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शशांक भारद्वाज , सीनियर वी पी, चॉइस ब्रोकिंग
भारतीय शेयर मार्केट निफ्टी 25000 के आसपास एक संघर्ष की मुद्रा में है। इससे ऊपर जाने तथा थोड़ा टिकने पर मार्केट में अच्छी तेजी आ सकती है, परंतु ऐसा हो नहीं रहा है। अच्छे विदेशी शेयर मार्केट तथा घरेलू आर्थिक संकेतों के बाद भी मार्केट या यूं कहें निफ्टी में अपेक्षित ,स्वाभाविक तेजी नहीं आ रही है।
उछाल आ भी रहा तो उसे बेचा जा रहा है
पिछले सप्ताह निफ्टी में 103 अंकों की मंदी ही रही। सप्ताह में पांच में से तीन दिन निफ्टी नीचे बंद हुआ ।अमेरिका के डॉउ सूचकांक में 4 दिनों के व्यापार में तीन दिन तेजी रही तथा सप्ताह में 667 अंकों की बढ़त रही। पिछले कुछ दिनों में भारतीय शेयर मार्केट ने डॉउ सहित अन्य प्रमुख शेयर मार्केट की तुलना में दुर्बल प्रदर्शन किया है। इस प्रकार की पृथकता लंबे समय के बाद देखने को मिली है। इसे ऐसे भी समझ सकते कि डाउ में सात सात सौ अंकों की तेजी की भी भारतीय शेयर मार्केट ने अवहेलना की। यह एक थोड़ा रहस्यमय आचरण था, घोस्ट सैलर सक्रिय लग रहे थे। stock market news | stock market india | stock market | stock | stock market today
ट्रंप टैरिफ पर सकारात्मक रुख भी दिखा
सप्ताह मध्य ट्रंप टैरिफ पर सकारात्मक समाचार भी भारतीय शेयर मार्केट में अपेक्षित तेजी की चाल नहीं ला पा रहे थे। परंतु इस दुर्बलता,पृथकता के मध्य एक अच्छी बात भी हो रही थी, हुई। मार्केट में खुदरा निवेशकों का शक्तिशाली पुनः प्रवेश दिखा, विशेषकर शुक्रवार के व्यापारिक सत्र में। खुदरा निवेशकों के प्रिय से शेयरों में अच्छी गतिविधियां दिखीं ,बड़ी तेजी भी दिखी। ऐसा प्रतीत होता है कि अब ,वो शेयर बढ़ेंगे, के मनोभाव में आ रहें हैं।इससे व्यापक आधार पर मार्केट में चहल पहल बढ़ सकती है।यह मार्केट के मनोभाव को भी प्रसन्नमय कर सकता है।
जीएसटी संग्रह ने जगाई उम्मीद
सप्ताहअंत में अच्छे समाचार आएं हैं, इससे यदि निफ्टी में तेजी आरंभ होती है तो फिर पूरे मार्केट में एक लाभ दिख सकता है। मई का जीएसटी संग्रह एक बार पुनः 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक 2.1 लाख करोड़ रुपए आया है।लगता है 2 लाख करोड़ रूपए जीएसटी संग्रह अब एक आधार बन जाएगा। इस वित्त वर्ष में भारत का निर्यात एक लाख करोड़ डॉलर पहुंच सकता है। एशिया डेवलपमेंट बैंक भारत के नगरीय आधारभूत संरचनाओं में 10 बिलियन डॉलर निवेश करेगा।एक अनुमान के अनुसार 2030 तक भारत की जनसंख्या का 40 प्रतिशत नगरों में रहने लगेगा। हुडको ने भारत में अगले तीन वर्षों में 3 करोड़ नए घर तथा अगले 20 वर्षो में 150 नए नगर के आकर लेने की संभावना जताई है इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को बड़ा तथा चौमुखी प्रोत्साहन मिलेगा।ब्रेंट क्रूड के मूल्य 62.78 डॉलर प्रति बैरेल हैं तथा पुनः गिरावट की दिशा में हैं। ओपेक ने भी जुलाई में 4.11 लाख बैरल प्रति दिन तेल उत्पादन में वृद्धि की घोषणा की है।
इससे क्रूड के मूल्यों में कोई बड़ी वृद्धि की संभावना कम हो गई है तथा नीचा क्रूड मूल्य भारत के लिए शुभ समाचार ही होता है।
डॉलर इंडेक्स 100 के नीचे 99.36 ही है
इंडिया विक्स ठंडा हो 16.07 पर है। अप्रैल में एनएसई में पंजीकृत निवेशकों की संख्या में 10.01 लाख की वृद्धि हुई तथा यह 11.4 करोड़ हो गया है। निवेशक खातों की कुल संख्या 22.4 करोड़ हो गई है।विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने भारतीय शेयर मार्केट में मई में 19860 करोड़ रूपए का निवेश किया जो वर्ष 2025 में सर्वाधिक है। जीडीपी की वर्तमान वृद्धि दर पर भी भारत 2047 तक 30 ट्रिलियन डॉलर की विकसित अर्थव्यवस्था बन सकता है।अगले छह वर्षों में अर्थव्यवस्था दुगनी हो सकती है।शेयर मार्केट के पूंजीकरण तथा जीडीपी के आकर में एक संबंध होता है तथा इनका 1:1 का अनुपात तो न्यूनतम माना जाता है।तेज गति से वृद्धि कर रही अर्थव्यवस्था में यह 1.5 भी उचित माना जाता है।
अतः थोड़ी दीर्घ अवधि में तो भारतीय शेयर मार्केट में अच्छी वृद्धि लगभग निश्चित सी ही है।
विदेश निवेशकों का सकारात्मक रूख
विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत बन ही चुका है। विश्व के एक प्रमुख निवेशक मार्क मोबियस भारत की आर्थिक नीतियों की प्रशंसा करने लगे हैं जो कभी भारत के शेयर मार्केट के प्रति नकारात्मक भाव रखते थे।
बीएसई स्मॉल कैप इंडेक्स की छोटी कंपनियों में 26 मई तक के 10 सत्रों में 7 लाख करोड़ रुपए का पूंजीकरण बढ़ा।निफ्टी स्मॉल कैप 250 इंडेक्स 200 दिनों के मूविंग औसत 16720 से ऊपर हो 16833 की साप्ताहिक बंदी दी है जो व्यापक आधार की तेजी का तथा उसके विस्तार का संकेत है। जेपी मॉर्गन ने भारतीय शेयर मार्केट में आय के सबसे अधिक अवसर की बात कही है।भारत तथा अमेरिका में 25 जून तक व्यापार समझौते होने की आशा है।इससे टैरिफ को ले कर भी अनिश्चितताएं बहुत कम हो जाएंगी।
यूएस बॉन्ड यील्ड अभी 4.39 है।एक बार जब अमेरिका में ब्याज दरों में कमी आरंभ होगी तब इसके भी 4 प्रतिशत से नीचे आने की संभावना है।ऐसा होने पर बहुत बड़ी राशि बॉन्ड से निकल कर इक्विटी में आ सकती है ।
भारत में भी वार्षिक मुद्रास्फीति की दर घट रही है।मार्च 25 में यह 2.95 रही। इस कारण 6 जून को आरबीआई की ब्याज दरों को ले कर प्रस्तावित बैठक में ब्याज दरों में .5 प्रतिशत तक की बड़ी कटौती भी हो सकती है।इससे भारतीय अर्थव्यवस्था तथा शेयर मार्केट को बड़ा उछाल मिल सकता है। बैंक निफ्टी अपने 200 दिनों के मूविंग एवरेज 51497 के ऊपर शक्तिशाली बना हुआ है ,14.6 के पी ई पर है,52 सप्ताह की ऊंचाई 56098 से मात्र 349 अंक ही नीचे है।यदि यह नई ऊंचाई बनाता है तो फिर इसके नए स्तर खुल जायेगे एवं बैंक निफ्टी में तेज वृद्धि होगी तो यह निफ्टी में भी तेजी लाने में सहयोग सकता है।
पिछले वित्त वर्ष में सरकारी बैंकों के लाभ में 26 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
मानसून अच्छा है, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा
तो बातें तो बहुत सारी हैं,बहुत सकारात्मक भी है। आश्चर्य यह है कि इनके बाद भी निफ्टी में उछाल नहीं आ रहा।नहीं आ रहा तो इसका अर्थ है कि कोई, कुछ तो बड़े बिकवाल है, मंदड़िया लॉबी सक्रिय हो सकती है।प्रमोटर्स बड़ी राशि के शेयर बेच रहें हैं। कई बार कारक से महत्वपूर्ण मूल्य,दिशा भी होती है,विशेषकर लघु अवधि में। तो सकारात्मक कारकों के सकारात्मक परिणामों के लिए मार्केट में उछाल आरंभ होने की प्रतीक्षा कीजिए। कुछ नकारात्मक कारक भी है।अप्रैल के भारत की औद्योगिक उत्पादन दर घटकर2.7 प्रतिशत हो गई है।ट्रंप का टैरिफ फिर शुरू हो गया है,स्टील तथा एल्युमिनियुक आयात पर 50 प्रतिशत टैरिफ की घोषणा है।
रूस यूक्रेन में युद्ध में पुनः तीव्रता आई है,चीन ताइवान युद्ध को ले कर आशंकाए हैं। निफ्टी के आधार पर बात करें तो मार्केट असमंजस में लगता है परंतु कई बार असमंजस का मार्केट अगले बुल रन का आधार भी बनता है।
पीएसयू बैंक के शेयर इकट्ठे किए जा सकते हैं। कंपनियों के वित्तीय परिणाम की ऋतु चालू है। इन परिणाम विशेष के आधार पर कंपनी विशेष में निवेश का निर्णय ले सकते हैं।