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भारत की उड़ान : US-चीन को पछाड़कर कैसे बनी 'विश्व की सबसे तेज़ इकोनॉमी'?

IMF ने भारत को फिर दिया 'फास्टेस्ट इकोनॉमी' का टैग। US-चीन की सुस्त रफ्तार के बीच, DPI, PLI और युवा शक्ति से भारत की GDP 4T की ओर। क्या महंगाई और वैश्विक मंदी रोक पाएगी ये ऐतिहासिक उड़ान? जानें भारत की आर्थिक सफलता का पूरा सीक्रेट।

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Ajit Kumar Pandey
भारत की उड़ान : US-चीन को पछाड़कर कैसे बनी 'विश्व की सबसे तेज़ इकोनॉमी'? | यंग भारत न्यूज

भारत की उड़ान : US-चीन को पछाड़कर कैसे बनी 'विश्व की सबसे तेज़ इकोनॉमी'? | यंग भारत न्यूज Photograph: (X.com)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष IMF ने भारत के लिए एक बड़ा ऐलान किया है— 4 ट्रिलियन की ओर बढ़ रहा भारत, 2025 में भी दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा। US और चीन की धीमी रफ्तार के बीच, भारत की यह गति न सिर्फ एक आकंड़ा है, बल्कि 140 करोड़ भारतीयों के बढ़ते आत्मविश्वास की कहानी है। आख़िर कौन सी नीतियां और ताकतें इस अभूतपूर्व उड़ान को चला रही हैं? यह सिर्फ एक रिपोर्ट नहीं है, यह एक घोषणा है। 

जब दुनिया की दो महाशक्तियां- अमेरिका US और चीन- ट्रेड वॉर, महंगाई और धीमी विकास दर से जूझ रही हैं, तब अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष IMF ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर अपना ग्रोथ अनुमान एक बार फिर बढ़ाया है। 4 ट्रिलियन की दहलीज की ओर कदम बढ़ा रहे भारत ने यह साबित कर दिया है कि उसकी कहानी सिर्फ 'विकास' की नहीं, बल्कि 'अमर विकास' की है। 

अंकों का गणित IMF ने क्या कहा? IMF ने अपने नवीनतम आकलन में स्पष्ट किया है कि साल 2025 में भी भारत की अर्थव्यवस्था अपनी चमक बरकरार रखी है। वैश्विक मंदी की आहट के बावजूद, भारत अपनी मजबूत घरेलू मांग, सरकारी खर्च और लगातार निवेश के दम पर इस रेस में सबसे आगे है। 

देश2024 अनुमानित GDP वृद्धि दर2025 अनुमानित GDP वृद्धि दर
भारत5 परसेंट6.2% आंकड़े बढ़ते दिख रहे
चीन6%4.8%
US अमेरिका7% वैश्विक औसत2.1%
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स्रोत: IMF World Economic Outlook 

भारत की उड़ान : US-चीन को पछाड़कर कैसे बनी 'विश्व की सबसे तेज़ इकोनॉमी'? | यंग भारत न्यूज
भारत की उड़ान : US-चीन को पछाड़कर कैसे बनी 'विश्व की सबसे तेज़ इकोनॉमी'? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

नवीनतम रिपोर्टों पर आधारित अनुमान 

यह डेटा साफ बताता है कि भारत की विकास दर बाकी दुनिया से लगभग दोगुनी है। यह वह 'मूड' है जो वैश्विक निवेशकों को भारत की ओर आकर्षित कर रहा है। 

सेक्शन 1: वह 'अदृश्य शक्ति' जो भारत को चला रही है 

कोई भी अर्थव्यवस्था सिर्फ निवेश से नहीं चलती है। उसे चलाने वाली सबसे बड़ी शक्ति होती है 'जनता का आत्मविश्वास' और 'नीतियों की निरंतरता'। भारत की यह वर्तमान गति महज़ एक संयोग नहीं, बल्कि पिछले एक दशक में किए गए दूरगामी सुधारों का परिणाम है। 

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डिजिटल क्रांति और 'आधार' की ताकत 

असली हीरो DPI UPI, आधार और जन-धन योजना ने मिलकर एक ऐसा डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा कर दिया है, जिसकी मिसाल दुनिया में नहीं है। 

छोटे कारोबारियों को बल: UPI के कारण छोटे से छोटे वेंडर के लिए डिजिटल लेन-देन आसान हुआ। इससे नकदी पर निर्भरता कम हुई और औपचारिक अर्थव्यवस्था Formal Economy का आकार बढ़ा। 

गरीबी पर सीधा वार: डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर DBT ने सरकारी सब्सिडी को सीधे करोड़ों लोगों के बैंक खातों में पहुंचाया, जिससे बिचौलियों का खेल खत्म हुआ। यह लीकेज रोकना ही GDP को ताकत देता है। 

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मैन्युफैक्चरिंग में 'चीन प्लस वन' रणनीति 

वैश्विक कंपनियां अब सिर्फ चीन पर निर्भर नहीं रहना चाहतीं। 'चीन प्लस वन' China Plus One की रणनीति के तहत, भारत एक मजबूत विकल्प बनकर उभरा है। 

PLI स्कीम का जादू: प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव PLI स्कीम ने मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स और फार्मा जैसे सेक्टरों में निवेश की बाढ़ ला दी है। Apple, Samsung जैसी दिग्गज कंपनियां अब भारत में बड़े पैमाने पर उत्पादन कर रही हैं। 

रोजगार का इंजन: इससे न सिर्फ निर्यात बढ़ रहा है, बल्कि लाखों नए रोजगार भी पैदा हो रहे हैं, जो अंततः देश की क्रय शक्ति Purchasing Power को बढ़ा रहे हैं। 

इंफ्रास्ट्रक्चर पर रिकॉर्ड तोड़ निवेश Capital Expenditure: एक मज़बूत अर्थव्यवस्था की नींव उसके इंफ्रास्ट्रक्चर में होती है। 

केंद्र सरकार का लगातार बढ़ता पूंजीगत खर्च Capital Expenditure इस ग्रोथ का मुख्य स्तंभ है। तेज़ हाईवे और बंदरगाह सड़कों, रेलवे, एयरपोर्ट्स और बंदरगाहों के निर्माण की रिकॉर्ड गति ने सामान और सेवाओं के आवागमन को सस्ता और तेज़ कर दिया है। 

यह लॉजिस्टिक्स लागत Logistics Cost को कम करता है, जो अंततः भारतीय उत्पादों को वैश्विक बाज़ार में अधिक प्रतिस्पर्धी बनाता है। 

लॉन्ग-टर्म ग्रोथ का आधार: यह खर्च तात्कालिक नहीं, बल्कि दीर्घकालिक विकास की गारंटी देता है। 

क्या यह गति बनी रहेगी? आगे की चुनौतियां क्या हैं? 

सेक्शन 2: अमेरिका और चीन क्यों पिछड़ रहे हैं? तुलनात्मक विश्लेषण 

भारत की कहानी को समझने के लिए, यह देखना ज़रूरी है कि बाकी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं क्यों लड़खड़ा रही हैं। 

अमेरिका की धीमी रफ्तार: बढ़ती ब्याज दरें महंगाई को काबू में करने के लिए US फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरें लगातार बढ़ाई हैं। इससे निवेश महंगा हो गया है और उपभोक्ता खर्च Consumer Spending पर असर पड़ा है। 

राजनीतिक ध्रुवीकरण: लगातार जारी राजनीतिक अनिश्चितता और ट्रेड वॉर जैसे मुद्दे भी व्यापार के माहौल को प्रभावित करते हैं। 

 चीन की 'अधूरे ख्वाब' रियल एस्टेट संकट: चीन का विशाल रियल एस्टेट सेक्टर गहरे संकट में है। एवरग्रांडे जैसी बड़ी कंपनियों का डूबना निवेशकों के विश्वास को हिला रहा है। 

जनसांख्यिकीय संकट: चीन की आबादी अब बूढ़ी हो रही है। कामकाजी आबादी कम हो रही है, जो उसकी लंबी अवधि की विकास क्षमता को सीमित कर रहा है। 

सरकारी दखलंदाजी: तकनीक और निजी उद्यमों पर सरकार का अत्यधिक नियंत्रण भी नवाचार Innovation को धीमा कर रहा है। 

भारत का 'जनसांख्यिकीय लाभांश' Demographic Dividend: भारत के पास आज दुनिया की सबसे बड़ी युवा कामकाजी आबादी Working Age Population है। यह 'डेमोग्राफिक डिविडेंड' अगले 20-30 सालों तक भारत को एक ऐसी शक्ति देगा, जो चीन या अमेरिका के पास नहीं है। यह युवा शक्ति ही भारतीय अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी अदृश्य पूंजी है। 

ध्यान दें: सिर्फ युवा होना काफी नहीं है। इस युवा शक्ति को कुशल Skilled बनाना और उन्हें रोजगार देना ही असली चुनौती है। 

सेक्शन 3: आम आदमी पर असर - 4 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था का मतलब 

जब GDP का आकार बढ़ता है, तो इसका सीधा असर आम नागरिक की जेब पर पड़ता है। यह सिर्फ बड़े कॉरपोरेट्स का मुनाफा नहीं होता, बल्कि यह संकेत है कि देश में नए अवसर पैदा हो रहे हैं। 

भारत की उड़ान : US-चीन को पछाड़कर कैसे बनी 'विश्व की सबसे तेज़ इकोनॉमी'? | यंग भारत न्यूज
भारत की उड़ान : US-चीन को पछाड़कर कैसे बनी 'विश्व की सबसे तेज़ इकोनॉमी'? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

बेहतर जीवन स्तर Standard of Living

बढ़ी क्रय शक्ति: जैसे-जैसे अर्थव्यवस्था बढ़ती है, प्रति व्यक्ति आय बढ़ती है। लोगों के पास खर्च करने के लिए अधिक पैसा आता है, जिससे वे बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य और उपभोग कर पाते हैं। क्रेडिट एक्सेस में आसानी बैंकों का विश्वास बढ़ता है, जिससे लोगों के लिए होम लोन, कार लोन या बिज़नेस लोन लेना आसान और सस्ता हो जाता है। 

विदेशी निवेश का फायदा: जब दुनिया भारत को सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में देखती है, तो विदेशी कंपनियां यहां पैसा लगाना चाहती हैं। फैक्ट्रियां और ऑफिस यह निवेश नई फैक्ट्रियां लगाता है, नए ऑफिस खोलता है और तकनीक लाता है, जिससे उच्च वेतन वाली नौकरियां High-Paying Jobs पैदा होती हैं। 

वैश्विक मान्यता: भारत की आवाज़ वैश्विक मंचों पर मज़बूत होती है। 

भारत को 5 ट्रिलियन की इकोनॉमी बनने के लिए किस गति से आगे बढ़ना होगा? 

एक्सपर्ट्स मानते हैं कि 7% से ऊपर की ग्रोथ ही इस लक्ष्य को 2027-28 तक हासिल करवा सकती है। 

सेक्शन 4: भारत के रास्ते की बड़ी चुनौतियां The Road Ahead 

कोई भी 'सक्सेस स्टोरी' बिना चुनौतियों के पूरी नहीं होती। भारत के सामने भी कुछ गंभीर मुद्दे हैं जिन पर नियंत्रण आवश्यक है महंगाई का दबाव वैश्विक कमोडिटी की कीमतें और सप्लाई चेन की बाधाएं अभी भी भारत में महंगाई बढ़ा सकती हैं, जिससे RBI को ब्याज दरें बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ सकता है। 

कुशल जनशक्ति की कमी: युवा आबादी तो है, लेकिन उन्हें आधुनिक इंडस्ट्री की ज़रूरतों के हिसाब से प्रशिक्षित करना एक बड़ी चुनौती है। 

वैश्विक मंदी का खतरा: भले ही भारत की अर्थव्यवस्था घरेलू मांग पर टिकी है, लेकिन अगर अमेरिका और यूरोप में गहरी मंदी आती है, तो भारत का निर्यात Exports प्रभावित होगा। 

क्या भारत इन चुनौतियों से निपट सकता है? 

अर्थशास्त्री मानते हैं कि भारत ने अपनी आंतरिक शक्ति को मज़बूत किया है। GST के माध्यम से टैक्स बेस का बढ़ना, दिवालियापन कानून Insolvency Code से बैंकों के NPA Non-Performing Assets पर नियंत्रण और राजनीतिक स्थिरता Political Stability कुछ ऐसे फैक्टर्स हैं जो इस गति को बनाए रखने का भरोसा देते हैं। 

भारत की अर्थव्यवस्था अब एक ऐसी 'मैराथन' दौड़ रही है, जिसका अंत एक नई वैश्विक शक्ति के रूप में उदय होना है। 

IMF की रिपोर्ट ने केवल उस गति की पुष्टि की है, जिसे हम हर दिन सड़कों पर, डिजिटल लेन-देन में और बढ़ते आत्मविश्वास में देख रहे हैं। US और चीन को पीछे छोड़ना सिर्फ एक डेटा पॉइंट नहीं है, यह 'नए भारत' के उदय का स्पष्ट संकेत है। यह उड़ान ज़ारी रहेगी, क्योंकि इस गति के पीछे केवल नीतियां नहीं, बल्कि 140 करोड़ लोगों की सामूहिक इच्छाशक्ति है। 

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