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पिछले सप्ताह निफ्टी 25000 के ऊपर होने तथा ऊपर बंद होने में भी सफल रहा। सप्ताहांत में निफ्टी 25003 पर अवश्य रहा परंतु यह ब्रेक आउट अपेक्षित तथा अधिक प्रभावी तब होगा जब इस स्तर से भी एक तेजी दिखे ,इस स्तर की रक्षा भी हो क्योंकि पिछले कुछ दिनों में 25000 निफ्टी को ऊंचा मान एक बिकवाली आने की परंपरा सी रही है। यदि निफ्टी 25100 से ऊपर बंद रहने ने सफल रहता है तो यह एक मनोवैज्ञानिक भय पर विजय होगी एवं तब एक अच्छी उछाल देखने को मिल सकती है यदि कोई बड़ी भू राजनीतिक समस्या उत्पन्न न हो जाए।
आरबीआई की मौद्रिक नीति से मिला बूस्ट
भारतीय शेयर मार्केट में पिछले सप्ताह जो बढ़त आई,अंतिम व्यापारिक सत्र शुक्रवार को जो बड़ी बढ़त देखने को मिली ,निफ्टी 253 अंक तथा बैंक निफ्टी 817 अंक चढ़ा, उसकी आधारशिला आरबीआई की मौद्रिक नीति रही जिसमें रेपो रेट में तो .50 प्रतिशत की कमी की घोषणा की गई,साथ ही सीआरआर में भी एक प्रतिशत की कमी की गई।
मार्केट को अप्रत्याशित तथा बहुप्रतीक्षित शक्ति मिली
इससे कुछ दिनों से संघर्ष कर रहे मार्केट को अप्रत्याशित तथा बहुप्रतीक्षित शक्ति मिली। आरबीआई ने अपनी इस आक्रामक किंतु सामयिक मौद्रिक नीति से यह स्पष्ट कर दिया कि अब उसकी प्राथमिकता विकास है। मुद्रास्फीति समय समय पर नीचे तो आ रही थी पर यह देखा जा रहा था कि आरबीआई तब भी ब्याज दरों में आक्रामक कटौती से बच रहा था। बैंक दर नीची करने से अर्थव्यवस्था की लागत कम होगी ही,उपभोग तथा मांग बढ़ेगी एवं सीआरआर कम करने से बैंकिंग व्यवस्था में 2.50 लाख करोड़ रुपए की अधिक तरलता आ सकती है।
यह भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा प्रोत्साहन होगा।
अर्थव्यवस्था अच्छी होगी तो शेयर मार्केट भी अच्छे होंगे।एक बड़ा संदेश यह भी मिला कि खाद्य तथा पेट्रोलियम मुद्रास्फीति में वृद्धि को ले कर ब्याज दरें न कम करने की अव्यवहारिक तथा अनुचित सोच से मुक्ति मिल रही है एवं विकास तथा आर्थिक सम्पन्नता सर्वोच्च है।
इन परिस्थितियों में भारतीय शेयर मार्केट का वर्तमान तथा भविष्य अच्छा लग रहा है। अमेरिका में भी ट्रंप वहां ब्याज दरों में आक्रामक कमी के लिए पूरा दबाव बनाए हुए हैं। विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में ब्याज दरें कम होती हैं तो इससे लाखों करोड़ रुपए का निवेश बॉन्ड ,ऋण पत्रों से निकल कर इक्विटी में निवेशित हो सकता है।
अमेरिका से बड़ी धनराशि भारतीय शेयर मार्केट में आ सकती है। परंतु इस तेजी का अधिकतम लाभ उठाने के लिए शेयरों के चयन में अतिरेक न करें।उचित मूल्यांकन पर मिल रहे शेयरों को ढूंढ कर उनमें ही निवेश करें।ध्यान रखिए,हर किसी के पास कितना ही धन हो,शेयर में निवेश की दृष्टि से वो सीमित ही होता है क्योंकि मार्केट का आकार अथाह होता है। फिर उचित मूल्यांकन के शेयरों में प्रतिफल भी अच्छा मिलता है।
मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट भारत के लिए बहुत अच्छी आई है।उनके अनुसार एशिया के अन्य शेयर मार्केट की तुलना में भारतीय शेयर मार्केट में उतार चढ़ाव बहुत कम है।विदेशी फंड ने भारत में अपना निवेश पिछले 12 से 18 महीने में बढ़ाना आरंभ कर दिया है।डॉलर इंडेक्स में वर्तमान स्तर 99.140 से भी 10 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है ,यह भारतीय इक्विटी के वर्तमान मूल्य को 10 प्रतिशत सस्ता करता है जो उल्लेखनीय डिस्काउंट है।
इस वर्ष ब्याज दरों में दो कटौती की अपेक्षा है।चीन में विकास दर कम हो रही है जिससे चीनी इक्विटी में प्रवाह कम हो सकता है तथा निवेश भारत आ सकता है क्योंकि भारत की वृद्धि दर अच्छी बनी हुई है,बनी रहेगी भी।
रूस यूक्रेन युद्ध में तीव्रता बनी हुई है परंतु परमाणु अस्त्र के प्रयोग की जो आशंका बनी हुई थी ,वो धूमिल ही हुई है।
इससे भी शेयर मार्केट ने शांति की सांस ली है। अभी शेयर मार्केट, क्या सस्ता है,क्या महंगा है की ,अवधारणा में आ गया है।पिछली तेजी तथा पिछली मंदी दोनों एक अतिरेक सी थी।
अब मार्केट उनसे उबर एक सही व्यवहारिकता की ओर बढ़ रहा है।ऐसे में निफ्टी आदि सूचकांक मार्केट को प्रभावित करेंगे परंतु बहुत अधिक नहीं।संस्थागत निवेशकों, बुद्धिमान, चतुर ,अनुभवी घरेलू बड़े निवेशकों को जो सस्ता लगेगा,उसे खरीदेंगे,वो महंगा लगेगा उसको बेचेंगे,निफ्टी की चाल के आधार पर निवेश का निर्णय अपेक्षाकृत कम होगा।
अब मार्केट की प्रमुख चिंता कम्पनियों के लाभ की स्थिति है।पिछले कुछ तिमाहियों से इसमें अपेक्षित वृद्धि नहीं हुई है जिससे भारतीय शेयर मार्केट का मूल्यांकन महंगा लग रहा है। यद्यपि वित्त वर्ष 2024 -25 की अंतिम तिमाही में निफ्टी की कंपनियों का कर पश्चात लाभ 3 प्रतिशत बढ़ा है जो अच्छा संकेत है।ब्याज दरों में कमी से इसमें और भी वृद्धि आ सकती है तथा वित्त वर्ष 2025- 26 में लाभ 15 से 20 प्रतिशत बढ़ सकता है।ऐसा हुआ तो भारतीय शेयर मार्केट का मूल्यांकन आकर्षक तो हो ही जाएगा ,एक पुनर्मूल्यांकन भी मिलेगा एवं शेयर मूल्यों में अच्छी बढ़त भी देखने मिल सकती है।
ट्रंप की अनिश्चितता तथा एलन मस्क के साथ विवाद के मध्य पिछले सप्ताह अमेरिकी मार्केट 492 चढ़ा ही।
अमेरिकी मार्केट की तेजी अन्य मार्केट के लिए सामान्यतया एक सहारा रहती ही है।
ट्रंप प्रभाव के कारण यूएस बॉन्ड यील्ड गिर नहीं रही,4.5 पर है।ब्रेंट क्रूड में भू राजनीतिक आशंकाओं के कारण उछाल है,66.47 डॉलर प्रति बैरेल है। यद्यपि यह अधिक चिंताजनक नहीं है। विदेशी संस्थागत निवेशकों ने पिछले सप्ताह नकद संभाग में 3565 करोड़ रुपए के शेयर बेचे जबकि घरेलू संस्थागत निवेशकों ने 25513 करोड़ रुपए के शेयर क्रय किए।इन आंकड़ों में ब्लॉक डील का भी योगदान है ,अतः इन्हें समग्रता के स्थान पर उस दृष्टि से लेना ही सही होगा।घरेलू संस्थागत निवेशकों ने बड़ा क्रय किया,सप्ताह के पांचों व्यापारिक सत्रों में क्रय किया जो एक सुखद ,शक्तिशाली आश्चर्य है।
स्मॉल तथा मिड कैप सूचकांक शक्तिशाली बने हुए हैं
इंडिया विक्स गिर कर 14.63 है जो तेजी के दिशा के स्थायित्व का संकेत है। डॉलर रुपया विनिमय दर 85.76 है। बैंक निफ्टी सर्वकालिक उच्चतम स्तर 56695 बना तेजी के नए क्षेत्र में है।इसकी पीई इन स्तरों पर भी 14.58 ही है,जो महंगी नहीं है।अतः इसमें और भी तेजी देखी जा सकती है।
अभी भारत में रेपो रेट 5.5 है , मुद्रास्फीति 3 प्रतिशत के आसपास है।अतः अभी भी ब्याज दरों में चरणबद्ध रूप से 1 प्रतिशत की कमी की संभावना है।ऐसा होने पर अर्थव्यवस्था तथा कम्पनियों की आर्थिक लगात में बड़ी कमी आ सकती है।
जेपी मॉर्गन ने एसएंड पी के 6500 जाने की संभावना जताई है जो अभी 6000 है।यह 5 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।यदि ऐसा हुआ तो भारतीय शेयर मार्केट में वर्तमान स्तरों से 5 से 10 प्रतिशत की तेजी देखी जा सकती है। कोविड के मामले बढ़ रहे हैं ,यद्यपि अभी उतने चिंताजनक नहीं हैं।कुछ नई महामारी की अफवाहें भी है। भारतीय अर्थव्यवस्था में विनिर्माण क्षेत्र की भागीदारी 25 प्रतिशत यह बढ़ाने के लिए ब्लू प्रिंट तैयार है।यह भारतीय अर्थव्यवस्था को आधारभूत शक्ति प्रदान करेगा।
भारतीयों में सेवानिवृति के पश्चात की वित्तीय योजना के प्रति जागरूकता तथा झुकाव बढ़ रहा है।इस से म्यूचुअल फंड में बड़ी धनराशि के आने की संभावना है जो भारतीय शेयर मार्केट को भी दिशा आधार तथा बढ़त की दिशा प्रदान करेगी।
पीएसयू बैंक,हाउसिंग फाइनेंस,औषधि कंपनिया अभी भी अच्छी लग रहीं हैं। stock market india | stock market rate | trump stock market