नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क
भारत ने चालू वित्त वर्ष में फरवरी तक चीन से 8.47 लाख टन डाई-अमोनियम फॉस्फेट (डीएपी) उर्वरक का आयात किया है। सरकारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। इस अवधि के दौरान भारत का कुल डीएपी आयात 44.19 लाख टन रहा है। इसमें चीन का हिस्सा 19.17 प्रतिशत बैठता है। पिछले वित्त वर्ष में भारत के कुल 55.67 लाख टन के डीएपी आयात में चीन का योगदान 22.28 लाख टन या लगभग 40 प्रतिशत था।
घरेलू उपलब्धता 52 लाख टन के पार
यूरिया के बाद डीएपी भारत में दूसरा सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाने वाला उर्वरक है। देश रूस, सऊदी अरब, मोरक्को और जॉर्डन से भी डीएपी का आयात करता है। इनका आयात तैयार उर्वरक और रॉक फॉस्फेट और मध्यवर्ती रसायनों जैसे कच्चे माल दोनों में किया जाता है। चालू रबी सत्र के लिए डीएपी उर्वरकों की घरेलू उपलब्धता 52 लाख टन की अनुमानित आवश्यकता को पार कर गई है। इसमें 48 लाख टन डीएपी पहले ही बेचा जा चुका है। 11 मार्च तक भारत के पास 9.43 लाख टन का डीएपी का भंडार था।
ओएनजीसी इथेन का आयात करेगी
ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) ने कतर से मिलने वाली तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) की संरचना में बदलाव की भरपाई के लिए 2028 के मध्य से ईथेन का आयात करने की योजना बनाई है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ने इस संबंध में एक निविदा जारी की है। भारत कतर से प्रति वर्ष 75 लाख टन एलएनजी आयात करता है।
50 लाख टन एलएनजी की आपूर्ति
इस सौदे के तहत, कतर एनर्जी प्रति वर्ष 50 लाख टन एलएनजी की आपूर्ति करती है, जिसमें मीथेन के साथ ही ईथेन और प्रोपेन शामिल हैं। मीथेन का इस्तेमाल बिजली उत्पादन, उर्वरक बनाने, सीएनजी में बदलने या खाना पकाने के ईंधन के रूप में किया जाता है। यह अनुबंध 2028 में खत्म हो रहा है। ओएनजीसी ने गुजरात के दाहेज में सी2 (ईथेन) और सी3 (प्रोपेन) निकालने का संयंत्र स्थापित करने में लगभग 1,500 करोड़ रुपये खर्च किए। निकाले गए सी2/सी3 का उपयोग इसकी पेट्रोरसायन सहायक कंपनी ओएनजीसी पेट्रो एडिशन लिमिटेड (ओपीएएल) में कच्चे माल के रूप में किया गया। एलएनजी की बदली हुई संरचना के साथ, कंपनी अब ईथेन आयात करने पर विचार कर रही है। India economy | Indian economy | economic transformation | economy | recovery