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नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
indian stock market : भारतीय शेयर मार्केट विश्वसनीयता के गंभीर संकट के समय में है। मार्केट कैप अपने उच्चतम स्तरों से 110 लाख करोड़ रुपए कम हो चुका है। सैकड़ों शेयर वर्ष के सबसे निचले भावों पर है। इन निचले स्तरों पर भी आक्रामक खरीद नहीं दिख रही।इसका बड़ा कारण यह है कि निवेशकों का विश्वास डिग गया है।उन्हें लग ही नहीं रहा कि शेयरों में इन भावों से भी तेजी आएगी,लाभ होगा। वो इस मनोवृति में दिख रहे कि जो भी भाव मिले ,बेच पैसा घर ले जाओ। यह एक भयावह स्थिति है।सैकड़ों शेयरों में 70 प्रतिशत से अधिक की गिरावट आ चुकी है।अच्छी डिविडेंड यील्ड के नीची पी ई के शेयर में भी बड़ी खरीद नहीं ही है।
मार्केट परम निराशा की स्थिति में है
विदेशी निवेशक भी सतत विक्रेता बने हुए है।मार्च के दो सप्ताह में उन्होंने नकद संभाग में 30000 करोड़ रुपए के शेयर बेच दिए हैं। इस वर्ष में अभी तक 1.42 लाख करोड़ रुपए के शेयर वो बेच चुके हैं। इन विपरीत परिथितियों में वित्त मंत्रालय को मार्केट के प्रोत्साहन के उपाय करने होंगे।सैकड़ों वर्षों के पश्चात भारतीयों के मध्य शेयर मार्केट को लेकर एक अच्छे विश्वास तथा उत्साह का वातावरण बना था।
भारत में डीमैट खातों की संख्या
बढ़कर 19 करोड़ 40 लाख हो गई । खुलने को तो फरवरी 25 में भी 19 लाख नए डीमैट खाते खुले परंतु मई 23 के बाद यह सबसे धीमी वृद्धि है तथा लगातार दूसरे महीने कम डीमैट खाते खुले हैं। कोरोना के बाद से 13 करोड़ नए डीमैट खातों ने शेयर मार्केट को संभाल लिया था,बड़ी तेजी का आधार तैयार किया,उस समय एक आशा के भाव ने मार्केट को उबारने में बड़ी भूमिका निभाई थी परंतु अभी जैसी निराशा है, उसमें निराशा के प्रतिकार के लिए करोड़ों डीमैट खाते कहां से खुलेंगे।यक्ष प्रश्न है। इतनी बड़ी संख्या के निवेशकों का शेयर मार्केट के प्रति विश्वास डिगना न भारतीय शेयर मार्केट के लिए अच्छा है न अर्थव्यवस्था के लिए जिसको वृद्धि के लिए बड़ी पूंजी तथा उसके निवेश की आवश्यकता है। मूल्यांकन कुछ अधिक हुए थे परंतु गिरावट के पश्चात भी तेजी की आशा न हो निराशा में बदलना तो एक ध्वंस ही है।इससे उनके मन में शेयर के एक अच्छे सम्पत्ति प्रकार की अवधारणा ही ध्वस्त हो सकती है। कई बड़ी मंदी पहले भी कई बार आई है परंतु इस बार की मंदी सतत सी है ,बड़ी अवधि तक की है। यदि इसका प्रतिकार नहीं किया गया तो इसके बड़े घातक दुष्परिणाम हो सकते हैं। सरकार को विलम्ब ध्यान दे ,उसके हाथ में जो उपाय हैं,उन पर कार्य करना चाहिए।शेयर लाभ पर पूंजीगत कर में बड़ी कटौती करनी चाहिए।विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए उन्हें छूट प्रदान की जानी चाहिए। म्यूचुअल फंड में निवेश आ रहा परन्तु अब ये भी धीमा हो रहा है।फरवरी में इक्विटी म्यूचुअल फंड में मात्र 29303 करोड़ रुपए का निवेश आया।
म्यूचुअल में निवेश होना चाहिए
इतनी धनराशि से मार्केट की बहुत सहायता नहीं मिल सकती है । भारत में एक एक कंपनी का मार्केट पूंजीकरण 15 लाख करोड़ रुपए तक है। ऐसे में 2600 करोड़ म्यूचुअल फंड में आना बहुत छोटी राशि है,उनके मार्केट पूंजीकरण का 2 प्रतिशत लगभग ही है। भारत के मार्केट के आकर को देखते हुआ एक लाख करोड़ रूपए प्रतिमाह म्यूचुअल में निवेश आना चाहिए ताकि किसी बड़ी बिकवाली को आत्मसात किया जा सके। कई म्यूचुअल फंड में भी 20 से 30 प्रतिशत की गिरावट आई है।इससे म्यूचुअल फंड के निवेशकों का विश्वास भी दुर्बल हो रहा है। कुछ फंड प्रबंधक अत्यंत ऊंची पीई के शेयरों में निवेश करते रहे जो अनुचित था।उनके इस गलत निवेश ने भी एम एफ के प्रदर्शन पर बुरा प्रभाव डाला।
इन सारे घटनाक्रमों से बहुत कुछ सीख लेने की भी आवश्यकता है
ऊंची पी ई के शेयरों से यथासंभव बचें।- अच्छा लाभ हो रहा तो उस लाभ को ले लें।
- नकद राशि भी अपने पास रखें।कभी कभी नकद भी सम्राट होता है।
- मोमेंटम शेयरों में स्टॉप लॉस रखें।
- बिक्री तथा मार्केट पूंजीकरण अनुपात को महत्व दें।
- ऐसा नहीं है कि भारत में आर्थिक कारक अच्छे नहीं है।
- जीडीपी वृद्धि दर अच्छी है,अगली तिमाही और भी अच्छी होने की संभावना है।विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की ओर अग्रसर है।
कच्चे तेल में गिरावट
विश्व की प्रमुख ब्रोकर फर्में बड़ी तेजी की भविष्यवाणी कर रही हैं। कच्चे तेल में गिरावट है तथा बनी हुई है। डॉलर इंडेक्स नीचे है। आवश्यकता मंदी के मनोभाव के प्रतिकार की है। अमेरिकन शेयर मार्केट में गिरावट आरंभ हो चुकी है। डाउ अपने उच्चतम स्तर 45014 से 10 प्रतिशत गिरावट दिखा चुका है। टैरिफ युद्ध वहां नकारात्मक प्रभाव डाल रहें हैं।नैस्डेक भी 20000 के स्तरों से गिरकर 17300 तक गिर चुका है।इन दोनों मार्केट की अपेक्षाकृत ऊंची पी ई देखते हुए ,टैरिफ युद्ध को देखते हुए इनमें और भी दुर्बलता देखी जा सकती है। भारतीय शेयर मार्केट भी इनसे प्रभावित हो सकते हैं,रहते भी हैं। शेयरों में गिरावट तो आती जाती रहेंगी आती जाती रहती भी हैं परंतु विश्वास का संकट नहीं उत्पन्न होना चाहिए। समय आ गया जब सरकार सक्रिय हो यह बोले,आभास, संकेत दे कि मैं हूं ना।