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शशांक भारद्वाज, सीनियर वीपी, चॉइस ब्रोकिंग
पिछले सप्ताह शुक्रवारको भारतीय शेयर मार्केट में निचले स्तरों से एक बहुत अच्छी तेजी आ गई। शुक्रवार को तो एक समय निफ्टी 25318 हो गया था, पिछले दिन की बंदी से 192 अंक नीचे था, वहां से एक तीव्र वापसी दिखी एवं निफ्टी ने 25551 का दिन का उच्चतम स्तर बनाया। यह निचले स्तरों से 233 अंकों की बढ़ोतरी थी। बंद 25492 पर हुआ। अमेरिकी मार्केट में गिरावट के खराब समाचार थे, ऐसे में ऐसी बड़ी पुनर्वापसी, निचले स्तरों पर मार्केट में समर्थन है, इसका संकेत था। यदि मार्केट नहीं संभालते तो फिर 25000 के नीचे निफ्टी के जाने की संभावना बन जाती थी। निवेशकों के धन का बड़ा क्षय हो सकता था।
फंस सकते हैं मंदी वाले सौदे
अब यदि सोमवार को मार्केट तेज रहते हैं तो फिर मंदी के सौदे वाले फंस सकते हैं तथा निफ्टी 26000 की ओर पुनः बढ़ सकता है। पिछली बार 26000 के निकट एवं वर्तमान स्तरों से भी कोई उछाल आता है, तो इनको बेचा गया है। मार्केट को नईं ऊंचाई बनाने के लिए इन स्तरों पर आ रही बिकवाली को निर्णायक रूप से आत्मसात एवं पराजित करना होगा। इसके लिए मार्केट के लिए कुछ घटनाक्रमों का उसके पक्ष का होना आवश्यक सा है। ये घटनाक्रम बिहार में भाजपा तथा सहयोगी दलों की विजय, भारत अमेरिका में व्यापार समझौता इत्यादि हैं।
मार्केट में बन रहे सेंटीमेट्स
बिहार का चुनाव परिणाम तो 14 नवंबर को आना है। जिस प्रकार से ट्रंप ने अभी मोदी की बड़ी प्रशंसा की, भारत यात्रा की बात कही है, भारत अमेरिका ट्रेड डील भी शीघ्र होने की संभावना बन रही है। जीएसटी में कमी तथा त्यौहार ऋतु के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में अक्टूबर माह में अच्छी गतिविधियां दिखीं।अब यह देखना होगा कि यह गति बनी रहती है कि नहीं। भारतीय अर्थव्यवस्था में ग्रामीण अर्थव्यवस्था का भी बड़ा अब बड़ा योगदान है।
भारत में समृद्धि के विस्तार का सुखद संकेत
अच्छा मानसून रहा है तथा ये ग्रामीण अर्थव्यवस्था को अधिक शक्तिशाली बनाता है। ग्रामीण खपत 17 तिमाहियों के उच्च स्तर पर है । यह भारत में समृद्धि के विस्तार का सुखद संकेत है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था के आधार को अभी तो शक्तिशाली तथा उच्च वृद्धि दर का बनाए रखेगा। मोदी सरकार के द्वारा कृषि क्षेत्र को प्रोत्साहन की नीतियां कृषि को अधिक लाभकारी बना रहीं हैं। सरकार अर्थव्यवस्था के अन्य क्षेत्रों पर भी पूरा ध्यान दे रही है तथा उनके हित की योजनाएं बना रही है।
शेयर मार्केट के लिए सबसे सकारात्मक बिंदु
भारतीय अर्थव्यवस्था तथा शेयर मार्केट के लिए सबसे सकारात्मक बिंदु मोदी सरकार का अर्थव्यवस्था पर पूरा एवं सतत ध्यान तथा आवश्यकता के अनुरूप पग उठाना है। चूंकि शेयर मार्केट तथा अर्थव्यवस्था का बहुत वैश्वीकरण हो गया है एवं वैश्विक कारणों पर भारतीय सरकार का नियंत्रण नहीं रहता,अतः शेयर मार्केट इन कारणों से नीचे भी होते रहते हैं। पिछले एक वर्ष से भारतीय शेयर मार्केट का विश्व के अन्य प्रमुख शेयर मार्केट की तुलना में दुर्बल प्रदर्शन का कारण इसका अपेक्षाकृत महंगा मूल्यांकन भी माना जा रहा है। कुछ दिन पूर्व चीन के शेयर मार्केट के मूल्यांकन को आकर्षक मान भारत से विदेशी निवेश चीन के शेयर मार्केट में जाने की बात आई थी।फिर जापान के शेयर मार्केट को कम मूल्यांकन का मान वहां वैश्विक निवेश की बात आई।
यूएस का डाउ उच्च स्तरों के निकट संघर्ष कर रहा
जापान शेयर मार्केट का प्रमुख सूचकांक 52 सप्ताह के निचले स्तर 30762 से बढ़कर 50642 तक पहुंच गया। इतनी बड़ी छलांग के पश्चात वहां भी मूल्यांकन महंगे हुए हैं । यूएस का डाउ उच्च स्तरों के निकट संघर्ष कर रहा है।इसकी पी ई 23.65 है। वहां भी मूल्यांकन महंगे होने की चर्चा हो रही है। ऐसे में भारतीत शेयर मार्केट जो, विश्व की सबसे तीव्र गति से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था का शेयर मार्केट है, उसमे विदेशी निवेश का पुनः आगमन हो सकता है, विशेषकर यदि भारत अमेरिका में व्यापार समझौता हो जाए।तब भारत को जो एक विशेष मूल्यांकन मिलता था,वो पुनः मिलने की संभावना है ।
घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 16677 करोड़ रुपए का क्रय किया
यह भी देखना रुचिकर होगा कि यदि अमेरिकी शेयर मार्केट में गिरावट आती है तो क्या भारतीय शेयर मार्केट उनसे अपने को असंबद्ध ,अलग कर पाएंगे? भारतीय शेयर मार्केट की लघु अवधि में दिशा इस पर भी निर्भर करेगी। विदेशी संस्थागत निवेशकों की पिछले सप्ताह नकद संभाग में बिकवाली बहुत कम हो मात्र 1633 करोड़ रुपए की रही जिनके सामने घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 16677 करोड़ रुपए का क्रय किया। अर्थात उनकी बिकवाली से 10 गुणा अधिक का क्रय। इतना अंतर बहुत कम ही देखा गया। यह इसका भी संकेत है कि घरेलू संस्थागत निवेशक मात्र विदेशी संस्थागत निवेशक के विक्रय का प्रतिकार नहीं कर रहे बल्कि नवीन निवेश भी कर रहे हैं तथा उनके पास अच्छी तरलता है।
खुदरा निवेशकों का आत्मविश्वास
भारतीय शेयर मार्केट का विस्तार करना है तो खुदरा निवेशकों का आत्मविश्वास, शेयरों के प्रति विश्वास बनाए रखना ,सुदृढ़ करना भी बहुत आवश्यक है।अभी 20 करोड़ से अधिक डीमैट खाते हो गए हैं। अनेक कंपनियां झूठी घोषणाएं कर,बुरा कॉरपोरेट प्रबंधन कर सामान्य निवेशकों को ठग सी रहीं हैं।इससे निवेशकों का मनोबल टूटता है,विश्वास खंडित होता है।भारत सरकार को इन प्रवृतियों को रोकने के लिए अविलंब पग उठाने चाहिए। विदेशी संस्थागत निवेशकों की पिछले सप्ताह नकद संभाग में बिकवाली बहुत कम हो मात्र 1633 करोड़ रुपए की रही जिनके सामने घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 16677 करोड़ रुपए का क्रय किया।अर्थात उनकी बिकवाली से 10 गुणा अधिक का क्रय ।
इतना अंतर बहुत कम ही देखा गया।
जो मार्केट में तेज उछाल ला सकती है
यह इसका भी संकेत है कि घरेलू संस्थागत निवेशक मात्र विदेशी संस्थागत निवेशक के विक्रय का प्रतिकार नहीं कर रहे बल्कि नवीन निवेश भी कर रहे हैं तथा उनके पास अच्छी तरलता है। इंडेक्स फ्यूचर में विदेशी संस्थागत निवेशक के मंदी के बड़े सौदे हैं, फिर भी पिछले सप्ताह उन्होंने सप्ताह के सभी चारों व्यापारिक सत्रों में कुल 6452 करोड़ रुपए की बिक्री की।इंडेक्स ऑप्शन में उन्होंने 4 नवंबर को 58570 करोड़ रुपए की भारी भरकम पोजीशन बनाई। उस दिन निफ्टी में 166 अंकों की गिरावट रही तथा निफ्टी 25597 पर बंद हुआ।अतः निफ्टी 26500 के ऊपर बंद होता है तो फिर इस बड़ी ऑप्शन पोजीशन में कवरिंग आ सकती है जो मार्केट में तेज उछाल ला सकती है।
ब्याज दरें कम करने का ट्रंप का दबाव
स्टॉक फ्यूचर में विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 7413 करोड़ की बिकवाली की। डॉलर इंडेक्स पिछले सप्ताह 100 से ऊपर का पुनः 99.56 है।अमेरिका में ब्याज दरें कम करने का ट्रंप का दबाव है,अतः इनके उल्लेखनीय कम होने की पूरी संभावना है।ऐसे में डॉलर इंडेक्स का नीचा होना निश्चित सा ही है एवं ऐसा होता है तो इक्विटी विशेषकर भारतीय इक्विटी में तेजी देखी जा सकती है। यूएस बॉन्ड यील्ड 4.093 है।इसमें भी गिरावट आनी चाहिए।डाउ में पिछले सप्ताह 575 अंकों की गिरावट रही।
शेयर मार्केट के लिए सकारात्मक
ब्रेंट क्रूड 63.63 डॉलर प्रति बैरेल पर बंद हुआ। इसमें उछाल टिक नहीं पा रही जो भारतीय शेयर मार्केट के लिए सकारात्मक है। जो वैश्विक शेयर मार्केट नीची पीई पर व्यापार कर रहे थे,उनमें पिछले कुछ दिनों के बड़ी तेजी आई है तथा वो अपनी ऐतिहासिक पी ई से बहुत ऊपर व्यापार कर रहें हैं।यह भारत के पक्ष में हो सकता है।म्यूचुअल फंड का इक्विटी में निवेश का मूल्य पहली बार 50 लाख करोड़ रुपए के ऊपर हो गया है।
भारतीय शेयर मार्केट की अभी की बड़ी समस्या कंपनियों के लाभ में वृद्धि मूल्यांकन को न्यायोचित ठहरने योग्य नहीं हो रही है। यदि अच्छी वृद्धि का संकेत मिलने लगे तो मार्केट में बड़ी तेजी का समय आरंभ हो जाएगा। तब तक मार्केट वैश्विक कारकों पर अधिक प्रतिक्रिया देते रह सकते हैं। वैसे एचएसबीसी भी भारतीय मार्केट तेजी के मनोभाव में आ गया है तथा उसने वर्ष 2026 अंत का सेंसेक्स का लक्ष्य 94000 कर दिया है। क्षेत्र विशेष में पीएसयू बैंक,रक्षा तथा तेल गैस के शेयर में विभिन्न भावों पर निवेश किया जा सकता है। : stock market india | stock market | stock | Indian Stock Market | stock market news | Stock market crash
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