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stock market की चाल में टेक्निकल चाल की बड़ी भूमिका रहती है। तेजी के दौर में, कई बार मार्केट नकारात्मक समाचारों ,घटनाओं को नकार कर तेज हो जाते है और होते जाते हैं। कोई बहुत ही बड़ी नकारात्मक घटना ही ट्रेंड के विरुद्ध मार्केट को गिरा पाती है।
नकारात्मक खबरों को नकारता बाजार
अक्सर, मार्केट के मध्य अचानक कोई बुरा समाचार आ जाता है तो घबराहट दिखती है, लेकिन घटना घट जाने के बाद मार्केट उसे अनदेखा करती भी दिखती है,और दिखी भी हैं। अभी भी कुछ ऐसा ही होता दिख रहा है। पाकिस्तान के साथ युद्ध जैसी स्थितियां उत्पन्न होने के बावजूद भी भारतीय शेयर मार्केट में पिछले सोमवार को बड़ी तेजी देखी गई। निफ्टी में 289 अंक तो सेंसेक्स में 1005 अंकों की वृद्धि हुई। यह आश्चर्यजनक जरूर था, लेकिन यह न भूलें कि शेयर मार्केट आपको आश्चर्यचकित करने के लिए जाने जाते हैं।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कारगिल युद्ध के दौरान भी भारतीय शेयर मार्केट में तेजी आई थी। हां,यह देखना दिलचस्प होगा कि वास्तविक युद्ध की स्थिति में मार्केट किस दिशा में करवट लेता है। फिलहाल, मार्केट के लिए सबसे बड़ा संकट पाकिस्तान के साथ संभावित युद्ध ही है।
शॉर्ट सेलर्स के फंसने की आशंका
हालांकि युद्ध शुरू होने पर शुरूआत में मार्केट में गिरावट दिख सकती है, लेकिन अगर कोई बड़ी हानि नहीं होती, तो अच्छी तेजी भी दिखने को मिल सकती है। इसका कारण यह है कि मार्केट में शॉर्ट सेल की स्थिति बनी सी दिख रही है और ऐसा हुआ तो शॉर्ट सेलर्स फंस सकते हैं। अप्रैल महीने में भी ऐसा हुआ था, जिसके बाद मार्केट में अच्छी तेजी आई थी।
युद्ध में अवसर, किन सेक्टरों को होगा फायदा?
आजकल युद्ध कई अवसर भी लेकर आते हैं। रक्षा, विनिर्माण, सीमेंट और स्टील जैसे कुछ क्षेत्रों को इससे लाभ होता है। हालांकि, यदि युद्ध लंबा खिंचता है तो यह नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। क्योंकि आर्थिक संसाधन युद्ध की ओर मुड़ जाते हैं, जिससे अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ता है। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए, आने वाले कुछ दिन और इन कुछ दिनों में युद्ध का परिणाम भारतीय शेयर बाजार के लिए महत्वपूर्ण होगा। भारत के लिए पाकिस्तान पर आक्रमण करने की स्थितियां अभी अनुकूल हैं, क्योंकि चीन अमेरिका के साथ उलझा हुआ है और विश्व की प्रमुख महाशक्तियां भारत के पक्ष में हैं।
मार्केट पर तेजड़ियों का नियंत्रण
पिछले सप्ताह, बुधवार 23 अप्रैल को मार्केट अप्रैल माह के फ्यूचर तथा ऑप्शन सौदों के कटान के दिन से एक दिन पहले शक्तिशाली बना रहा, जबकि पहलगाम में आतंकवादियों का आक्रमण 22 अप्रैल को हुआ था।
23 अप्रैल को निफ्टी 203 अंक चढ़ा। इस सप्ताह अभी तक मार्केट उच्च स्तरों पर टिका हुआ है। ये दर्शाता है कि मार्केट में तेजड़ियें मजबूत हैं और मार्केट उनके अधिक नियंत्रण में है। इस कारण वो युद्ध जैसी गतिविधि ,संभावना के बाद भी अपेक्षाकृत गिर नहीं रहा है। विदेशी संस्थागत निवेशक फिर से खरीदार बने हैं। वे नकद संभाग में तो कई दिनों से लगातार क्रेता बने ही हैं,साथ ही स्टॉक फ्यूचर में भी क्रय कर रहें हैं। इससे मार्केट में प्रमुख शेयरों में आपूर्ति मांग की तुलना में घट गई है। इसके अलावा, शेयर मार्केट के बिग बॉस रिलायंस इंडस्ट्रीज में भी तेजीहै। निचले स्तरों से यह 15 प्रतिशत से अधिक बढ़ चुका है और वित्त वर्ष 25 की तीसरी तिमाही के अच्छे वित्तीय परिणामों के बाद उसमें तेजी और बढ़ी है।
यदि मार्केट को यह विश्वास ही जाए कि युद्ध से भारत को अधिक आर्थिक हानि नहीं होगी, तब बड़ी तेजी भी आ सकती है क्योंकि युद्ध की आशंका में मंदी के बड़े सौदे हुए हैं। मंदी वाले फिर से फंस सकते हैं। शेयर मार्केट कई बार महत्वपूर्ण कारकों की अनदेखी कर तेजी-मंदी के सौदों के आधार पर भी चलता है,खासकर लघु अवधि में तो ऐसा होता ही है।
विदेशी निवेशकों का रुझान
विदेशी निवेशक फिर से खरीदार बने हैं और कुछ दिनों से लगातार इस दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। उनकी खरीद से मार्केट को भी लाभ पहुंचा है। उन्होंने अभी थोड़ी सी खरीद की है, इसके बावजूद निफ्टी में हाल की गिरावट से 2000 अंकों से अधिक की तेजी आ गई है। युद्ध की संभावना में निवेश की रणनीति के लिए, उन क्षेत्रों में निवेश करना चाहिए, जिन्हें युद्ध से लाभ हो सके। रक्षा,निर्माण ,सीमेंट ऐसे ही क्षेत्र हैं।
हालांकि सभी युद्ध की संभावना से सहमे हुए हुए हैं, पर शेयर मार्केट कुछ और ही देख रहा है।
यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि अधिकांश समय मार्केट ही सही होता है, आशंकाएं और उम्मीदें नहीं। : share market
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