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US टैरिफ के बीच मैन्युफैक्चरिंग में India की बड़ी छलांग, पीएमआई ने 17 साल का रिकॉर्ड तोड़ा

भारत की मैन्युफैक्चरिंग ने अगस्त में 17 साल का रिकॉर्ड तोड़ते हुए सबसे तेज ग्रोथ दर्ज की। एचएसबीसी का पीएमआई 59.3 तक पहुंचा। घरेलू मांग और आत्मविश्वास इस उछाल के मुख्य कारण रहे, जिससे वैश्विक चुनौतियों के बावजूद अर्थव्यवस्था में मजबूती दिखी।

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Ajit Kumar Pandey
US टैरिफ के बीच मैन्युफैक्चरिंग में India की बड़ी छलांग, पीएमआई ने 17 साल का रिकॉर्ड तोड़ा | यंग भारत न्यूज

US टैरिफ के बीच मैन्युफैक्चरिंग में India की बड़ी छलांग, पीएमआई ने 17 साल का रिकॉर्ड तोड़ा | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । भारत की मैन्युफैक्चरिंग इंडस्ट्री ने अगस्त 2025 में 17 साल का सबसे बड़ा उछाल दर्ज किया है। एचएसबीसी के आंकड़े बताते हैं कि परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स 59.3 के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है, जो फरवरी 2008 के बाद से सबसे ज्यादा है। यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से घरेलू मांग में आई तेजी और निर्माताओं के बढ़ते आत्मविश्वास की वजह से हुई है, जिसने वैश्विक चुनौतियों के बावजूद देश की अर्थव्यवस्था को नई दिशा दी है। भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर अब सिर्फ विदेशी बाजारों पर निर्भर नहीं है। 

इस बार की शानदार ग्रोथ के पीछे घरेलू मांग सबसे बड़ा प्रेरक रही है। एचएसबीसी की चीफ इंडिया इकोनॉमिस्ट प्रांजुल भंडारी के अनुसार, भले ही अमेरिकी टैरिफ बढ़ने से निर्यात ऑर्डर में थोड़ी कमी आई हो, लेकिन घरेलू मांग की मजबूती ने इस प्रभाव को काफी हद तक बेअसर कर दिया है। यह डेटा सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं है। यह उन लाखों छोटे और बड़े मैन्युफैक्चरर्स के आत्मविश्वास को दिखाता है जो भारत की आर्थिक गाड़ी को आगे बढ़ा रहे हैं। यह एक संकेत है कि देश के भीतर ही उपभोग और निवेश का एक मजबूत चक्र बन रहा है।

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US टैरिफ के बीच मैन्युफैक्चरिंग में India की बड़ी छलांग, पीएमआई ने 17 साल का रिकॉर्ड तोड़ा | यंग भारत न्यूज Photograph: (X.com)

ये आंकड़े क्यों हैं इतने खास? 

17 साल का रिकॉर्ड: एचएसबीसी इंडिया मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स अगस्त में 59.3 पर पहुंच गया। यह फरवरी 2008 के बाद का सबसे उच्चतम स्तर है। 

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तेजी से बढ़ा उत्पादन: इस डेटा में सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उत्पादन का विस्तार पिछले पांच साल में सबसे तेज गति से हुआ है। 

50 से ऊपर का स्कोर: पीएमआई में 50 से ऊपर का कोई भी अंक आर्थिक गतिविधि में वृद्धि को दर्शाता है। 59.3 का स्कोर एक शक्तिशाली उछाल को दिखाता है। इन आंकड़ों से साफ है कि भारतीय उद्योगपति अपनी क्षमता और बाजार को लेकर बेहद आशावादी हैं।

टैरिफ की चुनौतियों के बावजूद आत्मविश्वास कायम 

अमेरिका द्वारा भारतीय सामानों पर 50% तक टैरिफ बढ़ाने जैसी वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारतीय उद्योग ने अपनी ग्रोथ की रफ्तार को बनाए रखा। यह दिखाता है कि भारत अब सिर्फ निर्यात-आधारित अर्थव्यवस्था नहीं रह गया है, बल्कि एक मजबूत आंतरिक बाजार के साथ आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। 

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यह ग्रोथ सिर्फ बड़े मैन्युफैक्चरिंग प्लांट्स तक सीमित नहीं है। छोटे और मध्यम उद्यम भी इस बूम का हिस्सा हैं, जो भविष्य में और भी ज्यादा रोजगार और आर्थिक विकास के अवसर पैदा कर सकता है। यह रिपोर्ट भारत की आर्थिक सेहत के लिए एक बहुत ही सकारात्मक संकेत है। 

यह दिखाता है कि देश की आर्थिक बुनियाद मजबूत है और यह वैश्विक उतार-चढ़ाव का सामना करने में सक्षम है। अगर यह गति बनी रहती है, तो आने वाले महीनों में हम और भी सकारात्मक आर्थिक आंकड़े देख सकते हैं। इस ग्रोथ से न सिर्फ मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को फायदा होगा, बल्कि यह सर्विस सेक्टर और रोजगार के अवसरों पर भी सकारात्मक प्रभाव डालेगा। यह रिपोर्ट उन लोगों के लिए भी उम्मीद की किरण है जो एक मजबूत और स्थिर अर्थव्यवस्था की उम्मीद कर रहे हैं।

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