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निफ्टी और Stock Market अपडेट: उच्च स्तर पर सेंसेक्स, व्यापक मंदी जारी

सेंसेक्स ने रिकॉर्ड ऊंचाई बनाई, 52 सप्ताह का सर्वाधिक ऊंचा स्तर बनाया, निफ्टी पास 26277, पर अधिकांश शेयर हुए धराशाई, व्यापक तेजी नहीं, निवेशकों के लिए बाजार चिंताजनक है।

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Shashank Bhardwaj
Shashank Bhardwaj

भारतीय शेयर मार्केट में यूं देखा जाए तो सेंसेक्स ने पिछले सप्ताह 52 सप्ताह का सर्वाधिक ऊंचा स्तर बनाया, बैंक निफ्टी में नई ऐतिहासिक ऊंचाई बनाई तथा निफ्टी अभी तक के सर्वाधिक स्तर 26277 से मात्र 204 अंक दूर ही है। पिछले सप्ताह इसने 26246 का ऊंचा स्तर भी बनाया था। निफ्टी की यह ऊंचाई  व्यापक रूप से एक विस्तृत तेजी नहीं है। व्यापक रूप से देखा जाए तो अधिकांश शेयरों के भाव टूटे हुए हैं,अपने उच्चतम मूल्यों से काफी अधिक नीचे हैं। कुछ शेयर विशेष में ही अधिक तेजी है।

निफ्टी में पिछले दिनों देखी गई बड़ी बढ़त

निफ्टी में पिछले दिनों में जो 1550 अंकों की बड़ी बढ़त देखी गई है,उसमें  60 प्रतिशत तेजी मात्र 6 शेयरों के कारण आई है। निफ्टी 500 सूचकांक के 54 प्रतिशत शेयर 200 डीएमए के नीचे हैं जो दीर्घकालीन मंदी का संकेत होता है।80 प्रतिशत शेयर अपने उच्चतम मूल्यों से 10 प्रतिशत नीचे हैं तो 39 प्रतिशत 30 प्रतिशत  नीचे हैं। बीएसई में 21 नवंबर को 118 शेयरों ने 52 सप्ताह के निचले स्तर बनाए जबकि केवल 38 शेयरों ने 52 सप्ताह का उच्चतम स्तर छुआ। कुल मिलकर निफ्टी 500 के 75 प्रतिशत शेयर अपने वार्षिक उच्चतम स्तरों से 10 से 70 प्रतिशत नीचे हैं।

शेयर मार्केट को प्रोत्साहन की कोई योजना नहीं

दरअसल, निवेशकों के मध्य यह अवधारणा सी है कि निफ्टी ऊंचा है, बाकी अधिकांश शेयर धराशाई ही हैं। यह व्यापक रूप में एक निराशाजनक स्थिति ही है। इसके कई कारण भी हैं। एक तो पिछली तेजी में बहुत से शेयरों के भाव कई गुना 50 गुना तक बढ़ गए थे। चारों ओर fomo का वातावरण बन गया था। शेयर विशेष के पीई अनुपात अनापशनाप हो गए थे। कंपनियों का लाभ उनके शेयरों में मूल्य वृद्धि को न्यायोचित नहीं ठहरा पा रहा था। लाभ तथा मार्केट कैप का अनुपात अवास्तविक रूप से बढ़ गया था। सरकार के द्वारा भी शेयर मार्केट को सीधे प्रोत्साहन की कोई विशेष  योजना, उपाय नहीं लाए गए।

मार्केट दो भागों में विभाजित हो गया

प्रमोटर्स भी लाखों करोड़ रुपए के शेयर बेच धन ले गए। कुछ प्रमोटर्स ने झूठी घोषणाएं कर निवेशकों को मूर्ख बना दिया, अपने शेयर ऊंचे मूल्यों में उनको चिपका दिया, जिसने निवेशकों के आत्मविश्वास को हिला दिया। इन पर कोई विशेष दंडात्मक करवाई नहीं हुई। विदेशी संस्थागत निवेशकों की भी बड़ी बिकवाली रही। जो निवेश भारतीय निवेशकों के द्वारा आ भी रहा था वो अधिकांशतः उन्हीं कंपनियों तक सीमित था जो अच्छे वित्तीय परिणाम दिखा रहीं थी, अत्यंत आकर्षक मूल्यांकन पर उपलब्ध कंपनियां मुट्ठी भर थीं। इन कंपनियों के भाव बहुत चढ़ गए। तो मार्केट दो स्पष्ट भागों में विभाजित हो गया। कुछ कंपनियां जिनका मूल्य बहुत अधिक बढ़ गया तथा अधिकांश कंपनियों जिनका मूल्य धराशाई हो गया। साथ ही कंपनियों में गिरावट पर एक आशा रैली आती थी,वो भी नहीं आई क्योंकि विभिन्न नीचे स्तरों पर से भी मूल्य गिरते ही जा रहे।

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विदेशी निवेश बढ़ाने को आकर्षक‌ बदलाव करने होंगे

पिछली मंदी तो शेयरों के लिए एक सच्चा एसिड टेस्ट था जिसमें डूब एक अधिक अनुपात में शेयरों के कंकाल सामने आ गए, अथवा यू कहें वो कंकाल से हो गए। निफ्टी में तो बढ़त रही पर सामान्य निवेशकों के पोर्टफोलियो में गिरावट ही दिखी। इसके कारणों, कारकों को ठीक करना होगा। सर्वप्रथम सरकार को प्रो एक्टिव होकर पहल करनी होगी। शेयर लाभ पर पूंजीगत कर को 5 प्रतिशत कम करना चाहिए ताकि शेयर निवेश को एक प्रीमियम मिल सके, आकर्षक हो सके। झूठी घोषणाएं कर निवेशकों के साथ धोखा करने वाले प्रमोटर्स के विरुद्ध कड़े दंड के नियम बनाने तथा कार्रवाई करनी होगी। विदेशी निवेश को बढ़ाने के लिए आकर्षक बदलाव लाने होंगे। सामान्य निवेशकों को fomo से बचना होगा। कंपनियों के प्रदर्शन को पर्याप्त महत्व दे कर ही निवेश का निर्णय लेना होगा। 

मार्केट में आमूल चूल परिवर्तन लाने होंगे

गेहूं के साथ घुन भी पिस जाता है, एक प्रसिद्ध कहावत है। शेयर बाजार भी इसका अपवाद नहीं। परंतु अच्छे आधारभूत कारकों, सामर्थ्य वाली कंपनियां पुनः खड़ी हो जाती हैं। पिछले सप्ताह शेयर मार्केट के लिए बहुप्रतीक्षित समाचार आने की संभावना बनी है। रूस यूक्रेन मध्य युद्ध समाप्ति को ले कर एक अमेरिकी प्रस्ताव आया है। यदि ऐसा होता है तो पूरे विश्व की आर्थिकी के लिए यह अच्छा होगा। अमेरिका भी टैरिफ में ढील दे कई राष्ट्रों से व्यापारिक संधि कर रहा है। इससे भारत से भी एक अच्छी संधि की संभावना बन गई है। इन कारकों के आधार पर इस सप्ताह भारतीय निफ्टी नई ऐतिहासिक ऊंचाई बना सकता है परंतु विस्तृत व्यापक तेजी के लिए मार्केट में कुछ आमूल चूल परिवर्तन लाने होंगे।

बढ़ने - घटने वाले शेयरों का अनुपात भी नकारात्मक

बढ़ने तथा घटने वाले शेयरों का अनुपात भी नकारात्मक है। निवेशक दुविधा में हैं, हतप्रभ से हैं। अच्छे शेयरों में निवेश करें तो उनके मूल्य बहुत बढ़ गए हैं, उन स्तरों से बहुत भाव बढ़ने की संभावना नहीं लगती, कभी उनमें भी गिरावट प्रारम्भ हो सकती है, जिन शेयरों के भाव गिरे हुए हैं, वहां गिरावट बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में शेयर जो अन्य संपत्ति प्रकार की तुलना में अपेक्षाकृत एक थोड़ा अधिक रिस्की संपत्ति है, उनसे अपेक्षित रिटर्न आने की संभावना क्षीण होती जा रही है। इसे बदलना होगा।

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पिछले सप्ताह डॉलर की तुलना में रुपये में गिरावट

पिछले सप्ताह रुपए में भी डॉलर की तुलना में बड़ी गिरावट तथा यह  89.96 के सर्वकालिक निचले स्तरों पर बंद हुआ जो विदेशी संस्थागत निवेशकों के लिए नकारात्मक है।अक्टूबर में वस्तु निर्यात ने 12 प्रतिशत की कमी आई है। जुलाई सितंबर में 1274 कंपनियों के लाभ में 15 प्रतिशत की वृद्धि हुई।यह एक अत्यंत सकारात्मक संकेत है।कुल जमा राशि में म्यूचुअल फंड में निवेश का अनुपात 19 प्रतिशत से बढ़ कर 32 प्रतिशत हो गया है। मॉर्गन स्टेनली ने अच्छी घरेलू मांग की अर्थव्यवस्था के कारण वित्त वर्ष 27 में भी 6.5 प्रतिशत विकास दर की अनुमान जताया है।

अमेरिका में तीव्र उतार- चढ़ाव की स्थिति

अमेरिका में तीव्र उतार- चढ़ाव है। इस सप्ताह अक्टूबर के फ्यूचर ऑप्शन सौदों का कटान भी है जो मार्केट में उतार चढ़ाव बढ़ा सकता है। इन श्रेणी में बहुत दिनों के बाद तेजड़ियों की जीत दिख रही है। विदेशी संस्थागत निवेशक विक्रेता हैं तो भारतीय घरेलू संस्थागत निवेशक लगातार क्रय कर रहें हैं। आवश्यकता आन पड़ी है, पूरे शेयर मार्केट में जीवन फूंका जाए। 24 करोड़ भारतीय निवेशकों का प्रश्न है।

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