Advertisment

भारतीय शेयर मार्केट:  फिलहाल अनिश्चितताओं के भंवर में फंसा बाजार, फूंक-फूंक कर रखें कदम

इस एंटी क्लाइमेक्स ने मार्केट में निर्णायक बढ़त बनने की संभावनाओं पर एक रोक लगा दी है। यदि मार्केट पिछले सप्ताह नई ऊंचाई पर बंद हो जाता तो फिर एक बड़ी तेजी, विक्रम संवत 2082 में निफ्टी के 31200 अंकों तक का मार्ग प्रशस्त हो सकता था।

author-image
Shashank Bhardwaj
Stock Market Review

शशांक भारद्वाज, सीनियर वीपी चॉइस ब्रोकिंग
पिछले सप्ताह सोमवार को लग रहा था कि भारतीय शेयर मार्केट में बहुप्रतीक्षित ब्रेक आउट आ जाएगा। गिफ्ट निफ्टी ने 400 अंकों तक की तेजी दिखा दी थी। निफ्टी ऊपर खुल उस अनुरूप तेजी दिखाता तो भारतीय शेयर मार्केट अगले कुछ दिन अच्छी उछाल के साथ व्यापार कर सकते थे। अमेरिका के द्वारा भारत पर टैरिफ दर घटाकर 15 प्रतिशत कर देने के समाचार थे, गिफ्ट निफ्टी उसी आधार पर बढ़ा था।परंतु ऐसा कुछ हुआ नहीं, उल्टे ट्रंप सर ने रूस की दो प्रमुख तेल उत्पादक कंपनियों पर नए प्रतिबंध लगा दिए है। ट्रंप की अनिश्चितता, असंतुलित व्यवहार लघु अवधि में तो शेयर मार्केट के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है। 

निफ्टी ऊपरी स्तरों पर टिक नहीं पाया

इस एंटी क्लाइमेक्स ने मार्केट में निर्णायक बढ़त बनने की संभावनाओं पर एक रोक लगा दी है। यदि मार्केट पिछले सप्ताह नई ऊंचाई पर बंद हो जाता तो फिर एक बड़ी तेजी, विक्रम संवत 2082 में निफ्टी के 31200 अंकों तक का मार्ग प्रशस्त हो सकता था। अब उस दिशा में फिर से बढ़ने के लिए निफ्टी को नई ऐतिहासिक ऊंचाई पर कुछ दिनों तक बंद होना आवश्यक हो गया है। इसके लिए कुछ अत्यंत महत्वपूर्ण घटनाक्रमों का होना आवश्यक है। भारत अमेरिका के मध्य व्यापार समझौता ,भारत पर अमेरिका के द्वारा टैरिफ दर 15 प्रतिशत,रूस यूक्रेन युद्ध विराम,अमेरिका में ब्याज दरों में कमी इत्यादि ऐसे घटनाक्रम हो सकते हैं।

अनिश्चितताओं का भंवर

ट्रंप की अनिश्चितता, असंतुलित व्यवहार लघु अवधि में तो शेयर मार्केट के लिए सबसे बड़ा खतरा बन गया है। उनके बयान शेयर मार्केट की दिशा को अकस्मात परिवर्तित करते रहते हैं। अतः निवेश निर्णय थोड़ा कठिन हो रहा है। उनके विषयों में जब तक कोई स्थाई सी सकारात्मक स्थिति न बन जाए, मार्केट के अनिश्चितता के भंवर में रहने की संभावना है। विदेशी संस्थागत निवेशक नकद संभाग में विक्रेता से क्रेता बनते दिख रहें है,फ्यूचर तथा ऑप्शन में भी उनके मंदी के सौदा में कटान दिख रही है।पिछले सप्ताह नकद संभाग में उन्होंने 342 करोड़ रुपए की  छोटी ही सही परंतु खरीद  की। 

विदेशी संस्थागत निवेशकों ने दिखाई रुचि

स्टॉक फ्यूचर में उन्होंने लंबे समय के बाद  12056 करोड़ रुपए का बड़ा क्रय किया। यह उनकी शॉर्ट कवरिंग हो सकती है। यहां तक कि इंडेक्स फ्यूचर में भी विदेशी संस्थागत निवेशकों ने पिछले सप्ताह के सभी व्यापारिक दिनों में क्रय ही किया तथा 7074 करोड़ रुपए की खरीद की। यदि अगले दो दिनों में वो पुनः विक्रेता नहीं होते हैं तो मार्केट में अच्छी तेजी दिख सकती है। निफ्टी 26000 के ऊपर निकल सकता है,फिर पुरानी ऐतिहासिक ऊंचाई 26277 को पार करने का प्रयास कर सकता है। जीएसटी में कमी तथा उसके बाद वस्तुओं की बिक्री में उछाल ने पूरा परिदृश्य बन गया। त्योहारों की ऋतु ने भी इसको बढ़ावा दिया। इससे अर्थव्यवस्था के साथ कम्पनियों का प्रदर्शन भी अच्छा होगा। पिछले एक वर्ष,पिछले संवत् से ढीले से पड़े भारतीय शेयर मार्केट में नए प्राण फूंक सकता है। अभी मार्केट में चतुर्दिक तेजी का वातावरण नहीं दिख रहा है। मार्केट में व्यक्तिगत बड़े खिलाड़ी ,अनुभवी निवेशक शेयर विशेष में बड़ा क्रय करते नहीं दिख रहें है,सहयोगात्मक क्रय नहीं दिख रहा है।वो सशंकित दिख रहें हैं। 

Advertisment

ब्रेंट क्रूड के भाव एक बार फिर नीचे आए

भारत अमेरिका को लेकर परिस्थितिया कुछ स्पष्ट होने पर ही चतुर्दिक क्रय दिख सकता है।3 अक्टूबर से ले कर 23 अक्टूबर में निफ्टी में 1000 अंकों की वृद्धि आ  चुकी है।अतः मनोवैज्ञानिक आधार पर उन्हें मार्केट थोड़ा महंगा लग सकता है। अब निफ्टी के 26000 तथा 26300 के ऊपर होने पर उनमें फोमो का भाव उत्पन्न हो सकता है एवं तब एक व्यापक तेजी दिख सकती है। ब्रेंट क्रूड के भाव एक बार तो 61 डॉलर प्रति बैरेल के नीचे आ गए थे,फिर ट्रंप सर के द्वारा रूसी तेल उत्पादक कंपनियों पर प्रतिबंध के बाद से पुनः उछल कर 65.20 डॉलर हो गए हैं।नीचा क्रूड भारत के लिए अच्छा होता है परंतु 65 से 70 डॉलर का भाव  भी कोई बहुत अधिक चिंताजनक नहीं है।

अमेरिकी शेयर मार्केट में बन रहा बुलबुला 

अमेरिकी शेयर मार्केट में बुलबुला बन रहा,इस प्रकार की बातें आ रहीं है। परंतु डाऊ की पीई  23.6 है।इस पीई पर यह  थोड़ा ओवर प्राइस्ड माना जा सकता है, बुलबुला नहीं। डाउ के 50000 के ऊपर जाने पर ही बुलबुला मूल्यांकन मानना उचित होगा। घरेलू संस्थागत निवेशकों ने पिछले सप्ताह नकद संभाग में 5945 करोड़ रुपए के शेयर क्रय किए। अक्टूबर में अभी तक उन्होंने 33989 करोड़ रुपये के शेयर क्रय किए हैं, जिनके सामने विदेशी संस्थागत निवेशकों ने मात्र 244 करोड़ के ही शेयर बेचें हैं। यह आंकड़े दर्शाते हैं कि शेयर दुर्बल हाथों से शक्तिशाली हाथों में जा रहें हैं । डॉलर इंडेक्स तथा यूएस बॉन्ड यील्ड एक सीमा में ही हैं तथा ब्याज दरों में कमी आने से नीचे ही आएंगे एवं यह इक्विटी के लिए अच्छा होगा। इंडिया विक्स ठंडा है। पिछले सप्ताह डॉव में 1017 अंकों की तेजी रही, निफ्टी में 86 अंकों की वृद्धि रही।

जीडीपी के 6.9 प्रतिशत बढ़ने की संभावना 

त्यौहारी ऋतु में 6 लाख करोड़ रुपए का व्यापार हुआ है। केंद्रीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में कमी का संकेत दिया है। वर्तमान वित्त वर्ष में जीडीपी के 6.9 प्रतिशत बढ़ने की संभावना है जो  भारत को सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था की श्रेणी में बनाए रखेगा।अच्छे मूल्यांकन पर उपलब्ध शेयरों में विभिन्न भावों में खरीद कर सकते हैं। क्षेत्र विशेष में रक्षा क्षेत्र के शेयर सदाबहार शेयर के रूप में परिवर्तित हो रहें हैं। इस सप्ताह अक्टूबर माह के फ्यूचर तथा ऑप्शन सौदों का कटान है।इससे मार्केट में उतार चढ़ाव बढ़ सकता है। कंपनियों के वित्तीय परिणाम ऋतु चल रही है।निवेश निर्णयों में वित्तीय परिणामों का भी ध्यान रखें। 
stock market india | stock market | stock | Indian Stock Market | stock market news 

Advertisment
stock market news Indian Stock Market stock stock market stock market india
Advertisment
Advertisment