Advertisment

GST 2.0: 22 सितंबर से बदल जाएगा आपका बजट! जानें सैलून-जिम सस्ते, तो फूड डिलीवरी महंगी क्यों?

भारत में 22 सितंबर से 'जीएसटी 2.0' के तहत नई दरें लागू हो रही हैं, जिसका सीधा असर शहरी परिवारों के मासिक बजट पर पड़ेगा। इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य दैनिक उपयोग की वस्तुओं को सस्ता करना है।

author-image
Ajit Kumar Pandey
GST में बड़ा धमाका!

GST में बड़ा धमाका! Photograph: (Google)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । 22 सितंबर से भारत में जीएसटी की नई दरें लागू होने जा रही हैं, जिसे 'जीएसटी 2.0' का नाम दिया गया है। इस बदलाव का सीधा असर शहरी परिवारों के मासिक बजट पर पड़ेगा। वित्त मंत्रालय की घोषणा के अनुसार इस बार का मकसद आम आदमी की जेब पर पड़ने वाले बोझ को कम करना है, खासकर पर्सनल केयर, स्वास्थ्य और दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर। 

फिक्की और थॉट आर्बिट्रेज रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक संयुक्त रिपोर्ट के अनुसार, जीएसटी 2.0 लागू होने के बाद शहरी परिवारों के खर्च का एक बड़ा हिस्सा, करीब 66%, उन वस्तुओं और सेवाओं पर होगा जिन पर या तो 0% या सिर्फ 5% जीएसटी लगेगा। वर्तमान में यह आंकड़ा लगभग 50% है। 

यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है जो दर्शाता है कि सरकार ने आम उपभोक्ता के हितों को प्राथमिकता दी है। 

क्या-क्या होगा सस्ता? 

1. पर्सनल केयर और स्वास्थ्य सेवाएं

यह बदलाव सबसे ज़्यादा राहत सैलून, स्पा, और जिम सेवाओं में देगा। अब इन पर 18% की जगह सिर्फ 5% जीएसटी लगेगा। उदाहरण के लिए, 2000 रुपये के सैलून बिल पर पहले 360 रुपये टैक्स लगता था, जो अब घटकर सिर्फ 100 रुपये रह जाएगा। इसी तरह, योग और फिटनेस सेंटर की सेवाएं भी किफायती हो जाएंगी। हालांकि, यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि इन बिज़नेस को इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ नहीं मिलेगा, जिसका असर उनकी लागत पर पड़ सकता है। 

Advertisment

2. ज़रूरी घरेलू सामान 

साबुन, शैंपू, टूथपेस्ट, टूथब्रश, शेविंग क्रीम और फेस पाउडर जैसे रोजमर्रा के इस्तेमाल होने वाले सामान पर भी अब 5% जीएसटी लगेगा। पहले इनमें से कुछ पर 12% या 18% तक जीएसटी लगता था। इसी तरह, पर्चे वाले चश्मे और साइकिल के पार्ट्स पर भी टैक्स 12% से घटकर 5% हो गया है, जिससे ये भी सस्ते होंगे। यह कदम शहरी मध्यम वर्ग के लिए एक बड़ी राहत है। 

क्या-क्या होगा महंगा? 

1. ऑनलाइन फूड डिलीवरी 

जीएसटी 2.0 का एक नकारात्मक पहलू भी है, जो ऑनलाइन फूड डिलीवरी पर पड़ने वाला है। 22 सितंबर से जोमैटो, स्विगी और मैजिकपिन जैसी ऐप्स के डिलीवरी चार्ज पर 18% जीएसटी लगेगा। इससे हर ऑर्डर पर लगभग 2 से 2.6 रुपये का अतिरिक्त खर्च आएगा। 

त्योहारों के मौसम में जब ऑनलाइन ऑर्डर की संख्या बढ़ जाती है, यह अतिरिक्त खर्च काफी महसूस हो सकता है। यह उन लोगों के लिए झटका है जो अपनी सहूलियत के लिए अक्सर ऑनलाइन खाना मंगवाते हैं। 

Advertisment

जीएसटी स्लैब में बदलाव 

इस बदलाव का सबसे महत्वपूर्ण पहलू 12% जीएसटी स्लैब को पूरी तरह से खत्म करना है। जिन वस्तुओं और सेवाओं पर पहले 12% टैक्स लगता था, अब वे या तो 5% या 18% स्लैब में आ जाएंगी। 18% स्लैब में खर्च का हिस्सा 16.9% से घटकर 14.1% हो जाएगा, जबकि 28% या उससे ज़्यादा टैक्स वाली वस्तुओं का हिस्सा भी घटकर 0.2% रह जाएगा। 

इन बदलावों से सरकार का उद्देश्य टैक्स व्यवस्था को और सरल बनाना और कम आय वाले वर्ग को राहत पहुंचाना है। कुल मिलाकर, जीएसटी 2.0 शहरी परिवारों के लिए एक मिश्रित परिणाम लेकर आया है। जहां एक तरफ रोजमर्रा के खर्च और पर्सनल केयर पर बचत होगी, वहीं ऑनलाइन फूड डिलीवरी पर खर्च बढ़ जाएगा। 

सरकार का यह कदम साफ तौर पर आम लोगों को राहत देने और जीवन शैली से जुड़ी जरूरी चीजों को किफायती बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है। 

Advertisment

GST | Diwali GST Gift | GST 2.0 | gst 2025 | GST 2.0 explained 

GST 2.0 explained gst 2025 GST 2.0 Diwali GST Gift GST
Advertisment
Advertisment