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US वाणिज्य मंत्री का India पर 'मक्का अटैक', क्या बोले हॉवर्ड लुटनिक?

अमेरिका ने भारत पर 'एकतरफा' व्यापार और मक्का न खरीदने का आरोप लगाकर नया मोर्चा खोल दिया है। रूस से तेल विवाद के बाद, यह नया टकराव व्यापार संबंधों में तनाव बढ़ा रहा है। भारत जीएम मक्के पर प्रतिबंधों और घरेलू किसानों के हितों का हवाला दे रहा है।

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Ajit Kumar Pandey
US वाणिज्य मंत्री का India पर 'मक्का अटैक', क्या बोले हॉवर्ड लुटनिक? | यंग भारत न्यूज

US वाणिज्य मंत्री का India पर 'मक्का अटैक', क्या बोले हॉवर्ड लुटनिक? | यंग भारत न्यूज Photograph: (X.com)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।एक तरफ तो ट्रंप भारत के पीएम मोदी को अपना खास दोस्त बताते हैं साथ यूएस की टीम वार्ता करने के लिए दिल्ली पहुंच चुकी है और वार्ता आरंभ होने वाली है। तो वहीं दूसरी ओर अब यूएस ने भारत पर इस बार एक नया आरोप लगाया है। यह है 'मक्का अटैक'। आइए विस्तार से जानते हैं कि आखिर क्या है 'मक्का अटैक'। 

अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने एक अमेरिकी पत्रकार को दिए साक्षात्कार में भारत पर निशाना साधते हुए कहा कि 1.4 अरब की आबादी होने के बावजूद भारत अमेरिका से एक बुशल भी मक्का नहीं खरीदता। यह बयान ऐसे समय में आया है जब रूस से तेल खरीद पर पहले से ही दोनों देशों के बीच तल्खी है।

अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने क्या आरोप लगाया 

अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक के बयान ने दोनों देशों के व्यापार संबंधों में एक नया मोड़ ला दिया है। उन्होंने सीधे तौर पर भारत की व्यापारिक नीतियों को 'एकतरफा' बताते हुए कहा, "वे हमें सब कुछ बेचते हैं, हमारा फायदा उठाते हैं, लेकिन हमारे मक्के का एक दाना भी नहीं खरीदते।" 

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यह आरोप ऐसे समय में लगाया गया है जब दोनों देशों के बीच व्यापारिक वार्ताएं फिर से शुरू होने वाली हैं। लुटनिक का यह बयान अमेरिका की 'अमेरिका फर्स्ट' नीति का हिस्सा माना जा रहा है। अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापारिक तनाव के कारण अमेरिकी किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। 

चीन ने अमेरिकी कृषि उत्पादों, खासकर मक्के की खरीद में भारी कटौती की है, जिसके कारण अमेरिकी किसान दिवालियापन के कगार पर पहुंच गए हैं। ऐसे में ट्रंप प्रशासन भारत जैसे बड़े बाजार में अपने कृषि उत्पादों को बेचना चाहता है ताकि अपने किसानों को राहत दे सके। 

भारत क्यों नहीं खरीदता अमेरिकी मक्का? 

दरअसल, इस विवाद की जड़ में अमेरिकी मक्का की प्रकृति है। अमेरिका में उत्पादित अधिकांश मक्का आनुवंशिक रूप से संशोधित होता है। भारत में खाद्य श्रृंखला में जीएम उत्पादों के प्रवेश को रोकने के लिए इनके आयात और खेती पर सख्त प्रतिबंध हैं। 

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भारत की सरकार ने यह फैसला देश के किसानों के हितों की रक्षा और खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए लिया है। यहां तक कि नीति आयोग ने भी इथेनॉल उत्पादन के लिए जीएम मक्का उगाने का प्रस्ताव रखा था, जिसे बाद में खारिज कर दिया गया। यह दर्शाता है कि भारत सरकार अपनी खाद्य नीतियों को लेकर कितनी गंभीर है। 

अमेरिका का मक्का भले ही सस्ता हो लेकिन, भारत अपने नागरिकों और किसानों के स्वास्थ्य और सुरक्षा से समझौता नहीं करना चाहता। भारत मक्का का छठा सबसे बड़ा उत्पादक है और अपनी अधिकांश जरूरतों को घरेलू स्तर पर ही पूरा कर लेता है। जरूरत पड़ने पर वह यूक्रेन या म्यांमार जैसे देशों से गैर-जीएम मक्का आयात करता है। 

रूस से तेल की खरीद और टैरिफ का खेल मक्का विवाद से पहले, भारत और अमेरिका के बीच रूस से तेल की खरीद पर भी तनाव था। यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों ने रूस पर कई प्रतिबंध लगाए, लेकिन भारत ने अपनी ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए रूस से रियायती दरों पर तेल खरीदना जारी रखा। 

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अमेरिका ने इस खरीद पर 25% का टैरिफ लगाया, जिसे भारत ने 'अनुचित और अतार्किक' बताया। यह टैरिफ और मक्के पर दबाव, ट्रंप प्रशासन की एक रणनीति का हिस्सा है। लुटनिक ने साफ कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप का मॉडल है: "अपने टैरिफ कम करो, हमारे साथ वैसा ही व्यवहार करो जैसा हम तुम्हारे साथ करते हैं। जब तक हम इसे ठीक नहीं कर लेते, तब तक टैरिफ दूसरी तरफ रहेगा।" 

यह एक सीधा संकेत है कि अमेरिका भारत को अपनी शर्तों पर व्यापार करने के लिए मजबूर करना चाहता है। 

क्या भारत पर दबाव काम करेगा? 

भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी दबाव में नहीं झुकेगा। भारत की ऊर्जा खरीद उसकी राष्ट्रीय हित से जुड़ी है और व्यापारिक संबंध निष्पक्षता के सिद्धांत पर आधारित होने चाहिए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप के बीच संबंधों में सद्भावना के बावजूद, जमीनी स्तर पर व्यापारिक मुद्दों ने तनाव पैदा कर दिया है। 

भारत के वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि वे अमेरिकी पक्ष के साथ बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन वे देश के किसानों और खाद्य सुरक्षा के हितों को दांव पर नहीं लगा सकते। 

अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाली वार्ताओं में दोनों देश 'मक्का' और 'टैरिफ' की गुत्थी को कैसे सुलझाते हैं। भारत के लिए अपनी नीतियों पर अडिग रहना और अमेरिका के लिए अपने किसानों को राहत देना दोनों ही महत्वपूर्ण है, और यही बात इस व्यापारिक जंग को और भी जटिल बना देती है। 

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