता है। हमारे सबसे बड़े निर्यात गंतव्य अमेरिका (लगभग 3 लाख टन), चीन (1.48 लाख टन) और यूरोपीय संघ (90,000 टन) हैं। यूके के साथ यह नया समझौता इस सूची में एक मजबूत नया नाम जोड़ेगा और भारत की वैश्विक समुद्री उत्पाद बाजार में हिस्सेदारी को और बढ़ाएगा।
समुद्री उत्पादों की दुनिया में भारत का दबदबा
झींगा मछली के अलावा, भारत विभिन्न प्रकार के समुद्री उत्पादों का उत्पादन और निर्यात करता है। इसमें विभिन्न प्रकार की मछलियां, क्रैब, लॉबस्टर और अन्य समुद्री खाद्य पदार्थ शामिल हैं। यूके के साथ FTA न केवल झींगा के लिए, बल्कि अन्य भारतीय समुद्री उत्पादों के लिए भी नए द्वार खोलेगा। यह समझौता भारत के समुद्री उत्पाद उद्योग को वैश्विक मंच पर एक मजबूत पहचान देगा और इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाएगा। भारत की विशाल तटरेखा और विविध समुद्री संसाधन इसे इस क्षेत्र में एक स्वाभाविक नेता बनाते हैं, और यह समझौता इस नेतृत्व को मजबूत करेगा।
आर्थिक विकास और रोजगार के नए आयाम
FTA सिर्फ व्यापार समझौतों से कहीं बढ़कर होते हैं। वे अर्थव्यवस्थाओं को नई दिशा देते हैं और लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित करते हैं। यूके-भारत FTA का सबसे बड़ा प्रभाव आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों में दिखेगा, जहां झींगा पालन और प्रसंस्करण से जुड़े लाखों लोग रहते हैं। झींगा मछली की बढ़ती मांग से नए प्रसंस्करण संयंत्र लगेंगे, कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं का विस्तार होगा, और परिवहन व लॉजिस्टिक्स में भी निवेश बढ़ेगा। यह सब प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा करेगा, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों से पलायन कम होगा और जीवन स्तर में सुधार आएगा। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
FTA की कुछ चुनौतियां और अब आगे की राह कैसे होगी आसान
हालांकि FTA एक शानदार अवसर है, कुछ चुनौतियां भी हैं जिन पर ध्यान देना होगा। उत्पादन क्षमता बढ़ाना, गुणवत्ता मानकों को बनाए रखना और अंतरराष्ट्रीय बाजार की बदलती मांगों के अनुरूप ढलना महत्वपूर्ण होगा। भारत सरकार और राज्य सरकारों को मिलकर काम करना होगा ताकि झींगा उत्पादकों को आवश्यक सहायता और प्रशिक्षण मिल सके। आधुनिक तकनीकों को अपनाना, बेहतर फार्मिंग पद्धतियां विकसित करना और कोल्ड चेन को मजबूत करना इस सफलता की कुंजी होगी। यदि हम इन चुनौतियों का सामना कर पाते हैं, तो भारतीय झींगा मछली वास्तव में यूके के बाजारों में धूम मचा देगी।
भारत-यूके FTA केवल एक व्यापार समझौता नहीं है; यह भारत के समुद्री उत्पाद उद्योग के लिए एक उज्जवल भविष्य का संकेत है। यह आंध्र प्रदेश और ओडिशा जैसे राज्यों के लिए एक अभूतपूर्व अवसर है कि वे अपनी अर्थव्यवस्था को बदलें और अपने लोगों के लिए समृद्धि लाएं। जब शून्य टैरिफ की शक्ति के साथ भारतीय झींगा मछली यूके के बाजारों में प्रवेश करेगी, तो यह न केवल हमारे निर्यात को बढ़ाएगी, बल्कि भारत को वैश्विक समुद्री व्यापार में एक मजबूत खिलाड़ी के रूप में भी स्थापित करेगी। यह एक ऐसी कहानी है जो हमें बताती है कि कैसे सही नीतियों और अवसरों के साथ, एक छोटा सा उत्पाद भी पूरे देश की तकदीर बदल सकता है।
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